IMG_20241205_075052
WEBISTE 6TH DEC 2024
previous arrow
next arrow

लोगों ने आनी में जानी सरकार की योजनाएं

एप्पल न्यूज़, सीआर शर्मा आनी

जिला ग्रामीण विकास अभिकरण कुल्लू के द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना व  वाटरशेड न्यू जनरेशन कार्यक्रम के तहत जल संरक्षण. प्रकृतिक जल स्रोतों के सरंक्षण व संवर्धन.वर्षा जल संरक्षण. व पेयजल के उचित प्रबंधन.उपलब्धता व बचाव संबंधित प्रचार प्रसार हेतु जिला की आनी व निरमंड विकास खंड में चलाये जा रहे जनजागरूकता अभियान के दूसरे दिन  आनी की लझेरी .कराड़ व फन्नौटी पंचायत तथा तीसरे दिन  निरमंड विकास खंड की दूरदराज कुशवा .बखन व खरगा पंचायत में प्रोग्राम हुए।

मन्नत कला मंच कुल्लू द्वारा उपरोक्त पंचायतों मे जनता को कार्यक्रम आयोजित कर गीत संगीत व नाटक के माध्यम से जानकारियां दी गई। इसी कड़ी में शनिवार को पोशना व तुनन  पंचायतों में कार्यक्रम होंगे।

               मंच के संयोजक नवनीत भारद्वाज ने कार्यक्रम संबंधित जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार को मंच के कलाकारों में खूबराम. गोपाल.मानचंद.आशा शर्मा.  चंपा ने जहाँ कुल्लवी नाटी,’पानी घटी नहीं लो जिंदगी’,समूह गीत,’जागो भइया जागो आज,कुएं बौड़ियाँ सूख रही है, बिन पानी जीवन सुनसान’, आदि गीतों से खूब मनोरंजन किया।

वहीं नवनीत भारद्वाज,अशोक,संजय कुमार,चम्पा आदि ने कार्यक्रम में “जल है तो कल है”,नामक नाटक के माध्यम से लोगों को जल संरक्षण,पानी की शुद्धता, प्रकृतिक जल स्रोतों के सरंक्षण व संवर्धन बारे विस्तृत जानकारियां दी।

आज हुए कार्यक्रम में कुशवा के प्रधान कैलाश वामटा,बखन पंचायत प्रधान मिथलेश कौशल, उपप्रधान रोशन लाल डोगरा,वार्ड पंच सीता ,उर्मिला, राजेश कुमार, राजेश व खरगा पंचायत के नेसु राम,महिला मंडल सहित अन्य ग्रामीण भी शामिल रहे ।

उपनिदेशक सह परियोजना अधिकारी सुरजीत सिंह ने कार्यक्रम संबंधित जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना व वाटरशेड न्यू जनरेशन कार्यक्रम के तहत जल संरक्षण, जिसमें वर्षाजल का संरक्षण कर पर्वतीय, पठारी और ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रबन्धन किया जाएगा। जिसका उपयोग सिंचाई के साथ-साथ वन, पर्यावरण एवं पारिस्थिकी के संरक्षण में किया जा सकेगा।

पूरे देश में वर्षा के जल को अपव्यय से रोकने के लिये ग्रामीण स्तर पर गड्ढे खोदकर, तालाब एवं पोखरों में जल संग्रहित करने के लिये आधारभूत ढाँचे का विकास किया जाएगा।नवीन जलस्रोतों के निर्माण के साथ पुराने जलस्रोतों का जीर्णोंद्धार कर जल संचयन पर बल दिया जाएगा।

ग्रामीण स्तर पर परम्परागत जलस्रोतों, तालाबों, कुओं आदि जल संग्रहणों की मरम्मत, सुधार और नवीनीकरण कर जल संचयन की क्षमता बढ़ाकर जल संरक्षण किया जाएगा।

Share from A4appleNews:

Next Post

जुनिपर यानी धूप की नर्सरी एवं पौधरोपण तकनीक विकसित, शीत-मरूस्थल के वानिकीकरण में होगी महत्वपूर्ण भूमिका

Sat Jul 23 , 2022
एप्पल न्यूज़, शिमला जुनिपर (पेंसिल सिडार) उत्तर-पश्चिम हिमालयी क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण शंकुधारी वृक्ष है। भारत वर्ष में यह वृक्ष मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश के किन्नौर एवं लाहौल और स्पीति जिले में और जम्मू-कश्मीर के गुरेज घाटी और लद्दाख क्षेत्र तथा उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता […]

You May Like

Breaking News