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हिमाचल में बफर स्टोरेज से पेयजल योजनाओं के सुदृढ़ीकरण को 353.57 करोड़ रुपये स्वीकृत, मंडी व कुल्लू की 257 योजनाएं पायलट प्रोजेक्ट में शामिल

पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मण्डी जिले के 9 खण्डों की 147 व कुल्लू जिले के 5 खण्डों की 110 योजनाओं में बनेंगे बफर स्टोरेज

एप्पल न्यूज़, शिमला

 प्रदेश में जल जीवन मिशन के अन्तर्गत हर घर नल से जल उपलब्ध करवाने के साथ-साथ पेयजल योजनाओें के सुदृढ़ीकरण और जल स्त्रोतों को लम्बे समय तक कार्यशील बनाए रखने के लिए इस स्त्रोतों को मजबूती प्रदान करने का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है। इसके लिए एक विशेष योजना तैयार की गई है।

पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर राज्य में सबसे पहले इस योजना को मंडी व कुल्लू जिला में कार्यान्वित किया जाएगा और इसके सार्थक परिणाम आने के पश्चात इसे प्रदेश के बाकि सभी जिलों में लागू किया जाएगा। योजना के अंतर्गत कुल्लू और मण्डी जिले के दूर-दराज क्षेत्रों में बहाव पेयजल योजनाओं का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है।

   इस योजना के अन्तर्गत लगभग तीन माह के लिए बहाव पेयजल योजनाओं के जल को इकट्ठा किया जाएगा जिसका उपयोग उस समय किया जाएगा, जब स्त्रोत में जल की उलब्धता कम होगी। इसमें बिजली का कोई प्रयोग नहीं किया जाएगा।

इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) द्वारा 353.57 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई है।पायलट प्रोजेक्ट के रूप में योजना के तहत मण्डी जिले के 9 खण्डों की 147 योजनाओं व कुल्लू जिले के 5 खण्डों की 110 योजनाओं में बफर स्टोरेज बना कर सुदृढ़ीकरण किया जाएगा।

मंडी व कुल्लू जिला में योजना की सफलता के पश्चात राज्य के अन्य जिलों में भी इस योजना को कार्यान्वित किया जाएगा, जिससे पेयजल की समस्या का स्थायी समाधान सुनिश्चित होगा। 

 जल जीवन मिशन के तहत मार्च, 2022 तक भारत सरकार द्वारा राज्य को कुल 2990.10 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध करवाई गई है और मिशन के तहत राज्य में 8.42 लाख घरों को नल सेे जल उपलब्ध करवाया गया है। जबकि स्वतंत्रता के बाद पिछले 72 वर्षाे में कुल 7.63 लाख घरों को नल प्रदान किए गए।

राज्य में कुल 17.28 लाख घरों या परिवारों को नल उपलब्ध करवाए जा चुके है। जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में कुल कवरेज और कार्यक्षमता के संबंध में भारत सरकार द्वारा राज्य के प्रदर्शन की सराहना की गई है।

वर्ष 2019-20 में प्रदेश को 57.15 करोड़ रुपये और वर्ष 2020-21 में 221.28 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई। योजना के कार्यान्वयन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के आधार पर भारत सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश को 750 करोड़ रुपये की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है।

पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए भी जल शक्ति विभाग प्रयासरत है, जिसके लिए राज्य में 60 प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। जिला स्तर पर स्थापित सभी 14 प्रयोगशालाओं को राष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड से (एनएबीएल) मान्यता मिल चुकी है।

इसके अलावा 36 उप-मण्डल स्तरीय प्रयोगशालाओं को भी एनएबीएल से मान्यता मिल गई है। प्रदेश की 83 प्रतिशत प्रयोगशालाओं को एनएबीएल से मान्यता प्राप्त हो चुकी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक है।

प्रत्येक गांव से पांच महिलाओं का चयन करके उनको फील्ड टैस्ट किट सेे पेयजल जांच का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अभी तक 40,090 महिलाओं को यह प्रशिक्षण दिया जा चुका है। पिछले दो वर्षाें के दौरान 61,901 लोगों को जल गुणवत्ता के बारे में प्रशिक्षण दिया गया।

वित्त वर्ष 2020-21 में प्रदेश की सभी 3,615 पंचायतों को एक-एक फील्ड टैस्ट किट प्रदान की गई। वित्त वर्ष 2021-22 में प्रदेश के सभी 18,150 गांव को यह फील्ड टैस्ट किट दी गई।

इसके अतिरिक्त जल गुणवत्ता में पारदर्शिता लाने के लिए प्रदेश की सभी प्रयोगशालाओं को आम जनमानस के लिए खोल दिया गया है, जिनमें न्यूनतम दरों पर जल नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है।

प्रदेश में पिछले दो वर्षों के दौरान कुल 4,47,820 जल नमूनों की जांच की गई जबकि गत वर्ष 2,93,245 पेयजल नमूने प्रयोगशालाओं और 1,37,865 जल सैंपलों का फील्ड टैस्ट किट द्वारा परीक्षण किया गया है।

विभाग द्वारा चालू वित्त वर्ष में भी 3,00,606 जल सैंपलों की जांच प्रयोगशाला और 1,42,734 जल सैंपलों का परीक्षण फील्ड टैस्ट किट के माध्यम से करने का लक्ष्य रखा गया है।

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