एप्पल न्यूज़ ब्यूरो
सरकार ने पंचायतीराज चुनाव में देश में विकास के लिए पढ़े लिखे होनहार प्रतिभागियों को पंचायत में चुनाव लड़ने का सुनहरा अवसर प्रधान कर नौजवानों में नई उत्साह व जोश भर दिया है। लेकिन शर्त ये भी है परिवार के किसी भी सदस्य में कोई भी अवैध कब्जाधारी व आपराधिक मामला ना हो ।
सभी जानते हैं गाँव में ऐसा कोई ही मिलेगा जिसके पास अवैध कब्जा ना हो या छोटे-मोटे आपराधिक मामले ना हुई हो ।
समाज में लोग एक दूसरे के साथ जुड़े होते है जानबूझ कर कोई आपराधिक मामला यहाँ किया नहीं जाता बहूत कम ही ऐसे आपराधिक मामले होते हैं जो किये होते हैं । ऐसे आपराधिक मामले की जाँच हो जो गाँव समाज के हित से बाहर हो ऐसे लोगों को पंचायत में लड़ना में भी खिलाफ हूँ ।
लेकिन अवैध कब्जा धारी चुनाव लड़ नहीं सकता ये नियम सरासर गलत लगा अवैध कब्जाधारी बनाया किसने याद करो वो दिन मुझे याद है। तब भरतीय जनता पार्टी की सरकार ने एक फॉर्म निकाला था जो 50 रुपये के थे जिसमें उन्होनें लोगों को लालच दिया था जिनके पास अवैध कब्जा हैं वे फॉर्म भरें और अपने अवैध जगह-जमीन को नाम पर बनाये लगभग आधा किन्नौर ने तब वो फॉर्म भर दिये थे लेकिन किसी की भी भूमि नाम पर नही बनी बल्कि वही लिस्ट आज भी रेम्न्यू में मौजदू है उस हिसाब से से तो आज 2020के पंचायती चुनाव में लगभग सभी होनहार लोग बाहर होंगे ।
मेरा सरकार से सवाल है जब अवैध कब्जाधारी चुनाव लड़ नही सकता तो उसे वोट देनें का अधिकार भी ना हो उसे मतदाता सूचि से ही बाहर कर देना चाहिए ।
वही दूसरी ओर बड़े-बड़े सांसद के जेलों में रह कर भी जेलों से ही चुनाव लड़ सकते हैं बड़े-बड़े आपराधिक मामले उन पर होते होवे भी वे सांसद के चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन पंचायती राज चुनाव में इतनी सख्ती क्यों कानून सबके लिए बराबर हो सांसद एम,एल,ए हो या पंचायत के प्रतिनिधि जब अवैध कब्जा आपराधिक लोग लड़ नही सकते उन्हें वोट देनें का प्रावधान भी ना रखें बुदीजीव मेरे इस विचार से सहमत
लेखक
राम भगत नेगी किन्नौर