एफएसएल टीम करेगी आग लगने के कारणों की जांच, क्षेत्र में शोक और आशंका का माहौल
एप्पल न्यूज़, रामपुर बुशहर (शिमला)
उपमंडल रामपुर की शिंगला पंचायत के शनेरी गांव में रविवार देर रात देवता जाहरू नाग का नवनिर्मित मंदिर आग की भेंट चढ़ गया। आग इतनी तेज थी कि कुछ ही सेकंड में पूरे चार मंजिला मंदिर को अपनी चपेट में ले लिया।
देखते ही देखते यह भव्य मंदिर पूरी तरह राख में तब्दील हो गया। मंदिर में बिजली का कोई कनेक्शन नहीं था, जिससे आग लगने के कारणों को लेकर लोगों में गहरी शंका और चर्चाएं हैं।
यह मंदिर स्थानीय श्रद्धालुओं के सहयोग से 13 वर्षों के लंबे अंतराल में बनकर तैयार हुआ था। निर्माण पर लगभग ढाई करोड़ रुपये की लागत आई थी। इस मंदिर की प्रतिष्ठा अगले वर्ष अप्रैल में की जानी थी।
फिलहाल पुलिस ने शिंगला पंचायत की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है, जबकि फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की टीम आग लगने के कारणों की जांच के लिए शनेरी गांव भेजी जा रही है।

रातों-रात राख हुआ 13 वर्षों की आस्था का प्रतीक
रविवार रात करीब 11 बजे अचानक मंदिर की छत से धुआं उठता देखा गया। स्थानीय लोगों ने जब तक मौके पर पहुंचकर कुछ करने की कोशिश की, तब तक आग भीषण रूप ले चुकी थी।
मंदिर के सीसीटीवी फुटेज में यह स्पष्ट दिखाई देता है कि आग सबसे पहले छत से भड़की और मात्र 10 सेकंड के भीतर चारों ओर फैल गई। लकड़ी पर किए गए वार्निश और पॉलिश के कारण आग ने तेजी से पूरे ढांचे को अपनी चपेट में ले लिया।
अग्निशमन दल और स्थानीय ग्रामीणों ने मिलकर कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। हालांकि तब तक मंदिर की पूरी संरचना जल चुकी थी। सौभाग्य से, आग पास के घरों तक नहीं पहुंची।
सोमवार सुबह एसडीएम रामपुर हर्ष अमरेंद्र सिंह ने मौके का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने मंदिर के अवशेषों को ढकने के लिए पांच तिरपाल उपलब्ध करवाए और मंदिर समिति को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।
एसडीएम ने बताया कि पुलिस जांच के साथ-साथ एफएसएल टीम को भी बुलाया गया है ताकि आग लगने के पीछे के वास्तविक कारणों का वैज्ञानिक विश्लेषण किया जा सके।
राज कुमार, प्रधान, शिंगला पंचायत ने बताया कि “मंदिर में बिजली का कोई कनेक्शन नहीं था। यह घटना बेहद रहस्यमयी है। हमने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है और उम्मीद है कि जांच में सच्चाई सामने आएगी।”
धार्मिक आस्था और देवता से परामर्श
मंदिर में लगी आग के बाद देवता जाहरू नाग मंदिर समिति ने धार्मिक परंपरा के अनुसार देवता से आग के कारणों के बारे में पूछने का निर्णय लिया है।
देवता के आदेशानुसार समिति के सदस्य सरपारा स्थित जल नाग मंदिर पहुंचे हैं, जहां देवता जाहरू नाग के पिता देवजा जाहरू नाग का मंदिर है।
स्थानीय मान्यता के अनुसार, देवता से प्रार्थना के माध्यम से कारणों की जानकारी ली जाएगी।
रहस्य और संदेह गहराया
मंदिर में न बिजली का कनेक्शन था, न ही वहां कोई पूजा-अर्चना चल रही थी। मंदिर की प्रतिष्ठा अगले वर्ष की जानी थी, इसलिए उस समय मंदिर बंद था। इन परिस्थितियों में आग लगने की घटना ने रहस्य को और गहरा कर दिया है।
स्थानीय लोग दबी जुबान में इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि कहीं यह आग किसी की सोची-समझी हरकत तो नहीं थी। फिलहाल पुलिस ने ऐसी किसी आशंका पर टिप्पणी करने से इनकार किया है और कहा है कि फोरेंसिक जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
क्षेत्र में आस्था और दुख का माहौल
देवता जाहरू नाग का यह मंदिर पूरे क्षेत्र की आस्था का केंद्र माना जाता था। इसके निर्माण में सैकड़ों ग्रामीणों का योगदान रहा था। मंदिर के जल जाने से क्षेत्र में शोक की लहर है। लोगों का कहना है कि उन्होंने अपनी मेहनत और श्रद्धा से जो मंदिर बनाया था, उसे रातों-रात जलते देखना दिल दहला देने वाला दृश्य था।
शनेरी गांव में देवता जाहरू नाग का नवनिर्मित मंदिर आग की भेंट चढ़ने की यह घटना न केवल प्रशासनिक बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी गंभीर है।
13 साल की मेहनत और करोड़ों की लागत से बना यह मंदिर अब सिर्फ राख का ढेर बनकर रह गया है।
आग की सच्चाई क्या थी — दुर्घटना या किसी की लापरवाही या फिर कोई साजिश — यह सवाल अब एफएसएल रिपोर्ट और पुलिस जांच के बाद ही साफ हो सकेगा।
फिलहाल पूरे क्षेत्र में यही उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही देवता के इस पावन स्थल को फिर से पुनर्निर्मित किया जाएगा और श्रद्धालुओं की आस्था को नया घर मिलेगा।







