एप्पल न्यूज़, शिमला
शिमला नगर निगम के शांति बिहार वार्ड में स्वागत गेट भाजपा के चुनाव चिन्ह कंमल के फूल लगाने का मामला गर्मा गया है। नगर निगम के मासिक बैठक में शुक्रवार को कांग्रेस के पार्षदों में इसको लेकर जमकर हंगामा किया सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस के शांति विहार वार्ड से पार्षद की पार्षद ने भाजपा के मनोनीत पार्षद द्वारा उनके वार्ड में बनाए गए स्वागत गेट में भाजपा का चुनाव चिन्ह कमल के फूल लगाने पर एतराज जताया और शिकायत देने के बाद भी इस पर कार्रवाई ना होने पर सदन के बीच में आ गई।
वहीं अन्य कांग्रेस के पार्षद भी उनके समर्थन में सदमे बीच में आकर महापौर से जवाब तलब करने लगे इस दौरान गहमागहमी भी देखने को मिली ।
वही हंगामा होता देख नगर निगम के महापौर सहित भाजपा के अन्य पार्षद सदन से बाहर निकल गए और सर्जन की कार्रवाई को स्थगित कर दिया। कांग्रेस के पार्षद भाजपा का चिन्ह हटा कर में इस गेट पर राष्ट्रीय ध्वज लगाने की मांग कर रहे थे।
शांति विहार वार्ड के पार्षद शारदा चौहान ने कहा कि उनके वार्ड में मनोनीत पार्षद द्वारा स्वागत गीत बनाया गया है जिसमें भाजपा के पार्टी का चिन्ह कमल के फूल लगाए गए हैं जबकि सरकारी संपत्ति में इस तरह के किसी भी पार्टी का चिन्ह नहीं लगाया जा सकता है।
उन्होंने पार्टी के चिन्ह को उतार का राष्ट्रीय ध्वज लगाने की मांग की और यदि यह नहीं उतारा जाता है तो वह धरने पर बैठने से भी गुरेज नहीं करेंगे।
वहीं कांग्रेस के पार्षद दिवाकर दत्त शर्मा ने कहा कि नगर निगम द्वारा हर वार्ड में प्रवेश द्वार बनाए जा रहे हैं लेकिन शांति विहार वार्ड में इस प्रवेश द्वार में भाजपा का चुनाव चिन्ह कमल के फूल लगाए गए हैं और इसके द्वारा लोगों को रिझाने की कोशिश भाजपा कर रही है जो कि सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि नगर निगम के महापौर इस को मानने के लिए तैयार नहीं है यदि ऐसी बात है तो इसके लिए कमेटी का गठन किया जाए जो दौरा करें और देखें कि उस गेट में चुनाव भाजपा का चुनाव चिन्ह कमल का फूल लगाया गया है या नहीं।
वहीं नगर निगम की महापौर सत्या कोंडल ने कहा कि नगर निगम द्वारा शहर के सभी वार्डों में स्वागत गेट बनाए जा रहे हैं और विभिन्न तरह के डिजाइन गेट पर बनाए गए हैं।
शांति विहार में भी गेट बनाया गया है लेकिन उसमें कमल का फूल के डिजाइन बनाए हैं यह तय नहीं है कांग्रेस बेकार में मुद्दा बना रही है और जिसके चलते आज बैठक में कई ऐसे विकासात्मक कार्य थे जिन पर चर्चा होनी थी उस पर नहीं हो पाई जो कि बड़े दुख की बात है।