एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल ढाई साल से बढ़ाकर पाँच साल करने के फैसले ने शिमला नगर निगम की मासिक बैठक में भारी विवाद खड़ा कर दिया।
सत्तापक्ष और विपक्ष — दोनों ही पार्टियों के पार्षदों ने इस निर्णय का जमकर विरोध किया, जिसके चलते सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित करनी पड़ी।
बैठक के दौरान भाजपा पार्षदों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए इस निर्णय को लोकतांत्रिक परंपराओं के विपरीत बताया।

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार का यह कदम महिला विरोधी है, क्योंकि इससे महिलाओं को प्रतिनिधित्व से वंचित किया जा रहा है।
वहीं, कांग्रेस के भी करीब एक दर्जन पार्षदों ने इस फैसले का खुलकर विरोध किया। नाभा वार्ड की कांग्रेस पार्षद सिमी नंदा ने कहा कि वह सरकार और पार्टी के साथ हैं, लेकिन नगर निगम में जो रोस्टर ढाई-ढाई साल के कार्यकाल के लिए तय किया गया था, उसे बरकरार रखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “हम केवल इस फैसले के खिलाफ हैं, क्योंकि पार्टी की राष्ट्रीय नीति यही है कि सभी वर्गों को समान प्रतिनिधित्व मिले।”
गौरतलब है कि शिमला नगर निगम के 34 वार्डों में से 21 वार्ड महिलाओं के पास हैं, और रोस्टर के अनुसार अब महिला पार्षद को मेयर बनना था। लेकिन सरकार द्वारा कार्यकाल पाँच साल करने के फैसले से यह संभावना समाप्त हो गई है।
इसी कारण कांग्रेस और भाजपा — दोनों ही दलों के पार्षदों ने सदन में इस फैसले का विरोध किया और हंगामा किया।







