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संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने केंद्र से मांगा NPS का 9200 करोड़, CM को सौंपेंगे “डिमांड चार्टर”, 11 को होगी “महापंचायत”- वीरेन्द्र

एप्पल न्यूज, शिमला

हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ कि राज्य कार्यकारिणी की बैठक रोटरी क्लब शिमला में अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान की अध्यक्षता में हुई। जिसमें पूरे प्रदेश के अलग-अलग विभागों की यूनियनों से आए हुए चुने हुए पदाधिकारीयों ने भाग लिया जिसमें मुख्यतः महासचिव हीरालाल वर्मा, पैटर्न गोविंद चित्रांटा,कुलदीप खरवाड़ा ,अरुण गुलरिया चीफ ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री कामेश्वर शर्मा , वरिष्ठ उपाध्यक्ष वनिता सकलानी, उपाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र डोगरा ,डॉक्टर बीएस दिलटा,डॉ नितिन व्यास ,गीता राम शर्मा डिप्टी जनरल सेक्रेटरी तिलक नायक ,मनोज शर्मा , तारा दत शर्माआदि प्रमुख सदस्यों ने भाग लिया।

सामूहिक तौर पर निर्णय लिया गया कि सभी कर्मचारियों की मांग पर एक एजेंडा तैयार करके सरकार को सौपा जाएगा।
बैठक में केंद्र सरकार द्वारा 2025 के लिए जो बजट पारित किया गया उसमें कर्मचारियों की 12 लाख 75000 तक की आय को टैक्स में छूट दी गई है जिसका सभी कर्मचारियों ने जहां स्वागत किया।

वहीं यह भी मांग की गई कि केंद्र सरकार के पास एनपीएस कर्मचारियों का एनएसडीएल कंपनी के पास लगभग 9200 करोड रुपए की राशि पड़ी है जिसे केंद्र सरकार शीघ्र ही हिमाचल सरकार को लौटा दे जिससे कर्मचारियों की देनदारी शीघ्र दी जा सके।

संघ का यह मानना है कि यदि यह राशि राज्य सरकार को मिल जाती है तो इससे कर्मचारियों की बकाया राशि जो की 10 हजार करोड़ से अधिक है का भुगतान हो पाएगा। बैठक में जो प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार को देने के लिए तैयार किए गए उसमें मुख्यत कर्मचारियों का 11% डीए का बकाया और इसके अतिरिक्त डीए के एरियर की बकाया राशि सहित छठे वेतन आयोग के एरिया की बकाया राशि देने की मांग की गई है।

4- 9- 14 टाइम स्केल को बहाल करने की मांग और जिन कर्मचारियों को पिछला 4- 9- 14 टाइम स्केल का लाभ नहीं मिला है उसे चरण वध तरीके से कर्मचारियों को देने ,कॉलेज और यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को करियर एडवांसमेंट स्कीम यूजीसी की तर्ज पर देने, ओल्ड पेंशन स्कीम से छूटे हुए कर्मचारी विभागों, बोर्डों , निगमो को पेंशन बहाल करना जिसमें मुख्यतः स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड ,कॉरपोरेशन, जिला परिषद सदस्य शामिल है।

यूपीएस स्कीम का सभी कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया और हिमाचल में यूपीएस को बहाल नहीं किया जाए ,सभी विभागों बोर्ड निगमन में खाली पड़े पदों को भरने और किसी भी विभाग, बोर्ड, निगम में पदों को समाप्त करने पर सभी कर्मचारी संगठनों ने आपत्ति व्यक्त की और सरकार से मांग की कि किसी भी तरह की पदों को समाप्त करने से पहले स्टेक होल्डर से सरकार बात करके ही उनकी सहमति से कोई निर्णय ले।

करुणा मूलक आधार पर सभी विभागों में पदो को भरने और इनकम सीलिंग क्राइटेरिया को 6 लाख तक बढ़ाने की मांग की गई, एचआर टीसी को रोडवेज का दर्जा देने और एचआर टीसी कर्मियों के ओवर टाइम की बकाया राशि जिसे मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री ने जारी करने की घोषणा की थी उसे अभी तक नहीं दिया गया है जिसे सरकार तुरंत जारी कर कर्मचारियों को राहत दे।

