एप्पल न्यूज़, सीआर शर्मा आनी
जिला ग्रामीण विकास अभिकरण कुल्लू के द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना व वाटरशेड न्यू जनरेशन कार्यक्रम के तहत जल संरक्षण. प्रकृतिक जल स्रोतों के सरंक्षण व संवर्धन.वर्षा जल संरक्षण. व पेयजल के उचित प्रबंधन.उपलब्धता व बचाव संबंधित प्रचार प्रसार हेतु जिला की आनी व निरमंड विकास खंड में चलाये जा रहे जनजागरूकता अभियान के दूसरे दिन आनी की लझेरी .कराड़ व फन्नौटी पंचायत तथा तीसरे दिन निरमंड विकास खंड की दूरदराज कुशवा .बखन व खरगा पंचायत में प्रोग्राम हुए।
मन्नत कला मंच कुल्लू द्वारा उपरोक्त पंचायतों मे जनता को कार्यक्रम आयोजित कर गीत संगीत व नाटक के माध्यम से जानकारियां दी गई। इसी कड़ी में शनिवार को पोशना व तुनन पंचायतों में कार्यक्रम होंगे।
मंच के संयोजक नवनीत भारद्वाज ने कार्यक्रम संबंधित जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार को मंच के कलाकारों में खूबराम. गोपाल.मानचंद.आशा शर्मा. चंपा ने जहाँ कुल्लवी नाटी,’पानी घटी नहीं लो जिंदगी’,समूह गीत,’जागो भइया जागो आज,कुएं बौड़ियाँ सूख रही है, बिन पानी जीवन सुनसान’, आदि गीतों से खूब मनोरंजन किया।
वहीं नवनीत भारद्वाज,अशोक,संजय कुमार,चम्पा आदि ने कार्यक्रम में “जल है तो कल है”,नामक नाटक के माध्यम से लोगों को जल संरक्षण,पानी की शुद्धता, प्रकृतिक जल स्रोतों के सरंक्षण व संवर्धन बारे विस्तृत जानकारियां दी।
आज हुए कार्यक्रम में कुशवा के प्रधान कैलाश वामटा,बखन पंचायत प्रधान मिथलेश कौशल, उपप्रधान रोशन लाल डोगरा,वार्ड पंच सीता ,उर्मिला, राजेश कुमार, राजेश व खरगा पंचायत के नेसु राम,महिला मंडल सहित अन्य ग्रामीण भी शामिल रहे ।
उपनिदेशक सह परियोजना अधिकारी सुरजीत सिंह ने कार्यक्रम संबंधित जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना व वाटरशेड न्यू जनरेशन कार्यक्रम के तहत जल संरक्षण, जिसमें वर्षाजल का संरक्षण कर पर्वतीय, पठारी और ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रबन्धन किया जाएगा। जिसका उपयोग सिंचाई के साथ-साथ वन, पर्यावरण एवं पारिस्थिकी के संरक्षण में किया जा सकेगा।
पूरे देश में वर्षा के जल को अपव्यय से रोकने के लिये ग्रामीण स्तर पर गड्ढे खोदकर, तालाब एवं पोखरों में जल संग्रहित करने के लिये आधारभूत ढाँचे का विकास किया जाएगा।नवीन जलस्रोतों के निर्माण के साथ पुराने जलस्रोतों का जीर्णोंद्धार कर जल संचयन पर बल दिया जाएगा।
ग्रामीण स्तर पर परम्परागत जलस्रोतों, तालाबों, कुओं आदि जल संग्रहणों की मरम्मत, सुधार और नवीनीकरण कर जल संचयन की क्षमता बढ़ाकर जल संरक्षण किया जाएगा।