एप्पल न्यूज़, किन्नौर
किन्नौर जिला के रिकांग पिओ में जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा बाल संरक्षण अधिकार व किशोर न्याय अधिनियम व अन्य अधिकारों के बारे में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग हिमाचल प्रदेश की अध्यक्षा वंदना योगी ने की।
वंदना योगी ने इस अवसर पर कार्यशाला में आए सभी प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे समाज में फैली विभिन्न कुरीतियों जैसे बाल-विवाह, बच्चों की सुरक्षा संबंधी अधिकार व अधिनियमों के बारे बच्चों के निःशुल्क शिक्षा के अधिकार, बच्चों से संबंधी विभिन्न मामलों के बारे लोगों को जागरूक करें ताकि बच्चों तथा महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि किसी लड़की की 18 वर्ष से कम आयु व लड़के की 21 वर्ष से कम आयु में विवाह बाल विवाह की श्रेणी में आता है तथा इसे रोकने के लिए बाल विवाह रोकथाम अधिनियम-2006 बनाया गया है। उन्होंने कहा कि कोई भी बालिग जो बच्चे का विवाह करवाता है जिनमें उसके माता पिता या अन्य व्यक्ति या कोई व्यक्ति जो बाल विवाह में सहयोग या प्रोत्साहित करता है वह बाल विवाह के लिए दोषी होगा।
उन्होंने कहा कि दोषी व्यक्तियों को 2 वर्ष का कठोर कारावास या एक लाख तक जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इस अधिनियम के तहत सभी अपराध संज्ञानात्मक और गैर-जमानती श्रेणी में आते हैं।
ऐसे में हम सभी का यह दायित्व बनता हे कि हम समाज में व्यापक बाल-विवाह प्रथा को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करें।
इस दौरान सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विक्रांत कौंडल ने किशोर न्याय अधिनियम-2000 के तहत लागू होने वाले नियमों व संशोधित नियमों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि संशोधित नियम के अनुसार 16 से 18 वर्ष से अधिक आयु के बाल अपराधी भी अब किशोर अपराधी की श्रेणी में आएंगे तथा उन्हें भी 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के व्यक्तियों के समान सजा का प्रावधान है।
निरीक्षक पुलिस विभाग रिकांग पिओ अमर सिंह ने बाल विवाह व लैंगिक अपराधों से बच्चों के संरक्षण के लिए बनाए गए पाॅक्सो अधिनियम-2012 के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
इस अवसर पर जिला श्रम अधिकारी सुरेंद्र सिंह बिष्ट, स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. अन्वेषा, उपनिदेशक प्राथमिक शिक्षा अशोक नेगी, सदस्य किशोर न्याय बोर्ड किन्नोर स्थित रामपुर मनमोहन ने बाल संरक्षण अधिनियम के तहत अपने-अपने विषयों पर विस्तृत जानकारी दी।