शूलिनी यूनिवर्सिटी और रॉयल होलोवे UK के बीच 1+1 मास्टर्स “ड्युल डिग्री प्रोग्राम” के लिए MOA हस्ताक्षरित

एप्पल न्यूज, सोलन

शूलिनी यूनिवर्सिटी (सोलन, हिमाचल प्रदेश) और रॉयल होलोवे, यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन (यूके) ने एक ऐतिहासिक शिक्षा समझौते (MoA) पर हस्ताक्षर किए हैं।

यह साझेदारी भारतीय छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने और वैश्विक अवसरों तक उनकी पहुँच को आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

यह साझेदारी भारत और यूके के शैक्षिक संबंधों को मजबूत करेगी और भारतीय छात्रों को एक बेहतरीन वैश्विक शिक्षा अनुभव प्रदान करेगी।

रॉयल होलोवे की प्रतिष्ठित डिग्री और शूलिनी यूनिवर्सिटी की मजबूत आधारशिला के साथ, यह कार्यक्रम छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने के लिए आवश्यक ज्ञान और अनुभव प्रदान करेगा।

क्या है यह ड्यूल डिग्री प्रोग्राम?

इस 1+1 मास्टर्स डिग्री प्रोग्राम के तहत, छात्र:

  1. पहला वर्ष – शूलिनी यूनिवर्सिटी, भारत में अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे।
  2. दूसरा वर्ष – रॉयल होलोवे, यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन, यूके में अपनी पढ़ाई जारी रखेंगे।
  3. अंत में – छात्र रॉयल होलोवे की मास्टर्स डिग्री और शूलिनी यूनिवर्सिटी का प्रमाण पत्र प्राप्त करेंगे।

किन विषयों में उपलब्ध होगा यह कार्यक्रम?

प्रारंभ में यह ड्यूल मास्टर्स प्रोग्राम दो विषयों में उपलब्ध होगा:

  1. बायोटेक्नोलॉजी/बायोसाइंसेज
  2. साइकोलॉजी (मनोविज्ञान)

भविष्य में अन्य विषयों में भी यह कार्यक्रम विस्तारित किया जा सकता है।

प्रवेश की शर्तें और आवश्यकताएँ

  • इच्छुक छात्रों को शूलिनी यूनिवर्सिटी में मास्टर्स प्रोग्राम में दाखिला लेना होगा।
  • शूलिनी में प्रथम वर्ष की पढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद, छात्र रॉयल होलोवे में प्रवेश के लिए पात्र होंगे
  • छात्रों को अंग्रेजी भाषा दक्षता परीक्षा (जैसे कि IELTS) पास करनी होगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे रॉयल होलोवे के अकादमिक मानकों को पूरा कर रहे हैं।
  • रॉयल होलोवे में प्रवेश के लिए अन्य आवश्यक शर्तें भी पूरी करनी होंगी।

छात्रों को क्या लाभ मिलेगा?

  1. वैश्विक शिक्षा और शोध के अवसर – भारतीय छात्र यूके की विश्वस्तरीय शिक्षा प्रणाली और शोध संसाधनों का लाभ उठा सकेंगे।
  2. दो संस्थानों से प्रमाणन – छात्रों को न केवल रॉयल होलोवे की डिग्री मिलेगी, बल्कि शूलिनी यूनिवर्सिटी का प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाएगा।
  3. अंतरराष्ट्रीय करियर के अवसर – इस डिग्री से छात्रों की वैश्विक नौकरियों तक पहुँच आसान होगी और वे बहुराष्ट्रीय कंपनियों, शोध संस्थानों और उच्च शिक्षा में करियर बना सकेंगे।
  4. सांस्कृतिक विविधता का अनुभव – छात्रों को दो देशों में पढ़ाई करने का अनुभव मिलेगा, जिससे उनकी वैश्विक समझ और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा मिलेगा।
  5. शुल्क और छात्रवृत्तियाँ
    • शूलिनी यूनिवर्सिटी आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी छात्रों के लिए छात्रवृत्तियाँ (Scholarships) प्रदान करेगी।
    • यह अंतरराष्ट्रीय शिक्षा को किफायती बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए रॉयल होलोवे की सुविधाएँ

रॉयल होलोवे में पढ़ने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए कई सुविधाएँ दी जाएँगी, जिससे वे आसानी से यूके के शैक्षिक और सांस्कृतिक माहौल में घुल-मिल सकें। इनमें शामिल हैं:

  • फ्री एयरपोर्ट पिकअप सेवा – छात्रों के यूके पहुँचने पर उन्हें हवाई अड्डे से विश्वविद्यालय तक निःशुल्क ले जाया जाएगा।
  • ‘न्यू टू द यूके’ कार्यक्रम – नए छात्रों के लिए एक विशेष ओरिएंटेशन कार्यक्रम ताकि वे नए देश में समायोजित हो सकें।
  • ‘होम अवे फ्रॉम होम’ योजना – अंतरराष्ट्रीय छात्रों को एक सुरक्षित, स्वागतपूर्ण और सहयोगी वातावरण प्रदान करने के लिए यह योजना चलाई जाएगी।

शूलिनी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. अतुल खोसला ने कहा: “रॉयल होलोवे के साथ यह सहयोग हमारे छात्रों को विश्व स्तरीय शिक्षा और शोध के अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह शूलिनी यूनिवर्सिटी को वैश्विक शिक्षा के केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।”

रॉयल होलोवे, यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन की वाइस चांसलर प्रो. जूली सैंडर्स ने कहा: “हमें शूलिनी यूनिवर्सिटी के साथ अपनी दीर्घकालिक साझेदारी को अगले स्तर तक ले जाने की खुशी है। यह सहयोग छात्रों को शोध-समृद्ध शिक्षा के उत्कृष्ट अवसर प्रदान करेगा और रॉयल होलोवे में वैश्विक सोच और नवाचार को प्रोत्साहित करेगा।”

क्या यह कार्यक्रम भारतीय छात्रों के लिए फायदेमंद होगा?

निस्संदेह, यह ड्यूल डिग्री प्रोग्राम भारतीय छात्रों को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा का लाभ उठाने और अपने करियर को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का बेहतरीन अवसर देगा। इसके तहत वे न केवल भारत और यूके में उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे, बल्कि उन्हें वैश्विक स्तर पर शोध, रोजगार और नेटवर्किंग के बेहतरीन अवसर भी मिलेंगे।

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