एप्पल न्यूज, शिमला
“मेरे शहर के 100 रत्न” कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य राज्य के मेधावी विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की निःशुल्क कोचिंग उपलब्ध कराना है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा शुरू की गई इस योजना के तहत कुल 6,800 विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।
यह योजना राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर पैदा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
“मेरे शहर के 100 रत्न” योजना हिमाचल प्रदेश के विद्यार्थियों के लिए एक क्रांतिकारी पहल है। यह सिर्फ एक कोचिंग योजना नहीं है, बल्कि शिक्षा को सशक्त बनाने और रोजगार को बढ़ावा देने की एक व्यापक रणनीति है।

इससे न केवल विद्यार्थियों को बेहतर अवसर मिलेंगे, बल्कि प्रदेश में शिक्षा और रोजगार का एक नया वातावरण तैयार होगा।
कार्यक्रम की प्रमुख बातें
1. निःशुल्क कोचिंग योजना
- इस योजना के अंतर्गत, हिमाचल प्रदेश की हर विधानसभा क्षेत्र से 100 विद्यार्थियों को निःशुल्क कोचिंग दी जाएगी।
- विद्यार्थियों का चयन एक निष्पक्ष परीक्षा के आधार पर किया जाएगा, जो विद्यालयों और महाविद्यालयों में आयोजित की जाएगी।
- इसमें कक्षा 6 और उससे ऊपर के विद्यार्थी भाग ले सकते हैं।
- चयनित 100 विद्यार्थियों को पूरी तरह निःशुल्क कोचिंग दी जाएगी।
- इसके बाद के 200 विद्यार्थियों को 75% शुल्क छूट और 500 विद्यार्थियों को 50% शुल्क छूट दी जाएगी।
2. क्रैक एकेडमी की भूमिका
- यह योजना क्रैक एकेडमी द्वारा संचालित की जाएगी, जो करीब 34 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है।
- एकेडमी परीक्षा के लिए टेस्ट पेपर तैयार करेगी और छात्रों को तब तक मार्गदर्शन देगी, जब तक वे अपनी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्त नहीं कर लेते।
- सरकार इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए एकेडमी को पूरा सहयोग देगी।
- शिक्षा विभाग परीक्षाओं का संचालन और निगरानी करेगा।
3. रोजगार के अवसर
- योजना के तहत 90 से अधिक कोचिंग सेंटर स्थापित किए जाएंगे, जिससे राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी।
- इससे 5,000 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा, जबकि कई अन्य को अप्रत्यक्ष रूप से आजीविका के अवसर प्राप्त होंगे।
4. पब्लिक लाइब्रेरी का जीर्णोद्धार
- क्रैक एकेडमी शिमला के रिज स्थित सार्वजनिक पुस्तकालय के जीर्णोद्धार और रखरखाव के लिए 1.5 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
- मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि पुस्तकालय के ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखते हुए इसे आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जाए।
5. जागरूकता अभियान
- मुख्यमंत्री ने इस योजना को जन-जन तक पहुंचाने के लिए एक मेगा जागरूकता अभियान भी शुरू किया है।
- इसका पायलट प्रोजेक्ट कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र में शुरू हुआ था, जिसमें 50 स्कूलों के विद्यार्थियों ने भाग लिया था।
- वर्तमान में 220 चयनित विद्यार्थी इस योजना के तहत कोचिंग प्राप्त कर रहे हैं।
इस योजना का लाभ
- मेधावी और आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को उच्च स्तरीय कोचिंग मिलेगी, जिससे वे NEET, JEE, UPSC, NDA, बैंकिंग, रेलवे, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकेंगे।
- राज्य में गुणवत्तापूर्ण कोचिंग सुविधा का विस्तार होगा, जिससे विद्यार्थियों को बाहरी राज्यों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
- इससे शिक्षा क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा और सरकारी व निजी भागीदारी से हिमाचल प्रदेश एक शैक्षिक हब बन सकता है।
- इससे राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।