मोदी सरकार के 6 साल 6 भ्रान्तियां- भारी निराशा, अपराधिक कुप्रबन्धन एवं असहनीय पीड़ा का साल- अनुराग शर्मा

एप्पल न्यूज़, शिमला

 पिछले छः सालों में देश में भटकाव की राजनीति एवं झूठे शोरगुल की परम्परा मोदी सरकार के कामकाज की पहचान बन गई है। दुर्भाग्यवश, भटकाव के इस आडंबर में मोदी सरकार की राजनीतिक महत्वकांक्षाओं को तो पूरा किया, परन्तु इन छः सालों में देश को भारी आर्थिक व सामाजिक क्षति उठानी पड़ी।

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हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सेवादल अध्यक्ष अनुराग शर्मा ने कहा कि ढोल नगाड़े बजाकर बड़े-बड़े वादे करके सत्ता में आई यह सरकार देश को सामान्य रुप से चलाने की एक छोटी सी उम्मीद को भी पूरा करने में पूरीतरह विफल रही तथा उपलब्धियों के नाम पर शून्य साबित हुई।

मोदी सरकार की छः साल की छः विफलताएं जरुर रही जिन्हे देश की जनता कभी नहीं भूल सकती….

1. मोदी सरकार हर साल 2 करोड़ नौकरी देने के वादे के साथ सता में आई। लेकिन 2017-18 में देश में पिछले 45 सालों में बेरोजगारी दर रही। कोविड-19 के बाद तो भारत की बेराजगारी दरअप्रत्याशित रुप से बढ़कर 27.11 हुई। मजदूर रोजगार के अभाव में पलायन करने पर मजबूर हो रहे हैं।

2. मोदी सरकार के कार्यकाल में जीडीपी का मतलब हो गया है – ग्राॅसली डिक्लाईनिंग परफाॅर्मेस यानि लगातार गिरता प्रदर्शन। अअधिकांश रेटिग एजेसिंयों ने ने वितवर्ष 2020-21 मे नकारात्मक जीडीपी दर का अनुमान दिया है। कोविड-19 से बहुत पहले ही देश की अर्थव्यवस्था बर्बादी के कगार पर पंहुच चुकी थी। पिछले 21 महिनों में निरन्तर जीडीपी वृद्वि दर में गिरावट हुई है।

3. मोदी सरकार ने छः सालों (साल 2014-15 से सितम्बर 2019 तक) में बैंकों के 6, 66,000 करोड़ रु0 के लोन राईट आफ कर दियें।   मोदी सरकार के इन छः सालों में 32, 868 बैंक फ्राड हुए जिनमें देश के खजाने को 2, 70, 513 करोड़ रु0 का चूना लगा। इन छः सालों में बैंकों के एस्सेट बढ़कर 16, 50, 000 करोड़ रु0 के हो गए। लोन राईट आफ का सबसे बड़ा चैकानवाला खुलासा 24 अप्रेल 2020 को एक आरटीआई के जवाब में हुआ।

कोविड-19 के बीच मोदी सरकार ने मेहुल चैकसी, नीरव मोदी, जतिन मेहता, विजय माल्या आदि के 68, 607,000 करोड़ रु0 के लोन राईट आॅफ कर दिये।

4. मोदी सरकार के छः सालों में भारतीय रुपया एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन गया। 30 मई 2020 को 1 अमेरिकी डाॅलर 75.57 रु0 के बराबर है।

5. विदेशों से काला धन वापस लाने और हर भारतीय के बैंक खाते में 15 लाख रु0 जमा कराने का झूठ भारत के राजनेतिक इतिहास का सबसे बड़ा झूठ साबित हुआ है।  यह वादा पूरा करना तो दूर, मोदी सरकार की नाक के नीचे 2, 70,000 करोड़ रु0 मूल्य का बैंक फ्राॅड हो गया तथा भगोड़े देश का पैसा लूटकर विदेश भागने में सफल हो गये। छः साल बीत जाने पर एक भी भगोड़ा वापस नही आया।

6. किसानों की आमदनी दोगुनी करना किसानों से सबसे बड़ा छल साबित हुआ। केन्द्र सरकार ने छः सालों में एकबार भी लागत जमा 50 प्रतिशत मुनाफे के बराबर न्युन्तम समर्थन मूल्य का निर्धारण नहीं किया जिसका वादा उन्हाने सी 2 फाॅमूले के आधर पर उन्होने अपने चुनावी घोषणापत्र में किया था। इसके अलावा कृषि उपकरणों की बढ़ती किमतें, मंहगी खादें अब किसानों के लिए नुकसान का सैदा बन गई हैं। भारत के इतिहास में पहली बार कृषि पर टेक्स लगाया गया। 

इसके अलावा भी मोदी सरकार की इन छः सालों में अनेको विफलताएं रही है। आम लोगो के प्रति जिम्मेवारी व जवाबदेही का पूर्णतः अभाव रहा है। प्रवासी मजदेरों के संकट ने मौजूदा केन्द्र सरकार की असंवेदनशीलता तथा नेतृृत्व की विफलता का उजागर कर दिया है। कोविड-19 महामारी के बीच प्रवासी मजदेरों को बिना खाने, पानी और आश्रय के हजारों किलोमीटश्र दुर स्थित अपने गांव को पैदल जाने को मजबूर होना पड़ा।

छः सालों का लम्बा समय पूरा होन के बाद ऐसा लग रहा ह कि मोदी सरकार अपने ही नागरिकों के खिलाफ युद्व लड़ रही है। महरम लगाने की बजाय घाव दे रही है। एक ओर देशवासी गरीब हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भाजपा की सम्पती बहुत तेजी से बढ़ रही है।

चाहे नोटबंदी हो, जीएसटी हो या फिर कोविड लाॅकडाउन, सारे फैसले एक व्यक्ति द्वारा लिये जा रहे हैं और नीतिगत विफलता के चलते इन सबका परिणाम देशवासियों के लिए विनाशकारी साबित हो रहा है। 

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