एप्पल न्यूज़, शिमला
कोरोना काल में भाषा एवं संस्कृति विभाग की किसी भी प्रकार की गतिविधियां खुले में तथा सामूहिक तौर पर नहीं हो पा रही है। सामाजिक दूरी को बनाए रखने के लिए विभाग ने निर्णय लिया कि सभी साहित्यिक, सांस्कृतिक,जयन्तियाॅ तथा दिवस कार्यक्रम आॅनलाईन आयोजित किये जाए। विभाग ने यह आनलाईन कार्यक्रम लाॅक डाऊन के पश्चात 3 जून से शुरू किए। अभी तक विभाग प्रदेश के 6 वरिष्ठ साहित्यकारों/कलाकारों व चित्रकारों के साक्षात्कार , एक कवि सम्मेलन तथा एक राज्य स्तरीय गुलेरी जयंती आनलाईन आयोजित कर चुका है।
इसी कड़ी के क्रम को आगे बढ़ाते हुए बुधवार को प्रातः 11ः30 बजे प्रदेश के मशहूर शायर/साहित्यिकार एवं पत्रकार नवनीत शर्मा का विभाग के सहायक निदेशक ,त्रिलोक सूर्यवंशीनेआॅनलाईन साक्षात्कार किया।नवनीत शर्मा ने बताया कि उन्होंने वर्ष 1998 में पत्रकारिता शुरू की थी। साहित्य के प्रति अपनी रूचि के बारे में बताया कि लिखने की प्रेरणा उन्हें अपने पिता स्व मनोहर शर्मा सागर पालमपुरी से मिली जो कि अपने समय के सुप्रसिद्व गजलकार व साहित्यकार थे इसके अतिरिक्त इन के दो बडे भाई भी समकालीन साहित्यकार है। उन्होने कहा कि मेरा काव्य संग्र्रह ‘ढूंढना मुझे’ 2016 में बोधि प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है इस काव्य संग्रह में 59 रचनाएं है। प्रस्तुत कविताओं में कोई एक विषय नहीं है अपितु जो देखा, जो बीता ,जो अनुभव किया वही लिखा। उन्होंने यह भी बताया कि उनका एक गज़ल संग्रह प्रकाशाधीन है जिसमें 100 गजलें है। संचालक द्वारा यह पूछने पर कि आप के सम्पादकीय में तथा समाचार शीर्षकों में साहित्यक झलक दिखती है के सम्बन्ध में नवनीत शर्मा ने बताया कि मै आज दिन तक अपने आप को ये नहीं समझ पाया हूॅ कि मैं पत्रकार हूॅ या साहित्यकार हॅॅू लेकिन पत्रकारिता के लिए साहित्यक होना सहायक सिद्व होता है। सोशल मीडिया में साहित्यकारों द्वारा कट पेस्ट कर लिखी जाने वाली कविताएं व आलेखों के बारे में उन्होंने बताया कि यह परम्परा अनुचित है।
इस कार्यक्रम में पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव तरूण श्रीधर, वरिष्ठ साहित्यकारसुदर्शन वशिष्ठ व डाॅ0 गौतम व्यथित, जगमोहन शर्मा, प्रकाश भारद्वाजतथा मुनीष दीक्षित भी आॅनलाईन जुडें तथा इन्होंने नवनीत शर्मा के व्यक्तित्व तथा कृत्तिव पर चर्चा-परिचर्चा की। अन्त में नवनीत शर्मा ने गजल भी सुनाई।
भाषा एवं संस्कृति विभाग, हिमाचल प्रदेश की निदेशक, कुमुद सिंह नेे बताया कि कोरोनाकाल में भी विभाग नवोदित कवियों, वरिष्ठ साहित्यकारों, कलाकारों तथा रंग कर्मियों को आॅनलाईन मंच प्रदान कररहा है। उन्होने बताया कि यह हिमकृति कार्यक्रम साहित्यकार /कलाकार से मिलिए हर बुधवार को किया जाता है।