एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल प्रदेश सरकार ने सरकारी भर्तियों को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब प्रदेश में ग्रुप-A, B और C पदों पर अनुबंध (कांट्रैक्ट) के स्थान पर ‘जॉब ट्रेनी स्कीम’ के तहत नियुक्तियां की जाएंगी। शनिवार को कार्मिक विभाग की ओर से इस नई नीति की अधिसूचना जारी की गई।
इस नीति के अनुसार, नए कर्मचारी प्रारंभ में दो वर्ष तक जॉब ट्रेनी के रूप में कार्य करेंगे और उन्हें तयशुदा फिक्स वेतन मिलेगा। दो साल की सेवा के पश्चात् उन्हें नियमित (रेगुलर) करने से पहले एक अतिरिक्त परीक्षण (टेस्ट) पास करना अनिवार्य होगा। इसके बाद ही वे स्थायी पद के लिए पात्र माने जाएंगे।

सरकार के अनुसार, इस भर्ती प्रक्रिया के तहत अभ्यर्थी को नियुक्ति से पूर्व एक हलफनामा साइन करना होगा, जिसमें वह रेगुलर सेवा का कोई दावा नहीं करेगा। वित्त विभाग द्वारा तय की गई सैलरी का उल्लेख भर्ती विज्ञापन में भी किया जाएगा।
कार्मिक विभाग ने स्पष्ट किया है कि जॉब ट्रेनी रखने की प्रक्रिया में भर्ती एजेंसी का उल्लेख नहीं किया गया है। सरकार भविष्य में भर्ती एजेंसी और रेगुलराइजेशन टेस्ट की परीक्षा एजेंसी का निर्धारण करेगी।
इन पदों पर लागू नहीं होगी स्कीम: इस नीति को कुछ विशेष पदों से बाहर रखा गया है, जिनमें शामिल हैं:
लोक सेवा आयोग द्वारा भरने वाले पद (जैसे HAS, Allied Services)
सिविल जज
मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट व एसोसिएट प्रोफेसर
आयुर्वेद विभाग के प्रोफेसर
असिस्टेंट कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट
नायब तहसीलदार
फाइनेंस व अकाउंट्स में सेक्शन ऑफिसर
असिस्टेंट स्टेट टैक्स एवं एक्साइज ऑफिसर
पुलिस में कांस्टेबल
सरकार का कहना है कि यह नई नीति पारदर्शिता, कार्यकुशलता और प्रशिक्षण को प्राथमिकता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे युवाओं को व्यावहारिक अनुभव मिलेगा और लंबे समय में प्रशासनिक व्यवस्था अधिक प्रभावशाली होगी।
यह नीति राज्य सरकार की कर्मचारी नीति में एक बड़ा बदलाव मानी जा रही है। हालांकि जॉब ट्रेनी को शुरू में स्थायित्व नहीं मिलेगा, परन्तु नियमित होने की संभावना और अनुभव का लाभ इसे आकर्षक बना सकता है।







