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हरिमन शर्मा को पद्मश्री, 5 देशों 29 राज्यों के एक लाख किसानों को भेजे 14 लाख से अधिक HRMN 99 पौधे

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एप्पल न्यूज, बिलासपुर

हरिमन शर्मा, हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले की घुमारवीं तहसील से एक प्रगतिशील किसान हैं, जिन्हें 2025 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें कृषि के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान और अभिनव प्रयासों के लिए दिया गया।

हरिमन शर्मा ने सेब की एक विशेष किस्म ‘HRMN 99’ विकसित की, जो कम ठंडे इलाकों में उगाई जा सकती है। यह किस्म समुद्र तल से मात्र 1,800 फीट की ऊँचाई पर फलती-फूलती है, जो इसे अपनी तरह का पहला और अद्वितीय नवाचार बनाती है।

HRMN 99 की विशेषताएँ और महत्व
यह सेब की किस्म स्कैब रोग प्रतिरोधी है, जिससे इसे उगाना किसानों के लिए आर्थिक रूप से व्यावहारिक बनाता है। पारंपरिक सेब की खेती ठंडे और ऊँचाई वाले क्षेत्रों तक सीमित रहती थी, लेकिन HRMN 99 ने इस धारणा को तोड़ दिया।

इस नवाचार ने उन किसानों के लिए सेब की खेती को संभव बना दिया, जो पहले इसे अपनाने में असमर्थ थे। इसके अलावा, यह किस्म जलवायु परिवर्तन के कारण बदलती परिस्थितियों में कृषि के लिए एक समाधान साबित हो रही है।

हरिमन शर्मा के प्रयासों का परिणाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देखा जा सकता है। भारत और अन्य देशों में 14 लाख से अधिक HRMN 99 पौधों के साथ 1 लाख से अधिक किसानों ने इस किस्म को अपनाया।

राष्ट्रीय नवप्रवर्तन फाउंडेशन ने इस किस्म के गोद लेने और इसके फलने के अध्ययन के लिए सभी 29 राज्यों में 33,000 पौधे लगाए।

यह सफलता न केवल भारत तक सीमित रही, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, जाम्बिया और जर्मनी जैसे देशों में भी हरिमन शर्मा के नवाचार को व्यापक स्वीकृति मिली।

किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव
हरिमन शर्मा के प्रयासों ने लाखों किसानों के जीवन को बेहतर बनाया। 6,000 से अधिक किसानों को 1.9 लाख से अधिक सेब के पौधे वितरित किए गए। इससे उनके जीवन में न केवल आर्थिक सुधार हुआ, बल्कि उन्होंने अपने पारंपरिक कृषि तरीकों में नवाचार को अपनाया।

अन्य फसलों पर भी ध्यान
हरिमन शर्मा ने केवल सेब की खेती तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने अपने बगीचों में आम, कीवी और अनार जैसी फसलें भी उगाईं। उनका यह दृष्टिकोण बहु-फसली खेती को प्रोत्साहित करता है, जो किसानों को विभिन्न फसलों से आय प्राप्त करने में मदद करता है।

हरिमन शर्मा की प्रेरणा
हरिमन शर्मा का जीवन उन किसानों के लिए प्रेरणा है, जो पारंपरिक खेती से परे जाकर कुछ नया करना चाहते हैं। उनके प्रयास यह दिखाते हैं कि सीमित संसाधनों के बावजूद नवाचार और दृढ़ता के साथ असंभव को संभव बनाया जा सकता है। उनका यह योगदान कृषि और बागवानी के क्षेत्र में एक नई दिशा स्थापित करता है।

हरिमन शर्मा को पद्मश्री से सम्मानित किया जाना इस बात का प्रमाण है कि जमीनी स्तर पर किए गए प्रयास न केवल स्थानीय बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रभाव डाल सकते हैं।

उनके नवाचार ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाया और यह दिखाया कि भारतीय कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाने की असीम संभावनाएँ हैं।

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