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रियायती प्रजाति के पेड़ो के कटान/बिक्री के लिए हिमाचल सरकार के नए आदेशों से किसान परेशान

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कांग्रेस कमेटी ने वन मंडलाधिकारी पांवटा साहिब को सौपा ज्ञापन

एप्पल न्यूज़, पांवटा साहिब (डॉ प्रखर गुप्ता)

कांग्रेस कमेटी पांवटा साहिब ने वन मंडलाधिकारी पांवटा साहिब को हिमाचल सरकार द्वारा जारी नए आदेशो से रियायती प्रजाति के पेड़ो के कटान/बिक्री के लिए किसानो को हो रही असुविधा के सन्दर्भ में एक ज्ञापन सोंपा!

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हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक नए आदेश, जिसे स्थानीय वन मंडल अधिकारी द्वारा दिनांक 26 जून को पारित किया गया, में किसानों को घरेलू उपयोग और रियायती प्रजाति(Exempted) जैसे पॉपुलर सफेदा आदि की बिक्री पर भी ऐसी शर्ते लगा दी गई है जो बहुत हैरान करने वाली तथा गरीब किसानों के शोषण को जन्म देती हैं जैसे घरेलू उपयोग के लिए भी अब 1-2 पेड़ अपनी निजी संपत्ति से काटने के लिए परमिशन और बहुत से प्रमाण पत्रों की जरूरत होगी। पॉपुलर और सफेदा जैसी 23 प्रजातियां, जो पहले हिमाचल प्रदेश में रियायती यानी कैश क्रॉप में मानी जाती थी अब उनके कटान के लिए भी नई-नई शर्ते लगा दी गई हैं! वहीँ इनको सरकारी व रजिस्टर ठेकेदार से ही कटवाना पड़ेगा और इसके लिए पंचायत तथा पटवारखाना स्तर से लेकर रेंज अधिकारी तक कई कागज जुटाने होंगे। इसके बाद एक पेड़ की जगह कई पेड़ लगाने होंगे और बदले में एक एफडीआर भी जमा करवानी होगी।
इस बारे कांग्रेस कमेटी के महासचिव अनिंदर सिंह नौटी ने बताया कि आज मंडल अधिकारी के कार्यालय के द्वारा सरकार तथा वन विभाग के उच्च अधिकारियों को एक पत्र भेजा है और इस आदेश को तत्काल लिखित रूप से वापस लेने का निवेदन किया है ताकि इससे जो भी भ्रान्तियाँ उपजी हैं, उस बारे में किसानों को स्पष्टता आए और संबंधित रेंज अधिकारी व फील्ड स्टाफ को भी नए निर्देश दिए जाएं। अगर यह आदेश जारी रहता है तो भविष्य में ना तो किसान इन पेड़ों की फसल के रूप में खेती करेंगे और स्टाफ तथा किसानों के बीच में गतिरोध लगातार बना रहेगा। वहीँ पहले से ही परेशान व बदहाल किसानों को फसल काटने के लिए भी अगर सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर किया जाएगा तो किसान के पास खेती करने के लिए समय कब रहेगा? इस आदेश के बाद किसानों में भारी रोष है और वन विभाग के शिमला स्थित मुख्यालय से भी अधिकारियों से इस बारे में चर्चा की गई है और इसका कोई सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश जारी है।

सनद रहे कोरोना संकट काल के दौरान केवल कृषि क्षेत्र ने ही अपनी जीडीपी में 100% योगदान को बनाए रखा है बल्कि इसमें इजाफा भी किया है, जिस वजह से कम से कम देश में खाद्यान्न का संकट नहीं है! वहीँ सरकारों तथा अधिकारियों को समझना होगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खाद्यान्न सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है जिसमें किसानों का योगदान भुलाया नहीं जा सकता।
इस मौके पर रिटायर्ड तहसीलदार स. जसमेर सिंह, चंद्रजोत सिंह, अमरीक सिंह, संदीप बत्रा, राजेंद्र राणा, जोगिंदर चौधरी, साजिद हाशमी, सलामदीन, लतीफ, परविंदर सिंह बिट्टू, हैप्पी सहित बहुत से स्थानीय किसान शामिल हुए!

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