एप्पल न्यूज़, शिमला
राज्य सरकार ने प्रदेश में लाॅकडाउन के दौरान पशुओं के लिए चारा और अन्य खाद्य सामग्री, चिकित्सा सुविधा इत्यादी उपलब्ध करने की दिशा में प्रभावी कदम उठाकर पशु पालकों को बड़ी राहत पहुंचाई है। प्रदेश में कफर््यू लगाए जाने के बाद राज्य सरकार ने भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार पशु पालकों के हितों को सुरक्षित करने के लिए उन्हें आवश्यक सेवाओं में शामिल कर सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाने को प्राथमिकता दी है। पड़ोसी राज्यों से फीड और चारा आयात कर पशुपालकों को उपलब्ध करवाया है।
राज्य सरकार ने प्रदेश के हर जिले में चारे की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में सुनिश्चित की है जिससे प्रदेश में कहीं भी चारे की कमी नहीं हुई है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के निर्देश पर राज्य में घुमंतू गद्दी-गुज्जरों को प्राथमिकता दी गई है और उन्हें पशुधन के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर आने-जाने की अनुमति प्रदान की है।
24 मार्च, 2020 को राज्य में लगाए गए लाॅकडाउन के बाद राज्य सरकार ने फीड और चारे की ढुलाई के लिए प्रदेश भर में परमिट जारी किए, जिसके अन्र्तगत जिला कांगड़ा में व जिला से बाहर चारे की ढुलाई के लिए लगभग 450 परमिट जारी किए गए हैं। राज्य सरकार के सकारात्मक प्रयासों से प्रदेश में अब तक लगभग 60,000 क्विंटल सूखा चारा बाहरी राज्यों से लाया जा चुका है।
सरकार ने गेहूं भूसा व चारा खरीदने के लिए गौ सदनों को 12,39,660 लाख रूपये उपलब्ध करवाए हैं। इसके अलावा गौ-सदनों में रखे गए पशुओं को चारा उपलब्ध करवाने के लिए पशुपालन विभाग के उप-निदेशकों को 60 लाख रूपये की अतिरिक्त राशि भी जारी की है। लोगों द्वारा लावारिस छोड़े गए पशुओं को भी गौ सदनों में आश्रय दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश गौ सेवा आयोग के माध्यम से गौ सदनों के लिए पंजाब के मोगा से पशुओं के लिए केवल ढुलाई भाड़ा खर्च पर ही चारा उपलब्ध करवाया जा रहा है
कांगड़ा जिला के अंदर व जिला से बाहर चारे की ढुलाई सुनिश्चित करने के लिए उप निदेशक पशुपालन को नोडल अधिकारी बनाया गया है। विभाग सभी उप निदेशकों व स्थानीय प्रशासन से समन्वय स्थापित कर लाॅकडाउन के दौरान लोगों द्वारा छोड़े गए पशुओं के लिए भी उचित मात्रा में चारा उपलब्ध करवाना सुनिश्चित कर रहा है।
राज्य सरकार ने लावारिस छोड़े गए पशुओं की देखभाल के लिए गौ-सदनों के खर्च लिए 15 लाख प्रदान किए हैं। इसके अलावा, मंडी और कांगड़ा जिला को पांच-पांच लाख रुपये जारी किए गए हैं। जिला बिलासपुर को 2.20 लाख रूपये और जिला सिरमौर को गौ-सदन चलाने वाले गैर सरकारी संगठनों को सहायता प्रदान करने के लिए तीन लाख रुपये उपलब्ध करवाए गए है।
सरकार ने पशुपालन विभाग और संबंधित जिला प्रशासन के सहयोग से घुमंतू गद्दी गुर्जर परिवारों को भी राशन और उनकी जरूरत के अनुरूप आवश्यक सहायता प्रदान की है। अब तक 1403 घुमंतू गद्दी परिवारों से संपर्क किया गया है, जिनमें से 144 परिवारों को राशन और 1355 परिवारों को सिरमौर, सोलन, शिमला, बिलासपुर, ऊना, हमीरपुर, मंडी और कांगड़ा जिलों में पशु चिकित्सा सेवाएं प्रदान की गई हैं।
जिला चंबा में भेड़ प्रजनकों की सहायता के लिए पशुपालन विभाग द्वारा पशु चिकित्सा सहायता शिविर लगाए जा रहे हैं। थुलेल, खरगट, लाहरू, बेरांगल और कोटि में यह शिविर लगाए गए जिनके माध्यम से अब तक जिला में प्रवेश करने वाले 280 भेड़-बकरी पालक समूहों को कवर किया जा चुका है। विभाग द्वारा लगभग 66079 भेड़-बकरियों को मुंहखुर की बिमारी के लिए टीकाकरण किया जा चुका है और प्रवास के दौरान बीमारी की रोकथाम के लिए 162,450 भेड़ बकरियों की ड्रैंचिंग की गई है।
हिमाचल प्रदेश मिल्क फेडरेशन और जिला बिलासपुर के नम्होल स्थित कामधेनु हितकारी मंच भी नियमित रूप से दूध का प्रसंस्करण कर रहे हैं। मिल्क फेडरेशन की दुग्ध प्रक्योरमेंट क्षमता 65,000 लीटर से बढ़कर 80,000 लीटर प्रतिदिन हो गई है। लाॅकडाउन के दौरान फेडरेशन द्वारा उपभोक्ताओं को घर द्वार पर ही दूध व अन्य दुग्ध उत्पाद उपलब्ध करवाए जा रहे है।
राज्य सरकार ने हाल ही में पशुपालकों की सुविधा के लिए रिहैबिलिटेशन आॅफ स्ट्रे कैटल योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। यह योजना लावारिस पशुओं की समस्या के समाधान के लिए विभिन्न लोगों और सगठनों को लावारिस पशुओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। योजना के प्रारंभिक चरण में गौसदनों, गौ अभयारणों में पशुओं को रखने के लिए 500 रूपये प्रति पशु प्रदान किया जाएगा। भारत सरकार के निर्देशानुसार पशुओं की टैगिंग के कार्य को भी पशुपालन विभाग द्वारा शीघ्र पूरा कर लिया जाएगा।