एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल हाईकोर्ट ने मंगलवार को पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू और एसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री को पद से हटाने के निर्देश दिए हैं।
न्यायालय ने निष्पक्ष जांच के लिए हिमाचल से संबंध रखने वाले नोएडा के कारोबारी निशांत शर्मा मामले की जांच पूरी होने तक दोनों अधिकारियो को इन पदों से हटाकर कहीं और तैनाती के आदेश दिए हैं।
महाधिवक्ता अनूप रत्न ने बताया कि न्यायालय ने मामले में डीजीपी और कांगड़ा की एसपी को पदो से हटाकर किसी और पद पर तैनात करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है जब तक यह पदों पर रहेंगे निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती।
एसपी कांगड़ा को मामले में उपयुक्त कार्यवाही न करने की बात कही है। कोर्ट ने कहा है कि न्याय होने के साथ दिखना भी चाहिए ऐसे में पदों से जांच होने तक पदों से स्थानांतरित करने को कहा है।
उन्होंने बताया कि डीजीपी ने निशांत को फोन कॉल की है और पीड़ित को सर्विलेंस पर रखा है पुलिस कर्मचारियों को आदेश दिए। ऐसे में कोर्ट ने कहा है कि इनकी पदों पर रहते हुए निष्पक्ष जांच की उम्मीद नही है।
हाईकोर्ट ने पालमपुर के व्यापारी निशांत कुमार शर्मा की शिकायत के आधार पर दर्ज एफआईआर की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए यह आदेश दिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 4 जनवरी को होगी।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने गृह सचिव को शीघ्र ही जरूरी कदम उठाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने पुलिस के इन दोनों अधिकारियों को ऐसे पदों पर तैनात करने के आदेश दिए हैं, जहां से वे प्राथमिकियों की जांच को प्रभावित न कर सकें।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पता नहीं क्यों, गृह सचिव ने अपनी आंखे मूंद ली हैं। कोर्ट ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच और न्याय न केवल होना चाहिए, बल्कि दिखना भी चाहिए। ऐसे में दोनों अधिकारियों का मौजूदा पदों पर रहना वाजिब नहीं होगा।
इस मामले में प्रार्थी निशांत ने अपने और अपने परिवार की सुरक्षा पर खतरे के बारे हाईकोर्ट को ईमेल के माध्यम से अवगत करवाया था।
इसी ईमेल को आपराधिक रिट याचिका में तब्दील करते हुए हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित कर एसपी शिमला और एसपी कांगड़ा से कहा था कि वे निशांत को उचित सुरक्षा मुहैया कराएं।
पिछली सुनवाई के दौरान एसपी कांगड़ा की ओर से बताया गया था कि प्रार्थी की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी में लगाए आरोपों की जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कांगड़ा को सौंपी जा चुकी है।
एसपी शिमला ने इस मामले में ऊंचे लोगों की संलिप्तता का अंदेशा जताया था। जांच में पाया गया कि डीजीपी उक्त कारोबारी द्वारा बताए गए एक रसूखदार व्यक्ति के संपर्क में रहे।
डीजीपी ने 27 अक्टूबर को निशांत को 15 मिस्ड कॉल की। डीजीपी ने कारोबारी पर निगरानी रखी। एसपी कांगड़ा ने मामले में देरी से प्राथमिकी दर्ज करने का कोई कारण नहीं बताया।
एसपी कांगड़ा कोर्ट को यह भी नहीं बता पाई कि एसपी शिमला की जांच में सामने आए तथ्यों का उपयोग कांगड़ा में दर्ज प्राथमिकी की जांच में क्यों नहीं किया गया।
कोर्ट ने कहा कि इन तथ्यों के मद्देनजर मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने हेतु उन्हें यह मामला अपने हाथों में लेने पर मजबूर होना पड़ा।
पूरा मामला
निशांत कुमार शर्मा ने 28 अक्टूबर 2023 को हाईकोर्ट को ई-मेल के माध्यम से अपने और अपने परिवार की जान को खतरे की बात लिखी थी। प्रार्थी ने लिखा है कि वह चिंतित और भयभीत है कि उन्हें या तो पुलिस प्रमुख संजय कुंडू जान से मार देंगे या उन्हें गंभीर रूप से डराया-धमकाया जाएगा।
कारोबारी ने लिखा कि गुरुग्राम में उन पर हमला हो चुका है, जिसमें वे बच गए। वारदात की रिपोर्ट को वापस लेने के लिए उस पर दो बाइक सवार व्यक्तियों ने भागसूनाग और मैक्लोडगंज के बीच वाले रास्ते में रोक कर धमकाया।
डीजीपी कार्यालय से उसे एक ही दिन में 14 फोन आए। उसे डीएसपी व एसएचओ पालमपुर ने भी फोन किए। एसएचओ पालमपुर ने व्हाट्सएप मैसेज कर बताया कि डीजीपी उससे बात करना चाहते हैं, इसलिए उसे डीजीपी कार्यालय में वापिस कॉल कर लेनी चाहिए।
कॉल बैक करने पर डीजीपी ने कहा कि निशांत तुम शिमला आओ और उनसे मिलो। इस पर जब उसने कहा कि वह क्यों उनसे मिले तो डीजीपी ने कहा कि उसे शिमला आना होगा और उनसे मिलना होगा।
ईमेल के माध्यम से निशांत ने हिमाचल के ही दो रसूखदार लोगों पर उससे जबरन वसूली का दबाव बनाने की बात कही है।
मुख्य न्यायाधीश ने ईमेल पर संज्ञान लेते हुए प्रशासनिक आदेशों से इसे अपराधिक रिट याचिका पंजीकृत करने के आदेश दिए थे। कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद ही प्रार्थी के आरोपों की प्राथमिकी कांगड़ा जिला में दर्ज की गई थी।