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SJVN ने ऊर्जा भंडारण प्रणाली के साथ 1500 MW की विद्युत परियोजनाओं के लिए ई-रिवर्स ऑक्‍शन को सफलतापूर्वक संपन्न किया

एप्पल न्यूज, शिमला

नन्‍द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने अवगत करवाया कि नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसी (आरईआईए) के रूप में एसजेवीएन ने भारत में ऊर्जा भंडारण प्रणाली के साथ 1500 मेगावाट विदयुत परियोजनाओं के निर्माण के लिए के लिए नवीकरणीय ऊर्जा निर्माताओं के चयनार्थ प्रथम ई-रिवर्स ऑक्‍शन (ई-आरए) को सफलतापूर्वक संपन्न किया है।

शर्मा ने आगे बताया कि  पूरे भारत में ऊर्जा भंडारण के साथ अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली से जुड़ी नवीकरणीय परियोजनाओं से 1500 मेगावाट विदयुत की आपूर्ति के लिए एसजेवीएन की नीलामी में नौ कंपनियों ने भाग लिया।

 उनमें से सात कंपनियों को उनके द्वारा अपेक्षित क्षमता की परियोजनाएं लगभग 4.38/- रुपए प्रति यूनिट के टैरिफ पर हासिल हुई। सफल बोलीदाताओं में एसीएमई, जूनीपर और टाटा पावर शामिल हैं।

श्री नन्‍द लाल शर्मा ने आगे कहा कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद के लिए प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया हेतु एसजेवीएन को मध्यस्थ क्रेता/नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसी (आरईआईए) के रूप में नामित किया है। एसजेवीएन एसईसीआई, एनटीपीसी और एनएचपीसी के अतिरिक्‍त चतुर्थ नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसी है।

श्री शर्मा ने आगे कहा कि, वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावॉट स्थापित विदयुत क्षमता हासिल करने की प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप सरकार ने आगामी पांच वर्षों यथा वित्तीय वर्ष 2023-24 से वित्तीय वर्ष 2027-28 तक प्रतिवर्ष 50 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लिए बोलियां आमंत्रित करने का निर्णय लिया है।

एसजेवीएन एक ही तरह की परियोजनाओं के लिए समवर्ती बोलियों को नगणय करने के लिए निविदाएं जारी करने और बोलियां खोलने हेतु अन्य आरईआईए के साथ समन्वय करेगा। 

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट आरई परियोजनाओं को स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु प्रत्‍येक वर्ष 50 गीगावॉट आरई परियोजनाओं की बोली लगाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है।

एसजेवीएन निविदाओं के संबंध में एमएनआरई के परामर्श का अनुपालन करते हुए सरकार द्वारा जारी प्रासंगिक मानक बोली दिशा-निर्देशों के अनुसार नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए बोलियां जारी करेगा।

 विदयुत मंत्रालय पहले से ही गैर-जीवाश्म ईंधन से 500 गीगावॉट विदयुत की निकासी के लिए ट्रांसमिशन प्रणाली की क्षमता को अपग्रेड करने और बढ़ाने पर कार्य कर रहा है।

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