एप्पल न्यूज, धर्मशाला
हिमाचल प्रदेश में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले तीन वर्षों में डॉग बाइट के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है, जिससे जनता और सरकार दोनों की चिंता गहरी होती जा रही है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में इस अवधि में कुत्तों के हमलों के कुल 3,26,170 मामले दर्ज किए गए हैं। इतना ही नहीं, रेबीज के चलते 11 लोगों की संदिग्ध मौतें भी रिकॉर्ड में दर्ज की गई हैं।
यह जानकारी बुधवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रश्नकाल में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने विधायक राकेश कालिया के लिखित प्रश्न के जवाब में साझा की।

हालांकि रेबीज से हुई मौतें आधिकारिक तौर पर प्रयोगशाला से प्रमाणित नहीं हैं, लेकिन इन्हें संदिग्ध के तौर पर दर्ज किया गया है।
किस जिले में कितने मामले
पिछले तीन वर्षों में कुत्तों के काटने के मामलों के आंकड़े इस प्रकार रहे—
जिला मामले (डॉग बाइट)
बिलासपुर 15,801
चंबा 26,246
हमीरपुर 16,976
कांगड़ा 54,649 (सबसे अधिक)
किन्नौर 5,236
कुल्लू 24,522
लाहौल-स्पीति 3,608
मंडी 25,072
शिमला 52,695
सिरमौर 26,794
सोलन 43,477
ऊना 31,124
रेबीज से हुई संदिग्ध मौतें
प्रदेश में पिछले तीन वर्षों में रेबीज के कारण 11 संदिग्ध मौतें दर्ज की गईं, जिनमें—
हमीरपुर – 1
कांगड़ा – 6 (सबसे अधिक)
शिमला – 3
सिरमौर – 1
समस्या गंभीर, समाधान की जरूरत
लगातार बढ़ते डॉग बाइट मामलों से स्पष्ट है कि प्रदेश में आवारा कुत्तों की संख्या और आक्रामक व्यवहार दोनों बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर नसबंदी, ठोस कचरा प्रबंधन और पशु आश्रयों का विस्तार न होने से समस्या और विकराल होती जा रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और टीकाकरण में देरी भी कई बार मौतों का कारण बनती है।
प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को एंटी-रेबीज वैक्सीन व इम्यूनोग्लोबिन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
वहीं, नगर निगमों और पंचायतों को डॉग पॉप्युलेशन कंट्रोल (DPC) कार्यक्रम को गति देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया जा रहा है।






