बंगाल में नौ महीनों में कम से कम पांच दर्जन लोगों की राजनीतिक हिंसा में मौत, हजारों घायल
जगह-जगह बमबाजी और फायरिंग से दहले लोग
एप्पल न्यूज़, शिमला
विधानसभा के चुनाव बिहार में हो रहे हैं पर चर्चा हो रही है पश्चिम बंगाल की खूनी राजनीति की। कभी राजनीतिक मारकाट के लिए कुख्यात रहे बिहार में चुनाव के दौरान इस बार अन्य मुद्दे चर्चा में हैं। पश्चिम बंगाल में 8 अक्टूबर को भारतीय जनता पार्टी के नवान्न चलो अभियान पर पुलिस की कार्रवाई को लेकर वार-पलटवार हो रहे हैं। पश्चिम बंगाल में लगातार जारी राजनीतिक हिंसा के बीच इस वर्ष की शुरुआत में ही सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओँ पर पहले नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को लेकर हमला बोला। कोरोना महामारी को लेकर घोषित किए लॉकडाउन में लोगों को राहत बांटने से रोकने पर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस में टकराव चलता रहा। सत्तारूढ़ दल की भाजपा को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल की पुलिस ने भरपूर मदद की। भाजपा के सांसदों और विधायकों को तक पुलिस ने घर में जबरन बंद कर दिया। अम्फान चक्रवाती तूफान से प्रभावित लोगों को राहत राशि बांटने को लेकर तृणमूल कांग्रेस के गुटों में ही संघर्ष होते रहे। अनाज और पैसा बांटने को लेकर तृणमूल कार्यकर्ताओं ने अपने दल के लोगों पर हमला बोला और धांधली के आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किए। विरोधी दलों की तरफ से उठाने पर भाजपा, माकपा और कांग्रेस के नेताओं पर हमले किए गए।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, बैरकपुर से सांसद अर्जुन सिंह, सांसद जॉन बरला, विधायक सव्यसाची दत्ता आदि पर हमले किए गए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में दल के नेता अधीर रंजन चौधरी के घर पर भी हमले हुए। भाजपा के नेताओं पर तमाम तरह मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं। राजनीतिक हिंसा में भाजपा के विधायक देबेंद्रनाथ राय समेत कम से कम 60 लोग मारे गए। लॉकडाउन में पाबंदियों के कारण हिसां की ज्यादातर घटनाएं समाचारपत्रों में प्रकाशित नहीं हो पाई।
जनवरी से लेकर अब तक तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता दबदबे की लड़ाई को लेकर आपस में बमबाजी और फायरिंग करते रहे। तृणमूल की गुटबाजी में हुए संघर्षों के कारण बड़ी संख्या में कार्यकर्ता बम और गोलियों से मारे गए या घायल हुए। तृणमूल कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी भी बड़ी संख्या में हुई है।
6 अक्टूबर तक राज्य में 60 लोग राजनीतिक हिंसा में मारे गए। इनमें 24 लोग भाजपा से जुड़े थे। राजनीतिक हिंसा और आपसी लड़ाई में तृणमूल कांग्रेस के 26 कार्यकर्ता मारे गए। तृणमूल कांग्रेस के दो कार्यकर्ताओं के बेटों की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई। तृणमूल कार्यकर्ता के एक बेटे के अपहरण और हत्या मामले में भाजपा के तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस साल 1 मार्च को कोलकाता में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ ममता बनर्जी के अभियान का जवाब देने के लिए रैली की थी। पहले तो कोलकाता पुलिस ने रैली को अनुमति देने से ही इंकार कर दिया था। 9 जून को अमित शाह ने वर्चुअल रैली के माध्यम से ममता सरकार पर हमला बोला। कोरोना महामारी, प्रवासी मजदूर, सीएए, गरीबों के अधिकार और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नीतियों पर सवाल उठाते हुए शाह ने कहा था कि देश में इकलौता राज्य बंगाल है, जहां राजनीतिक हिंसा का बोलबाला है। रैली के पहले से ही भाजपा कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले अमित शाह की सभा के बाद और तेज हो गए थे।

