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शिमला के डीडीयू असप्ताल में कोरोना मरीजों से जानवरों जैसा व्यवहार-न खाना न पानी, कोरोना से लड़ वापस लौटे शिव प्रताप भीमटा ने खोली प्रशासन की पोल

एप्पल न्यूज़, शिमला

जिला शिमला के सबसे बड़े कोरोना क्वारंटाईन सेंटर डीडीयू/रिपन हॉस्पिटल में मरीजों के खस्ता हाल है। न कोई सुविधा और न ही मरीजों को खाने की सही व्यवस्था है। क्या प्रशासन को इस हकीकत के बारे जानकारी नहीं है या इस को अनदेखा किया जा रहा है ?

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एक डाक्टर से चार मंजिला हॉस्पिटल चलाया जा रहा है वह बेचारा अकेले कितने मरीजों को देख सकता हैं। आलम ये है सफाई की कोई खास व्यवस्था नहीं है स्वयं मरीजों को बैड साफ करने पड़ते हैं और जो मरीज चले जाते हैं उन के बिस्तर जहाँ पड़े हैं वहां से उस को कोई समय पर नहीं ले जाता। मरीजों के बार बार कहने पर मुश्किल से ले जाते हैं।

दुःख का विषय यह है कि जब मरीज कोरोना पॉजिटिव आते हैं तो उसे काफ़ी कमजोरी आती है जिस की भरपाई के लिए समय रहते मरीज को अच्छी खुराक की आवश्यकता रहती है लेकिन हास्पिटल की व्यवस्था देख कर लगता है कि प्रशासन कोरोना मरीजों के साथ जानवरों की तरह बर्ताव कर रहे हैं।

खाना बिलकुल ठण्डा और गुणवत्ता में एक दम बेकार मरीज जब खाना वहाँ से लाते हैं, गुणवत्ता सही न होने की वजह से कुड्डेदान में फेंक देते हैं जिससे सरकारी राशन की भी बर्बाद हो रही है और न मरीजों को सही खाना मिल पा रहा है साथ के साथ न मरीजों को खाने के लिए बताया जाता है। क‌ई वार्ड बहार की साईड है जहां पर मरीजों को आक्सीजन लगी होती हैं उन को कोई चाय,ब्रेकफास्ट व खाना आने की जानकारी नहीं देता जबकि हर वार्ड में कर्मचारियों को जा कर सूचना देनी चाहिए। इस से क‌ई मरीजों को बगैर खाने के वंचित रहना पड़ता हैं खाने में भी किसी को मिल जाता है जो पहले जाते हैं बाद में आधे मरीजों को आधी -२ चिजे मिलता ही नहीं।

ब्रेकफास्ट में किसी को दुध, किसी को ब्रैड, किसी को अण्डा, किसी को मखन मिलता है सारी चिजे किसी को उपलब्ध नहीं होती। जब कर्मचारी को कहते हैं तो जवाब देते हैं कि खत्म हो गया है। क्या हास्पिटल प्रशासन को ये मालूम नहीं कि कितने मरीजों का खाना,ब्रेकफास्ट, चाय,दुध व अन्य सामग्री उपलब्ध होनी चाहिए?

कर्मचारी मरीजों को सही से न तो खाना देते है न ही चाय सूप व दुध गर्म देते हैं सारा एकदम ठण्डा रहता है जोकि कोरोना मरीजों के लिए घातक है मरीजों के पास कोई attendance न होने के कारण बहार से ला नहीं सकता और कर्मचारियों के शोषण के कारण खाद्य पदार्थों की कमी से उसे भूखा ही रहना पड़ता है जो कि मरीजों के साथ अन्यायपूर्ण है।
मेरा हॉस्पिटल प्रशासन के मुख्या से विनम्र निवेदन है कि कृपया उक्त समस्या को गम्भीरता से लेते हुए स्वयं हास्पिटल जा कर जांच करें और मरीजों से स्वयं फीडबैक लेने की कोशिश करें ताकि सच्चाई सामने आ सकें और मरीजों को सही सुविधाएँ व खाने की सामग्री उपलब्ध हो सके।
शिव प्रताप भीमटा
पर्यावरण संरक्षण समिति क्यारी कोटखाई जिला शिमला

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