मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज विधानसभा में हिमाचल प्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 प्रस्तुत किया।
एप्पल न्यूज, शिमला
आर्थिक सर्वेक्षण, 2023-24 राज्य की अर्थव्यवस्था की चुनौतियों, अवसरों, रणनीतियों और क्षेत्रीय प्रदर्शन के व्यापक विश्लेषण के साथ एक व्यापक तस्वीर प्रदान करता है। यह नई नीतिगत पहलों के साथ-साथ विकास योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के संदर्भ में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों के सामने आने वाली चुनौतियों और उन पर सरकार की प्रतिक्रियाओं का व्यापक मूल्यांकन प्रस्तुत करता है। यह रिपोर्ट राज्य की अर्थव्यवस्था के व्यापक दृश्टिकोण, राजकोषीय प्रदर्शन और राज्य की अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में प्रगति को प्रदर्शित करती है।
2023 के मानसून महीनों में अभूतपूर्व बारिश और बाढ़ से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद, हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य की आर्थिक वृद्धि और समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए अथक और सामरिक प्रयास किये हैं। सरकार ने राज्य की आर्थिक खुशहाली को बनाए रखने और विभिन्न योजनाओं और कल्याणकारी उपायों के माध्यम से कमजोर वर्गों तक पहुंचने के सशक्त प्रयास किये है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 की मुख्य विशेशताएँ इस प्रकार हैं:
2023-24 में राज्य का आर्थिक प्रदर्शन
- राज्य की विकास दर 7.1 प्रतिशत आंकी गई।
- नामीनल सकल घरेलू उत्पाद या वर्तमान कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद ₹2,07,430 करोड़ अनुमानित है।
- प्रति व्यक्ति आय ₹2,35,199 अनुमानित है।
- सकल मूल्यवर्धित (जी.वी.ए.) में हिस्सेदारी ।
- राज्य की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) या स्थिर कीमतों पर जी.डी.पी पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान ₹9,428 करोड़ से अधिक बढ़ने का अनुमान है। राज्य आय के प्रथम अग्रिम अनुमानों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24
के दौरान वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि 7.1 प्रतिशत होगी, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह 6.9 प्रतिशत थी।
** वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) या स्थिर कीमतों (2011-12) पर सकल घरेलू उत्पाद ₹1,42,800 करोड़ के स्तर तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए जी.डी.पी का अनंतिम अनुमान ₹1,33,372 करोड़ था।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 में नामीनल जी.डी.पी. या प्रचलित भावों पर जी.डी.पी. ₹2,07,430 करोड़ के स्तर तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए जी.डी.पी. का अनंतिम अनुमान के अनुसार ₹1,91,728 करोड़ है, जो कि 15,702 करोड़ की पूर्ण वृद्धि दर्शाता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान नामीनल जी.डी.पी. में वृद्धि वित्तीय वर्ष 2022-23 के 11.4 प्रतिशत की तुलना में 8.2 प्रतिशत अनुमानित है।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 के अग्रिम अनुमान के अनुसार, स्थिर कीमतों पर प्राथमिक क्षेत्र से सकल मूल्य वर्धित (जी.वी.ए.) वित्तीय वर्ष 2022-23 (प्रथम संशोधित अनुमान) में ₹17,417 करोड़ के मुकाबले ₹17,036 करोड़ होने की उम्मीद है।
- द्वितीयक क्षेत्र में मोटे तौर पर विनिर्माण (संगठित और गैर-संगठित), बिजली, गैस और जल आपूर्ति और निर्माण शामिल हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 के अग्रिम अनुमान के अनुसार स्थिर (2011-12) कीमतों पर द्वितीयक क्षेत्र का जी.वी.ए. वित्तीय वर्ष 2022-23 (प्रथम संशोधित अनुमान) के ₹58,039 करोड़ के मुकाबले ₹63,424 करोड़ होने का अनुमान है, पिछले वर्ष की तुलना में, 9.3 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज होने का अनुमान है।
- राज्य सकल मूल्य वर्धन में सेवा क्षेत्र की महत्वपूर्ण और तेजी से बढ़ती हिस्सेदारी है। सेवा क्षेत्र में व्यापार, होटल और रेस्तरां, अन्य साधनों और भंडारण द्वारा परिवहन, सुप्रा क्षेत्रीय सेक्टर (रेलवे, संचार और बैंकिंग और बीमा), रियल एस्टेट, आवास और व्यावसायिक सेवाओं का. स्वामित्व, लोक प्रशासन और अन्य सेवा क्षेत्र शामिल हैं। अग्रिम अनुमानों के अनुसार सेवा क्षेत्र के लिए स्थिर (2011-12) कीमतों पर वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ₹54,253 करोड़ होने का अनुमान है, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह ₹50,520 करोड़ था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्शाता है।
पति व्यक्ति आय (पी.सी.आई.)
