एप्पल न्यूज़ कुल्लू
केंद्रीय मंत्री नितिन गढ़करी और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कुल्लू दौरे पर भुंतर पहुंचने पर पुलिस अधिकारियों के बीच हुई हाथापाई थप्पड़ और लात मारने के मामले में देवभूमि हिमाचल शर्मसार हो गई है। हिमाचल पुलिस की छविं को भी ठेस पहुंची है। पहली बार जनता के रखवालों की सुरक्षा के लिए जनता सामने आई। अब जांच बिठा दी है और तीनों अधिकारियों को जबरन छुट्टी पर भेज दिया है।
हुआ यूं कि नितिन गढ़करी के भुंतर पहुंचने पर फोरलेन प्रभावित उनके समक्ष अपनी बात रखना चाहते थे।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीएम सिक्योरिटी स्टाफ को निर्देश थे कि फोरलेन मामले को लेकर विरोध कर रहे लोगों को केंद्रीय मंत्री नितिन गढ़करी के पास नहीं फटकने देना है चाहे उन पर सख्ती ही क्यों न करनी पड़े।
उधर, एसपी कुल्लू गौरव ने लोकतांत्रिक परम्परा के अनुसार शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात करने आने वाली जनता पर कोई बल प्रयोग नहीं किया और शांतिपूर्वक उन्हें अवसर दिया।
सूत्र बताते हैं कि सुरक्षा अधिकारी इस बात से चिढ़ गए। मुख्यमंत्री के सिक्योरिटी इंचार्ज को ये बात नागवार गुजरी और लगातार SP कुल्लू से अभद्रता और अपशब्द कहते रहे थे।
इस बात पर एसपी कुल्लू तैश में आ गए और ASP बृजेश सूद को तमाचा जड़ दिया। बहस के बीच सीएम के PSO बलवंत पीछे से आये और बावर्दी SP कुल्लू को लातें मारने लगे और धक्कामुक्की की।
इसी बीच फोरलेन प्रभावित लोग SP पर हुए हमले से नाराज हुए और बीचबचाव करते हुए मामले को शांत करवाया।
थोड़ी ही देर में वीडियो वायरल हो गई और हर मोबाइल पर पहुंचते हुए सोशल मीडिया में ट्रेंड करते हुए नेशनल मीडिया तक की सुर्खी बन गई।
आला अधिकारियों तक ये बात पहुंची तो तुरंत DGP संजय कुंडू खुद कुल्लू पहुंच गए और तीनों पुलिस अधिकारियों को जबरन छुट्टी पर भेजकर जांच बैठा दी।
उधर सीएम ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए 3 दिन में जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए।
जनता की सुरक्षा में तैनात पुलिस अधिकारी ही आपस में जनता के सामने भिड़ जाए तो फिर सुरक्षा व्यवस्था पर तो सवाल उठेंगे ही।
पूर्व सरकार के समय गुड़िया कांड के आरोपी सूरज हत्या मामले में आईजी, SP समेत करीब 8 पुलिस अधिकारियों पर गाज गिरी थी और पुलिस की छविं दागदार की थी। IG तो आज भी जेल में हैं। वहीं कुछ दिन पूर्व ही ASP शिमला प्रवीर ठाकुर महिला जवान से छेड़छाड़ मामले में सस्पेंड चल रहे है और अब एक साथ SP, ASP और PSO के इस कारनामे ने पुलिस की रही सही इमेज की कसर निकाल ली है।
अब पर्दे के पीछे असल वजह क्या है कि SP को ASP पर थप्पड़ मारने की नौबत आन पड़ गई और PSO को एक IPS ऑफिसर को बावर्दी लात मारनी पड़ी, ये तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा लेकिन कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगना तय है और इस बिगड़ी इमेज को सुधारने में लम्बा वक्त लगेगा, इसमें भी कोई दो राय नहीं है।