एप्पल न्यूज, शिमला
तकनीकी शिक्षा एवं नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने राज्य सरकार द्वारा सीमेंट की कीमत पाँच रुपये प्रति बैग करने के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने से राज्य को भारी नुकसान हुआ है इसलिए सीमेंट की दरों का युक्तिकरण आवश्यक हो गया था।
पहले से ही आपदाओं की मार झेल रहे राज्य को जीएसटी परिषद द्वारा सीमेंट की दरें 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने से लगभग 1000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष नुकसान हुआ है।
मंत्री ने कहा कि मूल्य वर्धित कर (वैट) व्यवस्था के दौरान, जीएसटी से पहले राज्य का राजस्व लगभग 16 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा था। जून, 2017 के बाद उपभोग आधारित कराधान प्रणाली जीएसटी के युक्तिकरण के बाद राजस्व घटकर मात्र 7 से 8 प्रतिशत रह गया।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का यह निर्णय बड़े राज्यों को लाभ पहुंचाने के लिए है जहां खपत अधिक है। लेकिन हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर तथा उत्तराखंड जैसे राज्य इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद ने आश्वासन दिया था कि हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों को नुकसान की भरपाई की जाएगी और राजस्व वृद्धि वैट व्यवस्था के दौरान 16 प्रतिशत तक पहुंचने तक क्षतिपूर्ति उपकर प्रदान किया जाएगा। आवश्वासन के बावजूद, जून 2022 में यह क्षतिपूर्ति उप-कर बंद कर दिया गया। नतीजतन, राज्य के पास राजस्व सृजित करने के संसाधन कम हो गए जिसका विपरीत प्रभाव वित्तीय स्थिति पर पड़ा।
राजेश धर्माणी ने कहा कि राज्य के पास जो संसाधन उपलब्ध हैं, उनमें संसाधन सृजन के अधिक विकल्प नहीं हैं। प्रदेश को वर्ष 2023 से लगातार मानसून की तबाही झेलने के कारण लगभग 16,000 करोड़ रुपये के नुकसान के साथ आपदाओं का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
जीएसटी परिषद द्वारा सीमेंट पर जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने के निर्णय से राज्य वित्तीय रूप से घाटे में चला गया है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक और सीमेंट की कीमतों में कमी के बाद राज्य को लगभग 1000 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ है और इसी कारण से सरकार ने सीमेंट की दर बढ़ाकर मात्र पांच रुपये कर दी है, लेकिन इससे भी राज्य को युक्तिकरण के कारण हुए नुकसान की भरपाई नहीं हो सकेगी।
उन्होंने कहा कि कम जनसंख्या वाला एक छोटा पहाड़ी राज्य होने के कारण हिमाचल में बेहतर प्रवर्तन और रिटर्न के समय पर अनुपालन आदि के बावजूद खपत में वृद्धि की बहुत कम संभावना है।
जीएसटी राजस्व में कम वृद्धि के अलावा, जीएसटी मुआवजे को बंद करने से भी राज्य के खजाने पर काफी दबाव पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी मुआवजे के अभाव में राज्य को जुलाई 2025 तक 17,000 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ है। उन्होंने विपक्ष के बयान का खंडन करते हुए कहा कि अगर वे वित्तीय ढांचे को बेहतर ढंग से समझ पाते, तो सीमेंट के एक बैग पर पाँच रुपये की बढ़ोतरी पर इतना हंगामा नहीं करते।
उन्हें समझना चाहिए कि जीएसटी को तर्कसंगत बनाने से राज्य को 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। सिर्फ सीमेंट पर जीएसटी कम करने से ही राजस्व में 150 से 200 करोड़ रुपये की कमी आएगी, जिससे राज्य के खजाने पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा।
श्री धर्माणी ने कहा कि जीएसटी के युक्तिकरण से हिमाचल प्रदेश को कुल मिलाकर लगभग 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है जबकि युक्तिकरण से पहले लगभग 5300 करोड़ रुपये मिल रहे थे।
हालांकि जीएसटी में कमी लाने से गरीब और मध्यम वर्गांे को अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में राहत मिलेगी लेकिन करों से प्राप्त होने वाले राजस्व का उपयोग विकासात्मक कार्यों के लिए किया जाता था। अब लगभग एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने से विकास कार्य प्रभावित होंगे।






