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1010 करोड़ रुपये की जिका समर्थित फसल विविधिकरण परियोजना का द्वितीय चरण इस वर्ष के अन्त तक होगा आरम्भः वीरेन्द्र कंवर

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एप्पल न्यूज़, शिमला
हिमाचल प्रदेश कृषि मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि जापान इंटरनेशनल काॅरपोरेशन एजेंसी (जीआईसीए) की ओर से मार्च माह 2021 के अन्त तक हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण संवर्धन परियोजना के दूसरे चरण के लिए 1010 करोड़ रुपये के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने अपेक्षित है। यह परियोजना राज्य के सभी 12 जिलों में किसानों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए लागू की जाएगी। इस परियोजना को प्रथम चरण में वर्ष 2011 से पांच जिलों मण्डी, कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर व ऊना में लागू किया जा रहा है।


कृषि मंत्री ने विभाग और परियोजना अधिकारियों कोे मार्च के अन्त तक ऋण समझौते पर हस्ताक्षरित होने के बाद तीन माह के अन्दर इस सम्बन्ध में तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए ताकि परियोजना के दूसरे चरण की गतिविधियों को जुलाई माह से शुरू किया जा सके। उन्होंने कहा कि नए चरण में 807.30 करोड़ रुपये का जिका ऋण कम्पोनेंट होगा जबकि राज्य का हिस्सा 203.30 करोड़ रुपये है। इस परियोजना का उद्देश्य चिन्हित की गई सब्जियों की न खोजी गई सम्भावनाओं का पता लगाना है ताकि पूरे राज्य में प्रथम चरण के पायलट माॅडल समूचे राज्य में लागू किया जाए।
मंत्री ने कहा कि आगामी परियोजना में फसल विविधिकरण के तहत 296 उप-परियोजनाओं को सिंचाई प्रदान कर 7433 हेक्टेयर को परिवर्तित करने का उद्देश्य रखा गया है जबकि 500 हेक्टेयर में फसल विविधिकरण परिवर्तित के लिए 10 अन्य उप-परियोजनाएं ली जाएगी। उन्होंने कहा कि परियोजना के अन्त तक प्रति हेक्टेयर सकल आय में 2.50 लाख रुपये की वृद्धि लक्षित हैं जो वर्तमान में 50 हजार प्रति हेक्टेयर है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि निशा सिंह ने गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों को 321 करोड़ रुपये की फसल विविधिकरण योजना के प्रथम चरण की प्रगति बारे में अवगत करवाया, जिसे जिका (जीआईसीए) और भारत सरकार के सहयोग से कार्यान्वित किया जा रहा है और परियोजना के द्वितीय चरण के लिए भी विशेष प्रस्ताव रखें।
 भारत सरकार के कृषि मंत्रालय और किसान कल्याण के प्रतिनिधि, हिमाचल सरकार के योजना एवं वित्त विभाग, निदेशक कृषि, प्रबन्ध निदेशक विपणन बोर्ड, राज्य कृषि विश्वविद्यालय, मुख्य परियोजना सलाहकार डाॅ. जे.सी. राणा ने भी बैठक में अपने विचार व्यक्त किए।
परियोजना निदेशक डाॅ. विनोद शर्मा ने परियोजना के दूसरे चरण की प्रस्तावित गतिविधियों और प्रथम चरण के परिणामों पर प्रस्तुति दी।

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