जानबूझकर अफवाह फैलाने वाले न बक्शे जाएं-किशोर
एप्पल न्यूज़, शिमला,
हिमाचल प्रदेश में फेक न्यूज के नाम पर पत्रकारों का शोषण किया जा रहा है, जो किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार द्वारा पत्रकारों के खिलाफ अपनाई जा रही ऐसी द्वेषपूर्ण कार्रवाई का नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट इंडिया की हिमाचल इकाई ने विरोध किया है। पत्रकारों के अखिल भारतीय संगठन एनयूजे (इंडिया) हिमाचल के अध्यक्ष रणेश राणा, महासचिव रुप किशोर , राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जोगिंद्र देव आर्य, ठाकुर जितेंद्र सिंह, हेमंत शर्मा, सुमित शर्मा, सुरेंद्र अत्री, प्रदेश सचिव विक्रम ठाकुर, महिला विंग की प्रदेशाध्यक्ष सीमा शर्मा, महासचिव मीना कौंडल, उपाध्यक्ष प्रीति मुकुल, भावना ओबरॉय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल हैडली, रितेश चौहान, अशोक महाजन, देवेंद्र ठाकुर, विशाल आनंद, गोपाल दत्त शर्मा, सह
सचिव दिनेश अग्रवाल, प्रवक्ता श्याम लाल पुंडीर, जिलाध्यक्षों में राकेश शर्मा, बंशीधर शर्मा, रितेश गुलेरिया, सुभाष ठाकुर, राजन पुंडीर, आरएल नेगी, समर सिंह नेगी, रविंद्र तेजपाल, चैन सिंह गुलेरिया, विजय ठाकुर, अश्विनी सैणी, पंकज कतना, जगमोहन शर्मा, सलीम कुरैशी, सुरेंद्र शर्मा, प्रदीप पुरी, मनमोहन संधू व अन्य सदस्यों ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण लगे कर्फ़्यू के इस दौर में देखने में आया है कि हिमाचल में पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज की जा रही है। फेक न्यूज के नाम पर पत्रकारों को प्रताडित किया जा रहा है जो सहन नहीं किया जाएगा।
एनयूजेआई हिमाचल इकाई का कहना है कि पत्रकार अपना काम निष्ठा से कर रहे हैं और लोगों तक जानकारियां पहुंचा रहे हैं। महामारी में जान जोखिम में डाल कर लोगों तक तथ्य पर आधारित सूचनाएं व जानकारी पहुंचा रहे हैं। यह जानते हुए भी कि आने वाले इस संकट के दौर में उसके पास रोजगार भी बचेगा या नहीं फिर भी वह अपने भविष्य की चिंता छोड लोगों तक खबरें पहुंच रहा है। उसके बाद ऐसे कर्तव्यनिष्ठ कोरोना वरियर्स पर पर केस बनाना सही नहीं है। यदि किसी पत्रकार से भूल वश कोई गलती होती है तो सरकार को चाहिए कि वह खंडन जारी करें न कि पत्रकार का पक्ष सुने बिना केस दायर करें।
एनयूजेआई हिमाचल इकाई ने मांग की है कि द्वेष पूर्ण भावना से अधिकारियों द्वारा जो मामले दर्ज करवाएं गया हैं उन्हें तुरंत वापिस लिया जाए। रुप किशोर ने कहा कि एनयूजे इंडिया यह भी मांग करती है कि यदि कोई पत्रकार जानबूझ कर अफवाहें फैलाने या फेक न्यूज लगाने का काम कर रहे है उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए लेकिन कुछ गन्दी मछलियों की वजह से सभी पत्रकारों की छवि खराब न हो। देखा गया है कि ज्यादातर सोशल मीडिया पर अफवाहों व गलत सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा रहा है।
एनयूजेआई हिमाचल मांग करता है कि प्रशासन और संबधित विभाग पत्रकारों की श्रेणी को समझे और उसी आधार पर यदि शिकायत आती है तो कार्रवाई करें। देखा गया है कि फेसबुक या व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डाली गई पोस्ट या टिप्पणी को पत्रकारिता की श्रेणी रखा जा रहा है जो सही नहीं है। हमें समझना होगा कि पत्रकारों की श्रेणी में अखबार, मैगज़ीन, इलेक्ट्रॉनिक न्यूज़ चैनल और वेब न्यूज़ पोर्टल को ही रखा जाए। इसके अलावा फेसबुक, यू ट्यूब, व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डाली गई पोस्ट, कमेंट को पत्रकार नहीं बल्कि एक आम आदमी द्वारा की गई टिप्पणी की तर्ज पर देखा जाए। ताकि पत्रकारिता को बदनाम होने से बचाया जा सके।
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग अधिकारियों और सरकार से पिछले दस वर्षों से लगातार वेब मीडिया पॉलिसी बनाये जाने कि पुरजोर मांग की जा रही है लेकिन विभाग न जाने क्यों टाल मटोल कर पॉलिसी को लटकाए हैं। यदि हिमाचल प्रदेश सरकार ने दूरदर्शिता के साथ वेब मीडिया पॉलिसी बनाई होती तो आज मीडिया के नाम पर सोशल मीडिया में कुकरमुत्तों की तरह उभर आए खबरनवीसों पर लगाम लगी होती और प्रदेश की छवि भी खराब नहीं होती।
आर्थिक पैकेज दें सरकार-जोगिंद्र देव आर्य
एनयूजे इंडिया के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य जोगिंद्र देव आर्य व पदाधिकारियों ने सरकार से मांग की है कि आपदा की इस घडी में सूचनाओं का आदान प्रदान करने वाले पत्रकारों की सुरक्षा के लिए प्रदेश के एक्रीडिटेड और नॉन एक्रीडिटेड फील्ड में कवरेज करने वाले हर पत्रकार का कम से कम 50 लाख का जीवन बीमा करवाया जाए और उनकी सुरक्षा के लिये सुरक्षा किट प्रदान की जाए क्योंकि आवश्यक सेवाओं में पत्रकारिता को स्वास्थ्य पुलिस और अन्य विभागों की तर्ज पर शामिल किया गया है और कोरोना महामारी में अपने जीवन को खतरें में डालते हुए निस्वार्थ भाव से आम जनमानस और सरकार को सूचनाओं के संप्रेषण में कार्यरत हैं। ऐसे में इस संकट की घडी में जब पत्रकारों की छंटनी तक कि नौबत आ गई है। सरकार पत्रकरों के लिए आर्थिक पैकेज जारी करें।