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शिमला राम मंदिर में “साईं की प्रतिमा”, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने किया बहिष्कार, जाखू मंदिर से की “गौ ध्वज” स्थापना

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बोले- हिंदू धर्म मे पहले से ही 33 कोटी देवी देवता, ऐसे में किसी अन्य धर्म के व्यक्ति की मूर्ति का नहीं कोई मतलब

एप्पल न्यूज, शिमला

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में नया विवाद शुरू हो गया है। शिमला में स्थित राम मंदिर में साईं की मूर्ति को लेकर उत्तर दिशा के ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 1008 ने शिमला के राम मंदिर में गो ध्वज की स्थापना और महायज्ञ करने पहुंचे थे।

मंदिर में साईं की मूर्ति होने की वजह उन्होंने कार्यक्रम का बहिष्कार कर राम मंदिर के बजाय जाखू मंदिर में गौ ध्वज की स्थापना की और अपना सन्देश दिया।

शंकराचार्य देशभर में गो हत्या को रोकने और गो माता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए जागरूक कर रहे है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भी राम मंदिर में शंकराचार्य गो ध्वज की स्थापना के लिए पहुंचे थे।

मंदिर में साईं की मूर्ति होने की वजह से उन्होंने कार्यक्रम का बहिष्कार कर जाखू मंदिर में ध्वज स्थापना की और राममंदिर में महायज्ञ कार्यक्रम में गए बिना ही वापिस लौट गए है।शंकराचार्य वीरवार सुबह सबसे पहले शिमला के प्राचीन मंदिर जाखू पहुंचे।

जहां गौ ध्वज की स्थापना कर अपना एक संदेश दिया है जिसमे उन्होंने कहा है किं राम मन्दिर में साईं की मूर्ति होने की वजह से शंकराचार्य राम मंदिर नहीं गए उन्होंने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है। 

शंकराचार्य के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेंद्र योगिराज सरकार ने जानकारी दी कि उन्होंने पहले ही राम मंदिर से साईं की मूर्ति हटाने को कहा था, लेकिन नहीं हटाई गई।

ऐसे में शंकराचार्य ने जाखू मंदिर से ही गो ध्वज फहराया और वहीं से वापिस देहरादून लौट गए है।

हिंदू धर्म मे पहले ही 33 करोड़ देवी देवता है। ऐसे में किसी अन्य धर्म के व्यक्ति की मूर्ति (प्रतिमा) का कोई मतलब नही है।

शंकराचार्य देशभर में जहां भी मन्दिर में साईं की मूर्ति वहां पूजा नही करते है इसलिए उन्होंने इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है।

बता दें अयोध्या राम मंदिर में भी शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने शास्त्र और वेदों के माध्यम से अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने वाली भूमि को राम जन्म की भूमि होने का प्रमाण दिया था। गो माता को पशु की श्रेणी से हटाकर राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया है।

22 सितंबर को अयोध्या में राम मंदिर में गो ध्वज स्थापना और जयघोष के साथ यह यात्रा शुरू हुई है। इसमें उनके अनुसार 33 राज्यों की राजधानी में गो ध्वज फहराया जा रहा है। 25 हजार 600 किलोमीटर की यात्रा 27 अक्तूबर को वृंदावन बांके बिहारी मंदिर में गो ध्वज फहराने के साथ समाप्त होगी।

राजधानी शिमला 33वां राज्य है जहां गो ध्वज फहराया गया। इसी कड़ी में धर्म, संस्कृति और गो माता के सम्मान के महायज्ञ में आज सनातन धर्म के ध्वज को राम मंदिर के शिखर पर फहराने का कार्यक्रम था, जिसका शंकराचार्य ने बहिष्कार किया।

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