सांझ हुई ————
एप्पल न्यूज़, ब्यूरो
फैल रही लाली नदी तट रेत में
डूब रहा सूर्य सागर के पेट में
सांझ हुई
पर्वत के भाल पर क्षितिज के गाल पर
पसरती लालिमा जंगल के बाल पर
थक कर चूर दिन लोटपोट खेत में
फैल रही लाली नदी तट रेत में
सांझ हुई
हर तरफ शोर है
दिन है न भोर है
लौटते पशु पक्षी
घर-घर अगोर है
लौट रहे किसान
काम कर खेत में
फैल रही लाली
नदी तट रेत में
सांझ हुई
पथ पथ पांव पांव
रथ रथ गांव गांव
धूल धूल नभ थल
नद नद नाव नाव
दीप जला एक
रात के संकेत में
फैल रही लाली
नदी तट रेत में
सांझ हुई
लेखक
डॉ एम डी सिंह
होमियोपैथी चिकत्सक, गाजीपुर