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आनी के खेगसू में सतलुज घाटी की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर हुई साहित्यिक चर्चा, डॉ. हिमेन्द्र बाली व दीपक शर्मा ने पढ़े शोधपत्र

एप्पल न्यूज़, सीआर शर्मा आनी

सतलुज घाटी की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के बारे में  परिचर्चा करने के उद्देश्य से सामाजिक व साहित्यिक संगठन सतलुज घाटी के सौजन्य से आदिशक्ति मां कुष्मांडा भवानी परिसर स्थित लक्ष्मी सदन के सभागार में सांस्कृतिक शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इसकी अध्यक्षता प्रख्यात लेखक एवं शोधकर्ता डॉ. हिमेन्द्र बाली ने की। जबकि कार्यक्रम में बैहना पँचायत के युवा जुझारू प्रधान विनोद ठाकुर ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।

उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया।इस कार्यक्रम का आयोजन लेखक एवं शिक्षक श्यामानन्द के सौजन्य से किया गया।

कार्यक्रम में सेवानिवृत्त आदर्श शिक्षक एवम माता कुष्मांडा भवानी के अनन्य भक्त शिवप्रसाद व उनकी धर्मपत्नी. प्रधानाचार्य अमर चन्द चौहान.माता के अनन्य भक्त सेवानिवृत्त सहायक अभियंता एमडी अकेला. तथा प्रधान सत्येन्द्र शर्मा बतौर विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।इस मौके पर लेखक श्यामानन्द ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला।

वहीं निरमण्ड के ऊर्जावान लेखक  दीपक शर्मा ने वाह्य सिराज क्षेत्र में मनाए जाने वाले प्राचीन मेलों की सांस्कृतिक पृष्टभूमि पर प्रकाश  डाला और इनके इतिहास पर भी  चर्चा की।दीपक शर्मा  ने  विभिन्न पर्वों व त्योहारों की सांस्कृतिक पृष्टभूमि  व लोकाचार का भी हिंदी व पहाड़ी में वर्णन सुनाया।

कार्यक्रम में प्रख्यात लेखक व शोधकर्ता ने अपनी प्रस्तुति में सतलुज घाटी की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक पृष्टभूमि पर विस्तृत  प्रकाश डाला और क्षेत्र के देवी देवताओं के इतिहास  .इनकी देव परम्परा  व  प्राचीन देवालयों के स्वरूप का शोधपत्र भी पस्तुत किया।

लेखक डॉ. हिमेन्द्र बाली ने कहा कि सतलुज घाटी में प्राचीन संस्कृति का अनमोल खचाना है।यहां प्रचिलत मान्यताओं  व लोक  गीतों में युगों युगों की संस्कृति का सार छुपा है।

उन्होंने कहा कि हमें अपनी प्राचीन संस्कृति को सजोए रखने की जरूरत है.ताकि भावी पीढ़ी को उसका बोध हो।उन्होने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की जो महिलाएं प्रचीन मंगल गायन व लोक गाथा का ज्ञान रखती हैं। वे  इनका संरक्षण कर इसे संग्रहित करे।

इस मौके पर शिक्षक जितेंद्र शर्मा.ने जन्मदिन के समारोह को पश्चिमी  सभ्यता में मनाने के बजाय अपनी सनातन संस्कृति में मनाने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में निरमण्ड की संस्कृति संवाहक सुलोचना शर्मा सहित महिला मंडल गोहाण व चपोहल की महिलाओं ने अपनी पारम्परिक वेशभूषा में प्राचीन लोकगीतों की प्रस्तुति से संगोष्ठी में प्राचीन संस्कृति का खूब रस घोला।

इस मौके पर बहुआयामी प्रतिभा के धनी शिक्षाविद डॉ. विनोद आचार्य ने भी सतलुज घाटी की सांस्कृतिक पृष्टभूमि पर प्रकाश डाला। जबकि कार्यक्रम के मुख्यातिथि प्रधान विनोद ठाकुर ने इस संगोष्ठी की सराहना करते हुए .भविष्य में भी इस तरह के आयोजनों को करवाने पर बल दिया।

संगोष्ठी के उपरांत माता कुष्ममांडा भवानी मन्दिर में  एक भजन संध्या भी आयोजित की गई। जिसमें भजन गायक एमडी अकेला सहित महिला मंडल गोहाण व चपोहल की महिलाओं ने सुंदर भजनों की प्रस्तुति से संध्या को खूब भक्तिमय बनाया।

इस मौके पर योग शिक्षक दलीप वर्मा मन्दिर कमेटी के मोहर सिंह चौहान. भीमी राम.रमेश गुप्ता.तथा तिलक राज शर्मा सहित अन्य क़ई भक्त मौजूद रहे।

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