- अग्रिम अनुमानों के अनुसार, प्रचलित भावों पर प्रति व्यक्ति आय (पी.सी.आई.) 2022-23 में ₹2,18,788 के मुकाबले वित्तीय वर्ष 2023-24 (अग्रिम अनुमान) के लिए ₹2,35,199 अनुमानित है, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 (प्रथम संशोधित अनुमान) में 11.7 प्रतिशत की तुलना में 2023-24 में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
- हिमाचल प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 2023-24 के लिए अनुमानित राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय से ₹49,345 अधिक है।
क्षेत्रीय योगदान - किसी भी राज्य की सकल घरेलू उत्पाद को तीन प्रमुख क्षेत्रों-प्राथमिक, माध्यमिक और
तृतीयक द्वारा किए गए आर्थिक योगदान के संदर्भ में मापा जाता है। राज्य के सकल मूल्य वर्धन में तृतीयक क्षेत्र का योगदान सबसे अधिक रहा है, इसके बाद माध्यमिक और प्राथमिक क्षेत्रों का स्थान रहा है। * वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए सकल मूल्य वर्धन (जी.वी.ए.) के अग्रिम अनुमानों के आधार पर,
तृतीयक क्षेत्र का प्रचलित कीमतों पर राज्य के सकल मूल्य वर्धन (जी.वी.ए.) में 43.50 प्रतिशत
हिस्सा है, इसके बाद माध्यमिक क्षेत्र का 42.44 प्रतिशत और प्राथमिक क्षेत्र का 14.06 प्रतिशत
योगदान रहा।
कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र
- प्रचलित भावों पर सकल राज्य मूल्य वर्धन (जी.एस.वी.ए.) में कृषि और संबद्ध क्षेत्र का योगदान 2018-19 में 17,767 करोड़ से 49 प्रतिशत बढ़कर 2023-24 में ₹26,458 करोड़ (अग्रिम अनुमान) हो गया है। 2018-19 से 2023-24 के बीच वर्तमान कीमतों पर फसलों के जी.एस.वी.ए. में उल्लेखनीय सुधार हुआ है (2018-19 में 10,286 करोड़ से 2023-24 में ₹16,410 करोड़)।
- कृषि और संबद्ध गतिविधियों के अंतर्गत पशुधन पालन एक महत्वपूर्ण उप-क्षेत्र है। यह वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल सकल राज्य मूल्य वर्धित (जी.एस.वी.ए.) में 1.31 प्रतिशत और कृषि और संबद्ध क्षेत्र के जी.एस.वी.ए. में 9.6 प्रतिशत योगदान देता है।
औद्योगिक क्षेत्र में रुझान
- उद्योग क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और हिमाचल में रोजगार की अनेक संभावनाएं पैदा करने के लिए महत्वपूर्ण है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के अग्रिम अनुमान के अनुसार प्रचलित भावों पर उद्योग क्षेत्र (खनन और उत्खनन सहित) ₹82,658 करोड़ अनुमानित है।
- प्रचलित भावों पर सकल राज्य मूल्य वर्धित (जी.एस.वी.ए.) में उद्योग क्षेत्र (खनन और उत्खनन सहित) का योगदान 2023-24 में 42.80 प्रतिशत है, जिसमें 29.25 प्रतिशत विनिर्माण क्षेत्र से, 7.44 प्रतिशत निर्माण से, 5.76 प्रतिशत बिजली, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाएं और खनन और उत्खनन से 0.36 प्रतिशत से आ रहा है।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में 8.9 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है जो
उद्योग क्षेत्र में दूसरी सबसे ऊंची वृद्धि दर है। • संगठित और असंगठित क्षेत्र की आय बढ़ाने के लिए निर्माण उप-क्षेत्र का विकास महत्वपूर्ण है, और राज्य के आधारभूत ढांचे के विकास के लिए भी आवश्यक है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के