बंगाल में जगह-जगह कार्यकर्ताओं पर हमले होने लगे। पार्टी के कार्यालयों में आग लगा दी गई। उत्तर 24 परगना जिले में बदमाशों ने भाजपा की एक महिला नेता अर्चना विश्वास के घर पर दो राउंड फायरिंग की। तृणमूल कार्यकर्ताओं की धमकी के बावजूद शाह की बैठक में शामिल होने पर अर्चना विश्वास के घर पर गोलीबारी की गई। शाह की सभा से लौट रहे भाजपा कार्यकताओं पर कोलकाता व हुगली में हमले किए गए। इनमें दर्जनभर कार्यकर्ता घायल हो गए। बीरभूम के सुनबुनी गांव में भाजपा के पार्टी कार्यालय को जला दिया गया। फरवरी महीने में जलपाईगुड़ी जिले में भाजपा समर्थकों के घरों में तोड़फोड़ की गई और फिर आग लगा दी गई। तृणमूल कांग्रेस के एक स्थानीय नेता का शव हुलुरडंगा गांव में पहुंचने पर भाजपा समर्थकों के घरों में आग लगा दी गई।
2 मार्च को जयश्रीराम का नारा लगाने पर भाजपा कार्यकर्ता 32 साल के मंटू मंडल की हावड़ा के बागनान में हत्या कर दी गई। 4 मार्च को नैहाटी में भाजपा कार्यकर्ता संजय विश्वास की तृणमूल कार्यकर्ताओं ने पिटाई कर दी । 6 मार्च को पश्चिम मिदनापुर के दांतन इलाके में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं की हिंसक भिड़ंत में छह लोग घायल हो गए। जिले के आंगुवा गांव में तृणमूल समर्थकों ने भाजपा कार्यकर्ता पिंटू दीगर की जमकर पिटाई की और उसका सिर फोड़ दिया। भाजपा और तृणमूल कार्यकर्ताओं के बीच कई स्थानों पर हिंसक झड़पें हुई। 6 मार्च को दक्षिण 24 परगना के गंगासागर में अंचल बूथ अध्यक्ष 25 साल के देवाशीष मंडल की हत्या कर दी गई।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने 9 जून को आयोजित अमित शाह की वर्चुअल रैली में बंगाल से एक करोड़ लोगों के हिस्सा लेने का दावा किया। वर्चुअल रैली के बाद तो बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले बढ़ गए। 6 जुलाई को भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती के अवसर पर भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने पश्चिम बंगाल के पार्टी कार्यकर्ताओं से राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार को सत्ता से बाहर करने का आह्वान किया।
अमित शाह की 9 जून को हुई वर्चुअल रैली के बाद अब भाजपा के 16 कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है। सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं के हमलों में भाजपा के सैंकड़ों कार्यकर्ता घायल हुए हैं। भाजपा की महिला कार्यकर्ताओं पर भी कई हमले किए गए हैं। फरवरी महीने में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना था कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के कारण राज्य में 32 लोगों ने भय से जान दे दी। ममता बनर्जी के इस तरह के दावों से देखे से राजनीतिक कारणों से हुई मौतों का आंकड़ा सौ से पार हो जाता है।
अगले सप्ताह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बंगाल जाने के बाद प्रधानमंत्री नवरात में षष्ठी के दिन बंगाल की जनता को वर्चुअल तौर पर संबोधित करेंगे। जाहिर इसके बाद बंगाल का राजनीतिक माहौल और गर्माएगा।
लेखक
रास बिहारी
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और बंगाल की खूनी राजनीति पर रक्तांचल-बंगाल की रक्तचरित्र राजनीति, रक्तरंजित बंगाल-लोकसभा चुनाव 2019 तथा बंगाल-वोटों का खूनी लूटतंत्र पुस्तकें हाल ही में प्रकाशित हुई हैं।)
