एप्पल न्यूज़, शिमला
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एसजेवीएन लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, नंद लाल शर्मा ने बताया है कि भारत सरकार ने 66 मेगावाट धौलासिद्ध जलविद्युत परियेाजना के लिए 687 करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसमें भारत सरकार द्वारा इनएबलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बजट सहायता के रूप में प्रदान की जाने वाली 21.6 करोड़ रुपए की राशि शामिल है।
शर्मा ने बताया कि शुरूआत में इस परियोजना की परिकल्पना 27 अक्तूबर,2008 को की गई थी, जब शुरूआत में इस परियेाजना एसवीपी के लिए एसजेवीएन तथा हिमाचल प्रदेश सरकार के बीच एमओयू साईन किया गया था। तदुपरांत, 25 सितंबर,2019 को माननीय प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी की गरिमामयी उपस्थिति में इन्वेस्टर मीट में इस परियोजना के लिए पृथक एकल आधार पर एमओयू साईन किया गया था। शर्मा ने बताया कि एसजेवीएन के लिए यह अति गौरव और ऐतिहासिक उपलब्धि भरा मामला है कि सभी जरूरी मंजूरियां और क्लीयरेंसेस रिकार्ड समय में हासिल किए गए हैं, जिससे परियोजना निर्माण की गतिविधियों का मार्ग प्रशस्त हो गया है। शर्मा ने माननीय प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी का उनके निरंतर प्रदत्त मार्ग-निर्देश और आशीर्वाद के लिए हार्दिक धन्यवाद व्यक्त किया।
शर्मा ने बताया कि यह कार्य एमएनआरई राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), आर. के. सिंह, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, जयराम ठाकुर तथा हिमाचल प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री, प्रेम कुमार धूमल के सतत सहयोग के बिना संभव नहीं था। शर्मा ने कहा कि वित्त राज्यमंत्री, अनुराग ठाकुर ने इस परियेाजना के लिए समय पर स्वीकृतियों को सुगम बनाने में सर्वाधिक मूल्यवान सहयोग दिया है जिसके लिए एसजेवीएन उनका सदैव ऋणी रहेगा।
शर्मा ने बताया कि रन-ऑफ-द-रिवर किस्म की यह परियोजना हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में सुजानपुर से लगभग 10 कि.मी. डाऊनस्ट्रीम में धौलासिद्ध में ब्यास नदी पर स्थित है। अगर इस परियोजना की मुख्य विशेषताओं की बात की जाए, तो इसमें एक 195 मी. लंबा, 70 मी. ऊंचा कंक्रीट ग्रेविटी डैम होगा। इस बांध से लगभग 20 कि.मी. एक जलाशय का निर्माण होगा। 161 क्यूमेक्स के डिस्चार्ज का उपयोग दो इन्टेक के माध्यम से किया जाएगा जो कि बांध की संचरना के अंदर होंगे और इसके बाद पानी प्रत्येक 4.3 मी. व्यास और 62 मी. लंबे दो पेनस्टॉक से गुजरते हुए टरबाईनों में प्रवेश करेगा।
शर्मा ने बताया कि डैम-टो पावर हाऊस ब्यास नदी के बाएं किनारे पर अभियोजित है, जिसके अंदर प्रत्येक 33 मेगावाट क्षमता की दो विद्युत उत्पादन इकाईयों की पूरी मशीने होंगी।
इस परियोजना से सालाना 304 मिलियन यूनिट बिजली पैदा होगी। शर्मा ने भरोसा दिलाया कि एसजेवीएन इस परियोजना को 54 महीनों में पूरा कर लेगा और इससे 1000 व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा।
ग्रिड में बेशकीमती रिन्यूएबल विद्युत का योगदान देने के अलावा इस परियेाजना के पूरा होने से पर्यावरण में सालाना 2.4 लाख टन कार्बन-डायऑक्साईड का प्रवेश घट जाएगा। हिमाचल प्रदेश को एमओयू के अनुसार परियोजना चालू होने पर नि:शुल्क बिजली का भी फायदा मिलेगा।
इस परियोजना के चालू होने के बाद परियेाजना प्रभावित परिवारों को दस साल की अवधि के लिए प्रति माह 100 यूनिट बिजली उपलब्ध करवाई जाएगी । इसके साथ ही एसजेवीएन ने \’\’सभी के लिए 24×7 विद्युत\’\’ के विज़न को पूरा करने के क्रम में योगदान का एक और अध्याय जोड़ दिया है।