जयराम सरकार में सब राम भरोसे, व्यवस्था का जिम्मा क्या केवल मोदी या बीजेपी रैली तक, जिला प्रशासन असंवेदशील- खुली पोल
एप्पल न्यूज़, शिमला
हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार में आम जनता क्या राम भरोसे ही है? यह सवाल उठना लाज़मी हो जाता है जब नियम कायदे व कानून को हर जगह ठेंगा दिखाया जा रहा हो। क्या कोई भी व्यवस्था या कानून का पालन करवाना सिर्फ मोदी रैली या बीजेपी के किसी कार्यक्रम तक सीमित है। उसके अलावा अन्य किसी कार्यक्रम में आम लोगों के प्रति सरकार व प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती?
शिमला में आयोजित हुए अंतरराष्ट्रीय समर फेस्टिवल में हुए अव्यवस्था के माहौल से ऐसे कई सवाल उठ रहे है। जिससे जिला प्रशासन की व्यवस्था की पोल तो खुली ही है।
वहीं उस सरकार के मुखिया पर भी सवाल उठ रहे हैं जो प्रधानमंत्री या अन्य पार्टी कार्यक्रम होने से पहले स्थल का दर्जनों बार अपने नेताओं व अफसरों के साथ निरीक्षण करते नहीं थकते।
वहीं जब शिमला समर फेस्टिवल की बात आई तो प्रदेश के मुखिया की कमान इतनी ढीली पड़ गई कि जिला प्रशासन असंवेदशील बन गया और हजारों लोगों की जान पर बन आई।
शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर उमड़ी हजारों की भीड़ पर काबू पाने में जहां पुलिस प्रशासन पंगु नज़र आया। वहीं प्रशासन भी इतने बड़े स्तर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम की व्यवस्था नहीं बना पाया।
प्रशासन ने लंबे अरसे के बाद नियमों को धत्ता बताकर मंच की दिशा बदल दी। विपरीत दिशा में लगाए मंच के कारण एम्बुलेंस तो दूर लोगों को पैदल चलने के लिए भी रास्ता नहीं छोड़ा था। पुलिस लाचार हो गई क्योंकि प्रशासन के मुखिया के आदेश कैसे मने जाएं। जब कोई व्यवस्था ही नहीं थी।
इस कदर तक अव्यवस्थित माहौल हुआ कि लोगों को रिज मैदान से लक्कड़ बाज़ार या दूसरे छोर पर जाने के लिए घंटों लग गए। समय तो समय लग ऊपर से लोगों की जान पर बन गई।
भगदड़ के माहौल में बुजुर्ग, बच्चों व परिवार के साथ फंसे पर्यटकों के आंसू छूट गए। हर तरफ चिल्लाने की आवाज़ आती रही धक्का मत दो धक्का मत दो, आगे निकलने दो….। ऐसा वाक्या कोई एक बार नहीं हर आम जन के साथ हुआ जो किसी तरह अपनी जान बचा कर तो बेकाबू हुई भीड़ से निकल गए लेकिन अब सरकार व प्रशासन की व्यवस्था को कोसते हुए सवाल उठा रहे है।
कह रहे हैं ज़िंदगी मे आज से पहले ऐसा समर फेस्टिवल नहीं देखा जिसमें इस तरह का अव्यवस्था का माहौल बना है। जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन पंगु बन कर बैठा रहा और आम जनता राम भरोसे।
नतीजा कई लोग बेहोश हो गए। लोगों का कहना है कि यह तो गनीमत रही कि किसी की जान नहीं गई। कइयों के जूते खो गए तो कोई चप्पल ढूंढ रहा था तो किसी की ऐनक टूट गई। है राम, ऐसी बदहाल व्यवस्था तो आज तक कभी नहीं देखी थी, ये कहना था लोगों का।