दौरान निर्माण क्षेत्र में उच्चतम वृद्धि दर का अनुमान है जो कि 12.9 प्रतिशत है।
सेवा क्षेत्र में रुझान
- समय के साथ, भारत में एक मजबूत विनिर्माण और उत्पादक कृषि क्षेत्र के कारण, सेवा क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद और रोजगार का मुख्य आधार बन गया। राज्य में सेवा क्षेत्र सकल राज्य मूल्य वर्धन (जी.एस.वी.ए.) में सबसे अधिक योगदानकर्ता है। वर्तमान कीमतों पर हिमाचल प्रदेश में 2023-24 (अग्रिम अनुमान) में जी.एस.वी.ए. में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी 43.50 प्रतिशत थी।
- हिमाचल प्रदेश में लिए सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी 2018-19 में 42.02 प्रतिशत और 2020-21 में
42.07 प्रतिशत थी जो 2023-24 (अग्रिम अनुमान) में बढ़कर 43.50 प्रतिशत रही।
- कुछ उप-क्षेत्रों में कोविड-19 महामारी के बाद मजबूत सुधार देखा गया और उत्पादन और जी.एस.वी.ए में योगदान के मामले में 2019-20 के महामारी-पूर्व स्तर को पार कर गया। “व्यापार, मुरम्मत, होटल और रेस्तरां की हिस्सेदारी जो 2020-21 में 6.2 प्रतिशत थी, 2023-24 (अग्रिम अनुमान) में बढ़कर 7.0 प्रतिशत हो गई है।
- अग्रिम अनुमान के अनुसार 2023-24 में हिमाचल प्रदेश में सेवा क्षेत्र 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। सेवा क्षेत्र के सभी प्रमुख उप-क्षेत्रों ने हिमाचल प्रदेश में 2021-22 (द्वितीय संशोधित अनुमान) और 2023-24 (अग्रिम अनुमान) में तीव्र वृद्धि दर को दर्शाया है। उपक्षेत्र “व्यापार, मुरम्मत, होटल और रेस्तरां का जी.वी.ए. 2022-23 में 4.8 प्रतिशत और 2023-24 में 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ा। वित्तीय वर्श 2023-24 में (अग्रिम अनुमान) “परिवहन, भंडारण, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं” में 11.4 प्रतिशत और “रियल एस्टेट, आवास का स्वामित्व और व्यावसायिक सेवाओं” में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई।
पर्यटन
- पर्यटकों का आगमन किसी विशेष गंतव्य में पर्यटन की मांग के मुख्य संकेतकों में से एक है। कोविड-19 महामारी के बाद घरेलू पर्यटकों का आगमन 2020 में 32.13 लाख से बढ़कर 2021 में 56.37 लाख, 2022 में 151 लाख और 2023 में पूर्ण रूप से 160.05 हो गया है। इससे पता चलता है कि, पर्यटकों का आगमन महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच रहा है।
ऊर्जा
- राज्य में कई जलविद्युत परियोजनाएँ हैं जो इसकी नदियों की ऊर्जा का उपयोग करती हैं और क्षेत्र की बिजली आपूर्ति में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। हिमाचल प्रदेश में बड़ी संख्या में जलविद्युत संसाधन हैं, जो राष्ट्रीय क्षमता का लगभग 25 प्रतिशत है। पांच बारहमासी नदी घाटियों पर विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण से राज्य में लगभग 24,000 मेगावाट जलविद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। राज्य की कुल जलविद्युत क्षमता में से अब तक 11,209 मेगावाट का दोहन किया जा चुका है, जिसमें से केवल 7.6 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश सरकार के नियंत्रण में है जबकि शेष का दोहन केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है।
