एप्पल न्यूज़, शिमला
रामपुर बुशहर के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक फाग मेले को इस वर्ष पूरे रीति रिवाज और हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। इस मेले में 21 देवी देवताओं के रथ देवलू और बजंतरियों सहित शामिल होंगे। यह जानकारी एसडीएम सुरेंद्र मोहन की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में दी गई।
दो साल कोरोना महामारी के बीच फाग मेले में केवल परम्पराएं निभाई गई। इस वर्ष पूरे हर्षोल्लास के साथ मेला होगा। यह मेला होली के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। होली की शाम स्थानीय देवता जाख रचोली राजदरबार में पहुंचता है। जिसके बाद देवता बसाहरु और गसो यहां पहुंचते है। दूसरे दिन क्षेत्र के सभी आमंत्रित देवताओं के रथ यहां पहुंचते हैं। जिनका स्वागत राजदरबार में नगर परिषद और राजपरिवार की ओर से किया जाता है।
19 से 22 मार्च तक चलने वाले इस चार दिवसीय मेले में हर दिन मंदिर से राजदरबार मेला मेला मैदान तक देवताओं की शोभा यात्रा होती है जिसके बाद दिन भर नाटियों का दौर चलता है और अपनी संस्कृति का आदान प्रदान होता है।
मेले के दौरान एक दिन सभो देवताओं की शोभा यात्रा निकाली जाती है। इस दौरान पूरे शहर की परिक्रमा की जाती है। इस यात्रा को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है और लोग आस्था के वशीभूत देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
महिलाएं विशेष रूप से मेले में खोड़-मोड़ी लेकर आती हैं और अपने परिचितों और मिलने आए रिश्तेदारों को बांटती हैं। वहीं सड़क पर मिठाई, जलेबी, पकौड़े और अन्य सामान की दुकानें और झूले भी लगते हैं। मेले में आने वाले लोग खासकर जलेबी पकौड़े के खूब चटखारे लगते हैं।
एसडीएम सुरेंद्र मोहन और नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी सूरत सिंह नेगी ने मेले को लेकर अधिकारियों को आवश्यक दिशानिर्देश दिए। यातायात को सुचारू बनाए रखने, बिजली, पानी और सफाई व्यवस्था के साथ ही देवलुओं के लिए विशेष व्यवस्था कने के निर्देश दिए।
एसडीएम ने बताया कि इस बार देवताओं के नजराने में 15% की बढ़ोतरी की गई है। वहीं मेले में नाटी, वाद्य यंत्र और पारम्परिक वेशभूषा की प्रतियोगिताएं भी होंगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा ताकि मेले को और आकर्षक बनाया जा सके।
इस मेले में 21 देवी देवताओं को आमंत्रित किया गया है। इनमें देवता जाख रचोली, बसाहरु, गसो, डंसा, लालसा, शिंगला, शनेरी, देवी साहिब बाड़ी, धारा सरगा, ब्रांदली, लक्ष्मी नारायण दरकाली, देवी साहिब खमाडी, देवता बेलू, शलाट, खड़ाहण, पँचवीर सराहन, गांव बील, छिजा कालेश्वर देवठी, झाखड़ी, चाटी और छोटू देवता कीम आमंत्रित किए गए हैं।