एप्पल न्यूज़, शिमला
भारत सरकार द्वारा समय-समय पर सर्वेक्षण किया जाता है जिसे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के रूप में जाना जाता है, जो जनसंख्या, स्वास्थ्य और पोषण के संबंध में प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के आंकड़ों पर आधारित होता है । भारत सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट जारी की जो वर्ष 2019-20 में एकत्रित आंकड़ों पर आधारित है। पिछला सर्वेक्षण यानी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 2015-16 में आयोजित किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश ने सभी राज्यों में उच्चतम पूर्ण टीकाकरण कवरेज (89.3%) दर्ज की है और पिछले सर्वेक्षण के अनुपात में 20% का भारी सुधार दर्ज किया है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, हिमाचल प्रदेश के मिशन निदेशक डॉ0 निपुण जिंदल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पूर्ण टीकाकरण कवरेज 12-23 महीने की आयु के बच्चों की संख्या के आधार पर किया जाता है, जिन्हें यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत सुनिश्चित किया जाता है।
यह सुधर सभी के अथक प्रयासों एवं तकनिकी हस्तक्षेप जैसे कि छूटे बच्चों की सूचि इत्यादि तैयार करके उनका टीकाकरण करने के कारण संभव हुआ है| इसी के साथ साथ जान मानस में जागरूकता के हर संभव प्रयासों के कारण भी इसमें सुधार हुआ है| उन्होंने आगे कहा कि टीकाकरण में इस वृद्धि से अंडर 5 मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आई है जो एसआरएस 2018 के आंकड़ों के अनुसार क्रमशः 23 और 19 पर आ गई है।
उन्होंने आगे बताया कि कल भारत सरकार से प्राप्त सूचना के अनुसार, हिमाचल प्रदेश को ऐसे राज्यों की सूची से हटा दिया गया है, जहाँ टीकाकरण में चिन्हित अंतराल पर मिशन इन्द्रधनुष को चलाया जाना आवश्यक है। उन्होंने आगे बताया कि हिमाचल प्रदेश ऐसे 4 राज्यों की सूची में सम्मिलित है, जिसमें किसी भी जिले में चल रहे कोविड-19 महामारी के कारण टीकाकरण में कोई अंतर नहीं आया है।
पिछले साल, जिला चंबा को टीकाकरण के लिए ड्रॉप-आउट और मिस-आउट में अंतराल के कारण मिशन इन्द्रधनुष जिले के रूप में पहचाना गया था, हालांकि, राज्य स्वास्थ्य विभाग और चंबा के जिला प्रशासन ने उचित तरीके से कदम उठाए और 100% से अधिक प्रगति दर्ज की।
उन्होंने आगे बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 में अधिकांश स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार हुआ है, परिवार नियोजन की unmet need लगभग 15.7% से कम होकर 7.9% हो गई है और संस्थागत प्रसव की दर 76.7% से 88.2% हो गई है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने यह सुनिश्चित करने के लिए समग्र उपाय किए हैं, कि कोविड-19 महामारी के दौर में स्वास्थ्य सुविधाएँ कम से कम प्रभावित हों एवम प्रदेश की जनता को उचित उपचार उपलब्ध होता रहे।