बिजली बोर्ड में जो 600 पदों को समाप्त करने के लिए चिन्हित किए गए है उस पर रोक लगाई जाए , विघटन और निजीकरण को ना किया जाए, किसी भी विभाग में पदो को समाप्त करने की बजाय उसे बढ़ाने की दिशा में काम किया जाए।

नए पे कमीशन के अनुसार मेडिकल अलाउंस को ओपन करने के लिए ऑप्शन बहाल की जाए ,सभी तरह के अलाउंस जिसमें HRA, मेडिकल या अन्य भत्ते सेंटर पैटर्न के आधार पर बढ़ाए जाए , चाइल्ड केयर लीव सभी पात्र महिला कर्मचारी को दी जाए ,कॉरपोरेट सेक्टर में भी मेडिकल रिमरसमेंट की फैसिलिटी बहाल की जाए, जिस तरह से कांट्रेक्ट एंप्लाइज सर्विस विधेयक पारित किया गया उसी तर्ज पर OPS विधेयक भी विधानसभा में लाया जाए और उसे भी पारित किया जाए।

सभी कर्मचारी संगठनों ने कांट्रेक्ट एम्पलाई सर्विस बिल का विरोध किया और उसे वापस करने की मांग की स्टडी लीब के दौरान कर्मचारियों को विशेष कर अध्यापको और डॉक्टर को पूरी सैलरी दी जाए, जिला परिषद के कर्मचारियों को पंचायती राज के अंतर्गत लाया जाए और उन्हें भी पेंशन दी जाए ,पटवारी, कानूनगो और पुलिस को स्टेट कैडर के बजाय जिला केडर में रखा जाए।

सभी आउटसोर्स के दायरे के कर्मचारियों को सरकारी विभाग में लाकर उन्हें नियमित किया जाए, शिक्षा विभाग में PTA टीचर्स , कंप्यूटर और वोकेशनल टीचर्स को पॉलिसी के तहत लाकर नियमित किया जाए, भविष्य में आउटसोर्स पीरियड बेस या गेस्ट टीचर फैकल्टी का विरोध किया गया और इस तरह के सिस्टम के बजाय नियमित आधार पर कर्मचारियों को नियुक्ति दी जाए।

शिक्षा विभाग में 2017 के बाद प्रधानाचार्य के लगभग 2500 प्रधानाचार्य को नियमित किया जाए जिसमें से ज्यादातर प्रधानाचार्य सेवानिवृत हो चुके हैं स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर के लिए मेडिकल एक्ट लागू किया जाए जिससे डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

नगर परिषद और नगर निगम के कर्मचारी जो कि पहले OPS के दायरे में आते थे अब ना तो वह एनपीएस के दायरे में है ना ही OPS के दायरे में है इसके ऊपर स्थिति स्पष्ट कर उन्हें भी OPS बहाल की जाए, वेटनरी फार्मासिस्ट को 5 वर्गों में बांटा गया हैं जिनके अलग-अलग पे स्केल है सभी को इक्वल पे इक्वल वर्क के आधार पर एक स्केल पर लाया जाए ।

यह कुछ मुद्दे आज चर्चा में ले गए जिस पर हाउस की सहमति के बाद डिमांड चार्टर एक हफ्ते के अंदर मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को संयुक्त कर्मचारी महासंघ के द्वारा आगामी कार्यवाही के लिए और लंबित मांगों के निपटाने के लिए दिया जाएगा।

संघ उम्मीद करता है कि शीघ्र ही हिमाचल सरकार और मुख्यमंत्री संयुक्त कर्मचारी महासंघ को वार्ता के लिए बुलाकर इन मांगों को हाल करेंगे जिससे कर्मचारियों में जो असंतोष है उसको समाप्त किया जा सके और कर्मचारियों के मांगों को हल किया जा सके।

इसके अतिरिक्त यह भी निर्णय लिया गया कि संयुक्त कर्मचारी महासंघ हर जिले में बड़े-बड़े जनरल हाउस करेगा जिसकी शुरुआत फरवरी के अंतिम सप्ताह में शिमला से की जाएगी और महीने में दो जिलों में जनरल हाउस किए जायेगे जिससे संगठन की गतिविधियों को मजबूत किया जाएगा और संयुक्त कर्मचारी महासंघ के कुनबा को और बड़ा किया जा सके
हाउस में बिजली बोर्ड के द्वारा 11 फरवरी को हमीरपुर में की जा रही महापंचायत का समर्थन किया और इसमें भाग लेने का निर्णय लिया।

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