रुक्मिणी मंगल कथा का श्रवण करने से विवाह की बाधाएं दूर होती हैं. श्रीजी पीठाचार्य मनीष बाबा
एप्पल न्यूज़, सीआर शर्मा आनी
आनी से तीन किलोमीटर दूर महादेव शमशर के नाम से प्रसिद्ध शमशरी महादेव के मन्दिर में चल रहे श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ षष्ठ दिवस की कथा के अन्तर्गत श्रीजी पीठाचार्य मनीष बाबा ने भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज मे आकर कंस आदि राक्षसो का वध, गोपियों के साथ महारास लीला,उद्धव- गोपी संवाद, भगवान श्री कृष्ण का रुकमणि से विवाह आदि लीलाओ का वर्णन किया ।

भगवान श्री कृष्ण ने अपने परम सखा उद्धव को ज्ञान के लिये ब्रजभूमि मे भेजा क्योकिं उद्धव बहुत ज्ञानी थे ज्ञान के कारण इनको अभिमान आ गया ,जब उद्धव ब्रज मे पधारे गोपियों के ज्ञान के आगे उद्धव महाराज ने अपना सिर झुकाकर प्रणाम किया और गोपियों से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति की।
उद्धव जी ने कहा धन्य है ब्रजभूमि मथुरा के लोग जिनको यहां का बास मिला ऐसा सुख बैकुंठ मे भी नही, और न देवताओं के लिए है । ब्रजभूमि मे साक्षात नारायण सहज भाव से सभी को दर्शन दे रहे है ।
भगवान श्रीकृष्ण का रुकमणी जी के साथ विवाह के उपरांत भागवत महापुराण की आरती की गयी। वहीं आरती से पहले संगीतमय श्रीमद् भावगत महापुराण अमृत वर्षा में सोमवार को रुक्मिणी विवाह उत्सव मनाया गया।
राघवेन्द्र रघुवंशी ने बताया कि इस अवसर पर विवाह उत्सव की सजीव झांकियां सजाई गईं। श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के वरमाला प्रसंग के दौरान सुनाए गए कर्णप्रिय भजनों पर भक्तों ने भाव विभोर होकर नृत्य किया।
श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ पर विराजमान श्रीजी पीठाचार्य मनीषशंकर बाबा ने गीत, महारास, रुक्मिणी मंगल विवाह एवं प्रेम योग के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए महारास के बारे में बताया।
उन्होंने कहा कि महारास का अर्थ जीव से जीव का मिलन नहीं अपितु ब्रह्म से जीव के मिलन को महारास कहा गया है। रुक्मिणी मंगल कथा के बारे में बताते हुए कहा कि जो इसका श्रवण करता है, उसके घर में विवाह की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं और परिवार मंगलमय जीवन व्यतीत करता है।
संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा में सजी रुक्मिणी विवाह उत्सव की झांकी और भाव विभोर होकर श्रद्धालुओं ने नृत्य किया।