हमें “स्टेट कैडर” मंजूर नहीं, हिमाचल में पटवारी और कानूनगो हड़ताल पर, कामकाज ठप

एप्पल न्यूज, शिमला

हिमाचल प्रदेश में पटवारी और कानूनगो एसोसिएशन द्वारा घोषित हड़ताल एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक मुद्दा बन चुकी है। यह हड़ताल स्टेट कैडर प्रणाली के विरोध और मिनिस्ट्रियल स्टाफ को दिए गए 20% कोटे के खिलाफ की जा रही है। इससे राज्य में राजस्व से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्य ठप हो गए हैं और आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

प्रदेश में पटवारी और कानूनगो एसोसिएशन ने सरकार द्वारा लागू किए गए स्टेट कैडर का विरोध करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है।

इस हड़ताल के चलते राजस्व से जुड़े सभी कार्य ठप हो गए हैं, जिससे जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।


हड़ताल के प्रमुख कारण

1. स्टेट कैडर का विरोध

अब तक पटवारी और कानूनगो जिला कैडर प्रणाली के तहत काम कर रहे थे, जिसमें वे उसी जिले में पदस्थ रहते थे, जहां उनकी भर्ती हुई थी। लेकिन सरकार ने स्टेट कैडर प्रणाली लागू कर दी, जिसका अर्थ यह है कि पटवारी और कानूनगो अब पूरे राज्य में कहीं भी स्थानांतरित किए जा सकते हैं।

एसोसिएशन की आपत्तियाँ:

  • ट्रांसफर की अनिश्चितता – कर्मचारी पूरे राज्य में कहीं भी ट्रांसफर किए जा सकते हैं, जिससे परिवारों और व्यक्तिगत जीवन पर असर पड़ेगा।
  • स्थानीय प्रशासन में अस्थिरता – जिला कैडर में स्थानीय पटवारी अपने क्षेत्र और जनता की समस्याओं को बेहतर समझते हैं, जबकि स्टेट कैडर में यह संबंध कमजोर पड़ सकता है।
  • प्रमोशन चैनल पर असर – एसोसिएशन का दावा है कि स्टेट कैडर लागू करने से पदोन्नति के अवसर कम हो जाएंगे।
  • बलवान कमेटी की सिफारिशों को नज़रअंदाज़ करना – एसोसिएशन का कहना है कि सरकार को बलवान कमेटी की सिफारिशों को लागू करना चाहिए, जो जिला कैडर प्रणाली को बनाए रखने की बात कहती थी।

2. मिनिस्ट्रियल स्टाफ को 20% कोटे का विरोध

सरकार ने पटवारी और कानूनगो के पदों पर मिनिस्ट्रियल स्टाफ के लिए 20% कोटा निर्धारित कर दिया है, जिससे इन पदों पर भर्ती और पदोन्नति का तरीका बदल जाएगा।

एसोसिएशन की आपत्तियाँ:

  • मिनिस्ट्रियल स्टाफ को सीधे इन पदों पर भर्ती का लाभ मिलेगा, जबकि पटवारी और कानूनगो, जो पहले से ही फील्ड में काम कर रहे हैं, उनके प्रमोशन के अवसर कम हो जाएंगे।
  • इससे भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और योग्यता आधारित प्रणाली पर असर पड़ेगा।

हड़ताल का प्रभाव

1. राजस्व और प्रशासन पर प्रभाव

  • अब तक करीब 2 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हो चुका है, क्योंकि राजस्व विभाग से जुड़े कई कार्य रुक गए हैं।
  • राजस्व रिकॉर्ड अपडेट नहीं हो पा रहे हैं, जिससे ज़मीन संबंधी कार्यों में देरी हो रही है।
  • पुलिस भर्ती, सरकारी नौकरियों और अन्य कार्यों के लिए प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाले युवा परेशान हो रहे हैं।

2. आम जनता पर असर

  • ज़मीन के दाखिल-खारिज, रजिस्ट्रियां और अन्य राजस्व संबंधी काम लंबित हो गए हैं।
  • पुलिस भर्ती के लिए प्रमाण पत्र लेने आए युवाओं को निराश लौटना पड़ रहा है।
  • कृषि और व्यापार से जुड़े मामलों में देरी हो रही है।

3. सरकार की स्थिति

  • राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा है कि स्टेट कैडर का निर्णय सभी संगठनों से विचार-विमर्श के बाद लिया गया है।
  • सरकार ने संकेत दिया है कि अगर हड़ताल लंबी चली तो सेवानिवृत्त कर्मचारियों की मदद से कामकाज चलाया जाएगा।
  • सरकार का कहना है कि बातचीत के दरवाजे खुले हैं, लेकिन अभी तक कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है।

आगे की संभावनाएँ

1. सरकार और एसोसिएशन के बीच वार्ता हो सकती है

अगर सरकार स्टेट कैडर के नियमों में कुछ संशोधन करने को तैयार हो जाती है और प्रमोशन को लेकर कोई संतोषजनक हल निकालती है, तो हड़ताल समाप्त हो सकती है।

2. हड़ताल लंबी चल सकती है

अगर सरकार अपने निर्णय पर अड़ी रहती है और कर्मचारी पीछे नहीं हटते, तो हड़ताल लंबे समय तक चल सकती है, जिससे जनता और प्रशासन दोनों को नुकसान होगा।

3. सरकार वैकल्पिक व्यवस्था लागू कर सकती है

अगर हड़ताल ज्यादा लंबी खिंचती है, तो सरकार अन्य कर्मचारियों को अस्थायी तौर पर नियुक्त कर सकती है, जिससे पटवारी-कानूनगो का दबाव कम किया जा सके।


यह हड़ताल न केवल राजस्व विभाग, बल्कि राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पर भी असर डाल रही है। सरकार और एसोसिएशन के बीच संवाद से ही इसका समाधान संभव है।अगर कोई बीच का रास्ता नहीं निकला, तो राज्य सरकार को वैकल्पिक व्यवस्था लागू करनी पड़ सकती है, जिससे कर्मचारी और सरकार के बीच टकराव और बढ़ सकता है।

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