कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने तनोह से दालचीनी के पौधारोपण अभियान की शुरुआत, खोलीं मे भी लगाया दालचीनी का पौधा
एप्पल न्यूज़, ऊना
ग्रामीण विकास पंचायती राज, कृषि, मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने हिमाचल प्रदेश के 5 जिलों में दालचीनी पौधारोपण कार्यक्रम की शुरुआत कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र की तनोह ग्राम पंचायत से की। उन्होंने तनोह ग्राम पंचायत में पौधारोपण किया और कहा कि अगले 1 वर्ष में प्रदेश के 5 जिलों में दालचीनी के एक लाख पौधे लगाए जाएंगे।
वीरेंद्र कंवर ने कहा कि दालचीनी पौधारोपण के लिए हिमाचल प्रदेश के ऊना, कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर एवं सिरमौर जिलों का चयन किया गया है। उन्होंने कहा कि दालचीनी के पौधे लगाने के लिए इन जिलों में वातावरण अनुकूल पाया गया है।
उन्होंने कहा कि 4 वर्ष में पौधा लग कर तैयार हो जाता है तथा इससे किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। कंवर ने कहा कि सभी किसानों को दालचीनी का पौधा निशुल्क प्रदान किया जाएगा तथा इनका पौधारोपण मनरेगा के माध्यम से किया जा सकेगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हींग तथा केसर की पैदावार के लिए कृषि विभाग तथा आईएचबीटी के बीच एमओयू साइन किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कुछ जिलों में इन दोनों फसलों की पैदावार की संभावना है।
कृषि मंत्री ने कहा की हिमाचल प्रदेश की बहुत बड़ी आबादी कृषि तथा बागवानी से जुड़ी हुई है। हिमाचल प्रदेश में सेब का कारोबार पांच हजार करोड़ रुपए का है। इसके अतिरिक्त सिरमौर जिला में अदरक वह लहसुन की खेती बड़े स्तर पर होती है जिससे वहां के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है तथा आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़े हैं।
वीरेंद्र कंवर ने कहा चंबा जिला में जंगली गेंदे की खेती की भी संभावना है तथा चंबा में यह प्रयोग किया गया है। उन्होंने कहा की जंगली गेंदे का तेल दस हजार प्रति किलो की दर से बिकता है और किसान इसकी खेती से संपन्न बन सकते हैं।
ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि आज कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र पूरे प्रदेश में मॉडल बन कर उभरा है। कुटलैहड़ वासियों के लिए आधुनिक सुविधाएं जुटाई जा रही हैं। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पीने के पानी की विभिन्न स्कीमों पर आज करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त क्षेत्र में वीकेंड टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। गोविंद सागर झील में जल क्रीड़ाओं का ट्रायल सफल रहा है तथा क्षेत्र के घरवासड़ा एवं पीपलू को पैराग्लाइडिंग जैसी साहसिक खेलों के लिए उपयुक्त पाया गया है।