एप्पल न्यूज़, शिमला
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष चीन के साथ लगते प्रदेश में सीमावर्ती क्षेत्र किन्नौर और लाहौल-स्पीति से संबंधित विभिन्न मुद्दों को उठाया और उनसे इन क्षेत्रों में संचार प्रणाली को मजबूत करने का आग्रह किया।
राजनाथ सिंह को लिखे पत्र में राज्यपाल ने उनसे इस मामले को व्यक्तिगत रूप से देखने और राज्य में भारत-चीन सीमा को सुरक्षित रखने से संबंधित आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह किया।
उन्होंने रक्षा मंत्री को राज्य के सीमावर्ती गांवों में मजबूत दूरसंचार नेटवर्क स्थापित एवं संचालित करने तथा वर्तमान में चल रहे भारत-चीन सीमा विवाद के मद्देनजर चीन से आने वाले ड्रोन की आवाजाही को ट्रैक करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारतीय एयर स्पेस के उल्लंघन की रोकथाम के लिए उपयुक्त स्थानों पर वायु रक्षा परिसंपत्तियों को तैनात करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि भारत-चीन सीमा का लगभग 240 किलोमीटर हिस्सा हिमाचल प्रदेश के दो जिलों, किन्नौर (36 गांव) और लाहौल-स्पीति (12 गांव) में पड़ता है। भारत-चीन सीमा पर मौजूदा स्थिति को देखते हुए कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
राज्यपाल ने रक्षा मंत्री को अवगत करवाया कि हिमाचल प्रदेश पुलिस हाई अलर्ट पर है और इन दो जिलों के पुलिस अधीक्षकों द्वारा सीमा के समीप लगते गांव का दौरा किया गया है और लोगों से बातचीत कर उनमें विश्वास बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस महानिदेशक ने 26 जून को हिमाचल प्रदेश आरक्षित वाहिनी के पांच कमांडेंट की प्रतिनियुक्ति की है, ताकि वह इन दोनों जिलों के 48 गांव का दौरा कर लोगों से बातचीत कर सकें। उन्होंने दोनों जिलों के सीमावर्ती गांवों का दौरा कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि लाहौल और स्पीति जिले में स्पीति क्षेत्र में हवाई पट्टी की तत्काल आवश्यकता है, ताकि जरूरत पड़ने पर आगे के क्षेत्रों में सेना की शीघ्र तैनाती की जाए। यह हवाई पट्टी अग्रिम लैंडिंग ग्राउंड के रूप में कार्य करेगी। जिले के भीतरी क्षेत्रों में हैलीपैड भी विकसित किए जाने चाहिए।
उन्होंने लोगों के मनोबल और आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए केंद्रीय खुफिया एजेंसियों, भारतीय सेना की उपस्थिति और आईटीबीपी को सुदृढ़ करने की भी सिफारिश की ताकि चीन द्वारा घुसपैठ की किसी भी अप्रत्याशित घटना से निपटा जा सके। इसके अलावा आईटीबीपी और राज्य की खुफिया एजेंसियों को बुनियादी चीनी और तिब्बती भाषा का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। लोगों को केंद्रीय पैरा सैन्य बलों द्वारा गुरिल्ला युद्ध और रक्षा प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। ऐसा प्रशिक्षण एसएसबी द्वारा 2001 से पूर्व प्रदान किया जाता था। इसकी स्थानीय लोगों ने भी मांग की है।