एप्पल न्यूज़, शिमला
स्व वीरभद्र सिंह… हिमाचल की राजनीति के ‘स्टालमार्ट’… निधन के डेढ़ साल बाद आज भी हिमाचल की राजनीति वीरभद्र सिंह के इर्द-गिर्द ही घूम रही है।
उनका कद इतना ऊंचा है कि उनके समानांतर भी कोई नजर नहीं आ रहा। कांग्रेस पार्टी के हर पोस्टर ही नहीं बल्कि मेनिफेस्टो के कवर पेज पर भी वीरभद्र सिंह ही हैं।
यूं भी हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और वीरभद्र सिंह एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। कांग्रेस के हर नेता की जुबान पर वीरभद्र सिंह का ही नाम है। हिमाचल की जनता तो उन्हें अपने दिलों में बसाकर रखे है। और उनके खिलाफ शायद ही कोई सुनना चाहे।
वीरभद्र सिंह कांग्रेस कार्यकर्ताओं ही नहीं विपक्ष के भी खासे चहेते थे। भाजपा, माकपा हो या फिर RSS सब वीरभद्र सिंह के कद्रदान थे और हैं।
चुनाव हैं तो निश्चित तौर पर विपक्षी भाजपा ने निशाना भी साधना ही था। बहुत कोशिश रही कि वीरभद्र सिंह पर निशाना साधे लेकिन हर वार खाली गया और जनता ने इसे पूरी तरह से नकार दिया।
यूं लग रहा था कि शायद लोग अब वीरभद्र सिंह को भूल रहे हैं लेकिन इसी बीच प्रचार के लिए राजस्थान के स्टालमार्ट लीडर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शिमला पहुंचे।
शिमला में उन्होंने प्रेस कान्फ्रेंस की तो हर जुबान पर फिर वीरभद्र सिंह का नाम आ गया। गहलोत के बोलने, बैठने और मुद्दों पर बात करने का तौर तरीका हूबहू वीरभद्र सिंह से मेल खाता है। हाँ, कद काठी जरूर अलग है।
जैसी गहलोत की आवाज, ऐसा लगता था मानो खुद वीरभद्र सिंह बोल रहे हैं।
और ऐसे में पत्रकार दीर्घा में हर जुबान पर चर्चा होने लगी और फिर याद आने लगे “वीरभद्र सिंह”।
वो वीरभद्र सिंह जिन्होंने हिमाचल में कांग्रेस को सींचा, सत्ता में बैठे। एक छोटी सी पहाड़ी रियासत बुशहर के राजा से समूचे हिमाचल के राजा बने और फिर केंद्र में मंत्री और राज हर दिल पर किया।
एक ऐसे नेता जिन्होंने कभी अपने उसूलों के साथ समझौता नहीं किया। जिद पर आ जाए तो पार्टी आलाकमान को भी उनके आगे झुकना पड़ता था। क्योंकि उनके साथ ‘जनबल’ था। और वो जनबल आज भी उन्हें अपना ही मानता है।
आज हम सब के बीच नहीं फिर भी हर दिल मे आज भी ‘राजा’ बसते हैं। और नारे भी लगाते है “राजा नहीं फकीर है हिमाचल की तकदीर है”…. हो भी क्यों न ये वही वीरभद्र सिंह है जिन्होंने आधुनिक हिमाचल का निर्माण किया, विकास की नींव रखी। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी, बिजली, भवन निर्माण और आधुनिक हिमाचल का निर्माण किया, प्रदेश के चप्पे चप्पे पर विकास के हर निर्माण में वीरभद्र सिंह के नाम की पट्टिका नजर आती है।
और जब इस दुनियां से रुखसत हुए तो लोग बोले…. देखो देखो कौन आया- शेर आया शेर आया…..
वाकई हर दिल अजीज राजा वीरभद्र सिंह एक शेर की तरह ही जिये और शेर की तरह ही आज भी राज कर रहे हैं। बस अशोक गहलोत ने याद दिला दी और हम खो गए उनकी याद में।
कृपया इसे राजनीति या दल विशेष से न जोड़ें।