2.5 करोड़ रिश्वत मामले में ईडी की बड़ी कार्रवाई, शिमला ऑफिस के डिप्टी डायरेक्टर और एडिशनल डायरेक्टर बदले

एप्पल न्यूज, शिमला

हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सब जोनल ऑफिस में रिश्वतखोरी के गंभीर आरोपों ने न केवल विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि प्रशासन को त्वरित कार्रवाई करने के लिए भी मजबूर किया है।

मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी दो शिकायतों में ढाई करोड़ रुपये रिश्वत मांगने के आरोपों के चलते ईडी मुख्यालय ने शिमला में तैनात अधिकारियों का तबादला कर दिया है।

यह मामला न केवल प्रशासनिक अनियमितताओं का प्रतीक है, बल्कि ईडी जैसे संवेदनशील संस्थान की साख पर भी चोट करता है।

घटनाक्रम का विवरण

शिकायतों के अनुसार, शिमला सब जोनल ऑफिस-2 के अतिरिक्त निदेशक विशाल दीप पर आरोप है कि उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में रिश्वत की मांग की।

उनकी कार्यप्रणाली को लेकर यह भी आरोप हैं कि वे आरोपियों को कार्यालय के बाहर पांच-पांच घंटे इंतजार करवाते थे और फिर शाम को, जब कार्यालय बंद हो जाता था, उन्हें अंदर बुलाकर बातचीत करते थे। इन बैठकों के दौरान पैसे के लेन-देन की बात होती थी।

विशाल दीप वर्तमान में फरार हैं और उन्हें पकड़ने के लिए सीबीआई अलग-अलग स्थानों पर दबिश दे रही है। इसके अतिरिक्त, शिमला स्थित ईडी कार्यालय में तैनात उप निदेशक कुलदीप शिवाजी का भी तबादला मुख्यालय के लिए कर दिया गया है।

नए अधिकारी और प्रशासनिक बदलाव

ईडी मुख्यालय ने तेजी से कदम उठाते हुए नए अधिकारियों की तैनाती की है। राजीव कुमार, जो पहले से दिल्ली मुख्यालय में तैनात थे, को शिमला सब जोनल-1 का अतिरिक्त निदेशक नियुक्त किया गया है।

उन्हें शिमला सब जोनल-2 का भी अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। इसी प्रकार, जीवितेश आनंद को शिमला सब जोनल कार्यालय में डिप्टी डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया है।

मुख्य बिंदु:

  1. आरोप और तबादला

ईडी मुख्यालय ने शिमला सब जोनल ऑफिस-2 के अतिरिक्त निदेशक विशाल दीप का तबादला कर दिया है।

विशाल दीप वर्तमान में फरार है और सीबीआई उसकी तलाश में है।

उप निदेशक कुलदीप शिवाजी का भी तबादला मुख्यालय किया गया है।

  1. नए अधिकारी नियुक्त:

राजीव कुमार को शिमला सब जोनल-1 का अतिरिक्त निदेशक बनाया गया है।

जीवितेश आनंद को डिप्टी डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया है।

प्रभाव और जांच की स्थिति

यह मामला न केवल ईडी जैसे महत्वपूर्ण संस्थान की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

विशाल दीप पर लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई जांच कर रही है। साथ ही, ईडी मुख्यालय इस बात को सुनिश्चित कर रहा है कि कार्यालय में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।

व्यवहारिक चिंताएं

इस मामले ने यह उजागर किया है कि सरकारी अधिकारियों के कुछ वर्ग किस प्रकार अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं।

मनी लॉन्ड्रिंग जैसे संवेदनशील मामलों में ऐसे भ्रष्टाचार न केवल न्याय प्रक्रिया को बाधित करते हैं, बल्कि जनता के विश्वास को भी कमजोर करते हैं। यह घटनाक्रम सरकारी तंत्र में सुधार और कड़े निगरानी तंत्र की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

निष्कर्ष

शिमला ईडी कार्यालय में हुए इन तबादलों और आरोपों ने प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक बड़ी चुनौती पेश की है। हालांकि ईडी मुख्यालय ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अधिकारियों का तबादला कर दिया है और नए अधिकारियों की नियुक्ति की है, लेकिन इस मामले की गहराई से जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना अनिवार्य है।

यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि ईडी जैसे संस्थानों की विश्वसनीयता बनी रहे और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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