एप्पल न्यूज़, दिल्ली
हिमाचल प्रदेश में राजनीति के चाणक्य मने जाने वाले पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री पंडित सुखराम दुनियां छोड़ गए। सोमवार देर रात उन्होंने दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली।
पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा ने सोशल मीडिया के माध्यम से उनके दुःखद निधन का संदेश देते हुए कहा कि वह ब्रेन स्ट्रोक से जूझ रहे थे। पंडित सुखराम को सोमवार को दिल का दौरा पड़ा था। इस के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया था। वह 94 वर्ष के थे।
उधर, मंडी सदर से विधयक एवं पंडित सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि “आप सभी को बड़े ही दुखी मन से सूचित कर रहा हूं कि हम सबके प्रिय पंडित सुखराम जी अब इस दुनिया में नहीं रहे। बीती रात करीब एक बजे उन्हें दिल्ली स्थित एम्स में फिर से दिल का दौरा पड़ा और इस कारण उनका देहांत हो गया है। आज पंडित सुखराम जी के पार्थिव शरीर को सड़क मार्ग से दिल्ली से मंडी लाया जाएगा। कल 11 बजे सेरी मंच पर अंतिम दर्शन करवाए जाएंगे और उसके बाद उनका अंतिम संस्कार होगा।
पंडित जी के जाने से सिर्फ हमारे परिवार को ही नहीं बल्कि मंडी सदर और पूरे प्रदेश को भारी आघात पहुंचा है। उन्हें संचार क्रांति का मसीहा और हिमाचल प्रदेश की राजनीति का चाणक्य कहा जाता था।
उन्होंने हमेशा पूरे प्रदेश को एक समान दृष्टि से देखा और विकास में कभी भेदभाव नहीं किया। पंडित जी ने प्रदेश के विकास में जो योगदान दिया है उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। आप हमेशा हमारे और प्रदेश सहित देश भर के लोगों के दिलों में रहोगे। आपके द्वारा लाई गई संचार क्रांति देश को हमेशा एक नई दिशा देती रहेगी।”
गौर हो कि 5 मई को पंडित सुखराम को मनाली में ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। इसके बाद उन्हें मनाली से कुल्लू और फिर कुल्लू से 7 मई को मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर से दिल्ली एम्स एयरलिफ्ट किया गया। एम्स में उन्हें आईसीयू में रखा गया। इसी बीच 9 मई को उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद हालत में सुधार नहीं हुआ और 10 मई की रात करीब एक बजे दुनियां से अलविदा ली।
राजनीति के चाणक्य
पंडित सुखराम को हिमाचल की राजनीति का चाणक्य कहा जाता है
मंडी जिला की 10 सीटों सहित प्रदेश में उनका बड़ा वर्चस्व रहा है। 1985 से 1989 तक वह राजीव गांधी सरकार में मंत्री रहे फिर 1991 में पीवी नरसिम्हा राव सरकार में उन्हें केंद्रीय संचार मंत्री का जिम्मा मिला तो हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य के साथ देश मे संचार क्रांति आई। गॉव गॉव तक टेलीफोन पहुंचे और आज का इंटरनेट युग बन पाया। 1996 में संचार घोटाले में नाम आने के बाद उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा।
1998 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ अपनी हिमाचल विकास कांग्रेस हिविंका बनाई और चुनाव में बड़ा उलटफेर करते हुए 5 सीटें जीती। उन्होंने भाजपा कप समर्थन दिया और सरकार में अहम जिम्मेदारी निभाई। उन्ही के समर्थन से प्रो प्रेम कुमार धूमल ने पहली बार हिमाचल में गठबंधन सरकार चलाई।
वर्तमान में भी उनका प्रदेश में बड़ा नाम था। उनके बेटे अनिल शर्मा जो पूर्व में कांग्रेस में विधायक मंत्री रहे फिर भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद पौते आश्रय शर्मा कांग्रेस में शामिल हुए और पिछली बार मण्डी लोकसभा से कांग्रेस का टिकट लेकर चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। अब पिता भाजपा और बेटा कांग्रेस में है। इस बार जयराम सरकार में मंडी जिला की सभी सीटें जीतने में पंडित सुखराम परिवार का बड़ा योगदान रहा।
उनके निधन से प्रदेश में शोक की लहर दौड़ रही है।