एप्पल न्यूज, शिमला
हिमाचल किसान सभा पिछले लगभग 10 महीनों से सेब उत्पादक संघ, दुग्ध उत्पादक संघ आदि किसान मजदूर संगठनों के साथ मिलकर निरंतरता से संघर्ष कर रही है।
हिमाचल के किसानों जिसमें मुख्यतः लघु एवं सीमांत किसान, विधवा, आम गरीब जनता; दलित, आदिवासी, OBC, शामिल है आदि की ज़मीन और ज़मीन से जुड़ी अनेक समस्याओं एवं मुद्दों पर विभिन्न क्षेत्रों में संघर्षरत है।
डॉ कुलदीप सिंह तँवर राज्य अध्यक्ष हिमाचल किसान सभा ने कहा कि किसान सभा, प्रदेश में लाखों की तादाद में हिमाचल के आम गरीब किसान जो ज़मीन से जुड़ी समस्याओं से प्रभावित हैं उन्हें लामबंद कर संघर्ष के माध्यम से राज्य और केंद्रीय सरकार पर यह दबाव बना रही है की जो गरीब किसान विरोधी नोटिफिकेशन, नीतियां और कानून हैं उनमें राज्य एवं केंद्रीय सरकारें बदलाव लाएं।

पर इसी दौरान 5 अगस्त 2025 को माननीय उच्च न्यायलय का निर्णय आया जिसमें HP Land Revenue Act की धारा 163 A को निरस्त कर दिया गया और उसके तहत जो लाखों गरीब किसान राज्य सरकार से उम्मीद लगाए बैठे थे कि उनके घरों और जीवन यापन के लिए जो छोटी मोटी ज़मीन उनके पास थी उसका नियमितीकरण होगा, वहाँ से 28-2-26 तक बेदखली का आदेश हो गया
इस विशेष परिस्थिति में हिमाचल किसान सभा ने देश के सर्वोच्च न्यायलय का दरवाज़ा खटखटाया 19 सितंबर 2025 के आदेश के अनुसार बेदखली के मुद्दे पर यथास्थिति रखने का निर्णय आया।
किसान सभा का यह मानना है की अगर हम हिमाचल में आम आदमी और गरीब किसानों को राहत देना चाहते हैं तो नीतियों और कानूनों में संशोधन कर बदलाव लाना पड़ेगा जो पिछले 45 वर्षों से नहीं हो सका।
इसके लिए आम जनता को विशेष रूप से जो इन गलत नीतियों एवं कानूनों से प्रभावित हैं उन्हें संगठित होकर संघर्ष करना होगा।
डॉ कुलदीप सिंह तँवर ने कहा कि हम सब माननीय सर्वोच्च न्यायलय का हार्दिक धन्यवाद करते हैं। सभी प्रभावित लोगों को संगठित होकर संघर्ष करने की ज़रूरत है ताकि इन जनविरोधी नीतियों और कानूनों में बदलाव लाए जाएं ताकि इस प्रजातांत्रिक देश में संविधान के जीने के अधिकार के मुताबिक गरीब लघु सीमांत किसान व आम जनता अपना जीवनयापन कर सके।






