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“समग्र शिक्षा” के बेहतर कार्यान्वयन से अबकी बार हिमाचल को मिले रिकार्ड 966 करोड़, STARS प्रोजेक्ट के लिए भी मिले 305 करोड़

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एप्पल न्यूज़, शिमला
हिमाचल ने समग्र शिक्षा का बेहतर क्रियान्वयन किया है। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने भी हिमाचल की इसके लिए तारीफ की है। यही वजह है कि केंद्र सरकार से अबकी बार रिकार्ड 966 करोड़ रुपए हिमाचल को मिले है।

समग्र शिक्षा के परियोजना निदेशक राजेश शर्मा पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हिमाचल में समग्र शिक्षा पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में केंद्र सरकार से मिले 817.61 करोड़ रुपए को पूरा खर्च करने में कामयाब रहा है।

यह पहली दफा है कि हिमाचल समग्र शिक्षा ने 100 फीसदी फंड खर्च किया है. इससे पहले हिमाचल समग्र शिक्षा केंद्र से मिले फंड को पूरी तरह से खर्च नहीं कर पा रहा था।

राजेश शर्मा बताया कि 2021-22 में केंद्र से हिमाचल को समग्र शिक्षा के लिए 629.08 करोड़ मिले थे जिसमें से 428.21 करोड़ उस वित्तीय वर्ष में खर्च पाए जो कि कुल राशि का 68.07 फीसदी है।

वित्तीय वर्ष 2022-23 में हिमाचल को समग्र शिक्षा के लिए 709.82 करोड़ मिले थे, उनमें से 523.79 करोड़ रुपए यानी 73.79 फीसदी राशि खर्च हो पाई थी।

इसके विपरीत 2023-24 के वित्तीय वर्ष में पहली बार हिमाचल समग्र शिक्षा का पूरा 817.61 करोड़ खर्च करने में कामयाब रहा है जिसके चलते भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए हिमाचल को समग्र शिक्षा के तहत 966 करोड़ का फंड जारी किया है।

STARS प्रोजेक्ट के तहत हिमाचल को मिले 305 करोड़

राजेश शर्मा ने कहा कि STARS प्रोजेक्ट के तहत भी इस बार हिमाचल को अधिक राशि मिली है क्योंकि हिमाचल ने पिछले वित्तीय वर्ष में केंद्र से मिली तकरीबन पूरी राशि खर्च की है।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में हिमाचल को केंद्र से 274.74 करोड़ का फंड मिला था जिसमें से 272.21 करोड़ रुपए खर्च किए गए।

इससे पहले वित्तीय वर्ष 2022-23 में हिमाचल को मिले 243.69 करोड़ में से मात्र 36.93 करोड़, 2021-22 में 54 करोड़ में से मात्र 7.17 करोड़ ही खर्च हो पाए, जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में मिले 11.28 करोड़ में से कोई भी राशि खर्च नहीं हो पाई थी।

राजेश शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार से मिले फंड के पूरी तरह से खर्च करने पर हिमाचल सरकार के खजाने पर भी कम आर्थिक बोझ पड़ता है। उन्होंने कहा कि समग्र शिक्षा ने प्रारंभिक और उच्च शिक्षा निदेशालय के साथ मिलकर काम किया है।

वहीं आईसीटी, स्मार्ट क्लास रूम या अन्य आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए समय पर टेंडर किए गए, और इनमें पूरी पारदर्शिता बरती गई है।

इस तरह समग्र शिक्षा और STARS प्रोजेक्ट का पैसा अब वापस केंद्र सरकार को नहीं जा रहा. यही वजह है कि इस बार केंद्र सरकार के शिक्षा सचिव ने भी हिमाचल द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की है।

हिमाचल में शिक्षा की गुणवत्ता पर फोकस

समग्र शिक्षा परियोजना निदेशक ने कहा कि हिमाचल शिक्षा की गुणवत्ता पर फोकस कर रहा है। इसकी लगातार मॉनिटरिंग भी की जा रही है।
उन्होंने कहा कि स्टेट इंस्टीयटूय आफ एजुकेशन मैजनेजमेंट एंड ट्रैनिंग (SIEMAT) शामलाघाट के लिए भारत सरकार से करीब 9 करोड़ का फंड मिला है। इस संस्थान में शिक्षकों को उच्च कोटि की ट्रैनिंग दी जाएगी।

इसके लिए उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में बने SIEMAT का अध्ययन भी किया जाएगा। इसके आधार पर इसको हिमाचल में लागू करने की सिफारिश सरकार से की जाएगी।

यहां बढ़िया खेल मैदान, क्लास रूम और गेस्ट हाउस की सुविधा देगे। इसी तरह शिमला और सिरमौर में एक्सीलेंस डाइट बनाए जा रहे हैं। इनके लिए केंद्र से 15 करोड़ मिले हैं।

शिक्षक ने बदली शिक्षा की तस्वीर, अब कर्मचारी भी इसी स्कूल में पढा रहे अपने बच्चे
समग्र शिक्षा परियोजना निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा प्रदान करने की दिशा में समग्र शिक्षा द्वारा प्रयास किए जा रहे है।

वहीं शिक्षक भी गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा देने में बड़ा योगदान दे रहे हैं। ऐसा ही एक स्कूल चंबा के चुवाड़ी का कुठेड़ प्राइमरी स्कूल है जहां आशीष बहल नामक एक जेबीटी शिक्षक बच्चों को एक्सीपिरियंशल लर्निंग सिखा रहे हैं।

इसका नतीजा है कि सरकारी विभागों के कर्मचारी भी निजी स्कूल की बजाए इस स्कूल में बच्चों को दाखिल करवा रहे है। पिछले तीन सालों में यहां बच्चों की संख्या 20 से 80 हो गई है।

उन्होंने कहा कि समग्र शिक्षा का प्रयास निजी स्कूलों से बच्चों को सरकारी स्कूलों में लाने का है।

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