एप्पल न्यूज़, कांगड़ा
कर्मचारी कल्याण बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष सुरेंद्र मनकोटिया ने अपने बयान में कहा कि हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार कुंभकरण की नींद सोई है और जो 2003 के बाद न्यू पेंशन स्कीम में आने वाले 60,000 कर्मचारी धरना प्रदर्शन करें हैं, ज्ञापन दे रहे हैं, पर वर्तमान सरकार उनके बारे में जरा भी नहीं सोच रही। यह सरकार असंवेदनशील है । सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। कर्मचारी सरकार की रीड की हड्डी होते हैं, परंतु वर्तमान सरकार इनका मखौल उड़ा रही है।
ज्ञात रहे कि 2003 में उस समय की वाजपेई की भाजपा सरकार ने 2003 बजट में की गई घोषणा के अनुसार ओल्ड पेंशन स्कीम को हटाकर 22.12.2003 न्यू पेंशन स्कीम लागू करने की नोटिफिकेशन की थी जिसके तहत कर्मचारियों को, जो 2003 के बाद नियुक्त हुए हैं, उन्हें पुरानी पेंशन नहीं मिलेगी, बल्कि कंट्रीब्यूटरी पेंशन स्कीम लागू की।
इसके हिसाब से आज के वक्त में अगर कोई कर्मचारी रिटायर होता है तो एनपीएस को मात्र 500 से लेकर ढाई हजार तक पैंशन मिलेगी जबकि ओपीएस को 9000 से ऊपर पेंशन मिलेगी जोकि सरासर गलत है।
आज हिमाचल प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में दो लाख से ऊपर कर्मचारियों में से लगभग 60 हजार कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम के दायरे में आते हैं यह कार्यालयों में पहले वाले कर्मचारियों के बराबर काम करते हैं परंतु इनको न सरकारी पेंशन की सुविधा मिलती है न ही जीपीएफ की सुविधा है।
ओपीएस कर्मचारी बेसिक पे तक अपनी जीपीएफ में डाल सकता है जबकि नए कर्मचारी 10 प्रतिशत से ऊपर provident फंड में नहीं डाल सकते । पुराने कर्मचारियों का लेखा जोखा एजी ऑफिस रखता है जबकि नए कर्मचारी का लेखा-जोखा एक प्राइवेट कंपनी एनएसडीएल रखती है जो आगे पैसा शेयर मार्केट में लगाती है जिस कारण हमेशा ही संशय बना रहता है लेखा-जोखा भी ठीक से मेनटेन नहीं हो रहा है।
2003 से 2017 के बीच नियुक्त किसी कर्मचारी की अचानक मृत्यु हो जाती है या अपँग हो जाता है तो उनको डीसीआरजी नहीं मिलती है। पुरानी पेंशन लेने वाले कर्मचारियों को पैंशन का 40 प्रतिशत तक अग्रिम भी मिल जाता है जबकि नए को ऐसी कोई सुविधा नहीं है।
पुरानी पेंशन वाले कर्मचारी 90% तक अपना जीपीएफ निकाल सकते हैं परंतु नई पेंशन वाले कर्मचारी 25 % से ज्यादा नहीं और वह भी खास मौकों जैसे विवाह शादी या बीमारी के समय ही पैसा निकाल सकते हैं किसी और सामाजिक व धार्मिक फंक्शन के लिए नहीं।
उन्होंने कहा कि हमारा मुख्यमंत्री जयराम से अनुरोध है कि इन कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम में लाया जाए और जीपीएफ काटा जाए, इनका लेखा-जोखा एजी ऑफिस रखें या फिर लेखा-जोखा के लिए अलग विभाग बनाया जाए ताकि यह जो कर्मचारी दिन रात लोगों की सेवा में लगे हैं प्रदेश को आगे बढ़ा रहे हैं।
इनकी मेहनत से हर वर्ष 3-4 फील्ड में हिमाचल अब्बल आता है उनके साथ यह घोर अन्याय न किया जाए जब नए और पुराने, इकट्ठा मिलकर कर्मचारी बराबर काम करते हैं।
हिमाचल प्रदेश को तरक्की की राह पर आगे ले जा रहे हैं तो उनकी पैंशन भी बराबर भी होनी चाहिए। 58 साल के बाद पैंशन न मिलने के भय के कारण यह मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं। मानसिक तनाव में जी रहे हैं और इस वजह से यह अपनी कार्यकुशलता के अनुसार कार्य भी नहीं कर पा रहे हैं।