हिमाचल में “सूखे की स्थिति” 56% कम बारिश से कृषि, बागवानी और जल संकट की आशंका

एप्पल न्यूज, शिमला

हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष अब तक बारिश का ग्राफ सामान्य से 56% कम रहा है, जिससे प्रदेश के विभिन्न जिलों में सूखे जैसी स्थिति बनने की आशंका है।

फरवरी माह में आमतौर पर हिमाचल में 36.8 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस बार अब तक मात्र 16.3 मिमी बारिश दर्ज की गई है।

प्रदेश के आठ जिलों में तो बारिश का आंकड़ा 10 मिमी से भी कम है, जो कि जल संकट और कृषि उत्पादन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

हिमाचल प्रदेश में इस साल अब तक सामान्य से आधी से भी कम बारिश हुई है, जिससे कृषि, जल आपूर्ति और बागवानी पर गंभीर असर पड़ सकता है।

कई जिलों में हालात बेहद खराब हैं, खासकर सिरमौर, बिलासपुर और ऊना में। अगर मौसम में जल्द सुधार नहीं हुआ, तो गर्मी के महीनों में जल संकट और खाद्य उत्पादन की समस्याएं बढ़ सकती हैं।

किन जिलों में बारिश सबसे कम?

सिरमौर, बिलासपुर, ऊना, हमीरपुर, शिमला और कांगड़ा जैसे जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं, जहां औसत से 70-96% तक बारिश की कमी देखी गई है।

  • सिरमौर: यहाँ अब तक केवल 1.1 मिमी बारिश हुई है, जो कि औसत 28.9 मिमी से 96% कम है। यह पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा कमी वाला जिला है।
  • बिलासपुर: मात्र 3.5 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य 22.1 मिमी से 84% कम है।
  • ऊना: यहाँ सिर्फ 5 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य 21.7 मिमी से 77% कम है।
  • हमीरपुर: बारिश का स्तर 6.1 मिमी दर्ज किया गया, जो कि औसत 24.3 मिमी से 75% कम है।
  • शिमला: यहाँ मात्र 7.8 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य औसत 28.2 मिमी रहता है, यानी 72% की कमी
  • कांगड़ा: यहाँ 9.9 मिमी बारिश दर्ज हुई, जो कि औसत 32.5 मिमी से 70% कम है।

कुछ जिलों में थोड़ी राहत, लेकिन औसत से अब भी कम

प्रदेश के कुछ जिलों में अन्य की तुलना में थोड़ी अधिक बारिश हुई है, लेकिन ये भी औसत से काफी कम है।

  • चंबा: यहाँ सबसे अधिक 33.4 मिमी बारिश दर्ज हुई, लेकिन यह सामान्य 52.6 मिमी से 37% कम है।
  • कुल्लू: यहाँ 30.7 मिमी बारिश हुई, जो कि औसत 36.7 मिमी से 16% कम है।
  • मंडी: बारिश का स्तर 16.4 मिमी दर्ज हुआ, जो कि औसत से 50% कम है।
  • लाहौल-स्पीति: यहाँ 19.8 मिमी बारिश दर्ज हुई, जबकि सामान्य औसत 42.6 मिमी है, यानी 56% की कमी
  • किन्नौर: यहाँ 7.7 मिमी बारिश हुई।

कृषि और जल आपूर्ति पर प्रभाव

  1. रबी फसलों को नुकसान: गेहूं, मटर और अन्य रबी फसलों की उपज प्रभावित हो सकती है।
  2. बागवानी संकट: सेब, नाशपाती और अन्य फलों के उत्पादन में गिरावट आ सकती है।
  3. जल स्रोतों पर दबाव: नदियों, झीलों और जलाशयों में जलस्तर कम हो सकता है, जिससे गर्मियों में पेयजल संकट गहरा सकता है।
  4. पशुधन पर असर: घास और चारे की उपलब्धता कम हो सकती है, जिससे पशुपालन पर असर पड़ेगा।

क्या आगे राहत की उम्मीद है?

मौसम विभाग के अनुसार, फरवरी के अंत तक कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश हो सकती है, लेकिन अभी तक भारी बारिश के संकेत नहीं हैं।

अगर आने वाले दिनों में अच्छी बारिश नहीं हुई, तो प्रदेश को सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

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