- हिमाचल प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्र बिजली का सबसे बड़ा उपभोक्ता (59.40 प्रतिशत) है, इसके बाद घरेलू खपत (23.45 प्रतिशत) है। सरकारी सिंचाई एवं जलापूर्ति योजनाएं कुल खपत का 6.39 प्रतिशत उपभोग करती है।
मुद्रास्फीति में वर्तमान रुझान - वित्तीय वर्ष 2022-23 के अप्रैल से दिसंबर तक, राज्य स्तर पर थोक मूल्य मुद्रास्फीति (डब्ल्यू.पी.आई.) 11.6 प्रतिशत से गिरकर -1.1 प्रतिशत हो गई। उपभोक्ता मूल्य सम्बन्धित सूचकांकों में उतार-चढ़ाव 1.9 से 5.1 प्रतिशत के बीच रहा। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान हिमाचल प्रदेश में मुद्रास्फीति की दर मध्यम रही है, दिसंबर-2023 (अनंतिम) में संयुक्त उपभोक्ता मूल्य संचकांक 5.1 प्रतिशत है और यह आर.बी.आई. की सहनशीलता सीमा के भीतर है।
रोजगार परिदृश्य
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पी.एल.एफ.एस.) 2022-23 के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के लिए श्रम बल भागीदारी दर सभी उम्र के लिए (एल.एफ.पी.आर.) 61.3 प्रतिशत रही जो कि उत्तराखंड (42.5 प्रतिशत), पंजाब (42.3 प्रतिशत), हरियाणा (36.3 प्रतिशत) और अखिल भारतीय (42.4 प्रतिशत) स्तर से अधिक है।
- 2022-23 में हिमाचल प्रदेश के लिए सभी उम्र के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यू.पी. आर.) 58.6 प्रतिशत रहा जो कि उत्तराखंड (40.6 प्रतिशत), पंजाब (39.7 प्रतिशत), हरियाणा (34.1 प्रतिशत) और अखिल भारतीय (41.1 प्रतिशत) अनुपात से बेहतर है।
- हिमाचल प्रदेश में, 54.8 प्रतिशत महिलाए पड़ोसी राज्यों व अखिल भारतीय स्तर (27.0 प्रतिशत)
की तुलना में आर्थिक गतिविधियों में अधिक सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं।
- पड़ोसी राज्यों में सभी उम्र के व्यक्तियों के लिए सामान्य स्थिति (प्रधान गतिविधी स्थिति + सहायक आर्थिक गतिविधी स्थिति) के अंतर्गत बेरोजगारी से पता चलता है कि हिमाचल में बेरोजगारी दर सबसे कम 4.4 प्रतिशत है, जबकि उत्तराखंड में 4.5 प्रतिशत, पंजाब और हरियाणा में यह 6.1 प्रतिशत रही।
गरीबी
- राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एम.पी.आई.) पर हाल ही में जारी रिपोर्ट राष्ट्रीय परिवार
स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (2015-16) और 5 (2019-21) पर आधारित है। राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय
स्तर पर गरीबी अनुपात घटनाओं के संबंध में 2005-06 और 2015-16 के बीच और 2019-21
के बाद के वर्षों के आंकड़ों की कमी के कारण, 2013-14 और 2022-23 के लिए हेडकाउंट
गरीबी अनुपात का अनुमान क्रमशः 2005-06 और 2015-16 एवं 2015-16 और 2019-21 के
बीच गरीबी के स्तर में घटाव की चक्रवृद्धि वृद्धि दर पर लगाया गया है। हिमाचल प्रदेश में
बहुआयामी गरीबी दर 2013-14 में 10.14 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 3.88 प्रतिशत हो गई
और इस अवधि के दौरान लगभग 4.67 लाख लोग गरीबी से उभरे हैं।