एप्पल न्यूज़, शिमला
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा रामपुर बुशहर से सक्रिय कौल सिंह नेगी को हिमकोफेड का अध्यक्ष बनाए जाने से नाराज़ भाजपा के करीब 100 पदाधिकारियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के कारण कौल नेगी का अध्यक्ष बनना नहीं बल्कि रामपुर बुशहर के कोटे से उन्हें अध्यक्ष बनाना है।
पदाधिकारियों का सीधा आरोप है कि जनजातीय जिला किन्नौर के स्थायी निवासी को रामपुर बुशहर कोटे से अध्यक्ष बनाना रामपुर बुशहर भाजपा के उन सभी नेताओं का अपमान है जो कई वर्षों से निष्ठा पूर्वक पार्टी के लिए काम कर रहे हैं।
ऐसे में रामपुर बुशहर के नाम पर दूसरे जिले के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाना किसी भी सूरत में उचित नहीं। ऐसे में उनके पास एक ही रास्ता बचता है कि वह अपने पद त्याग दें।

भारतीय जनता पार्टी के मण्डल रामपुर बुशहर के उपाध्यक्ष सितेंद्र सिंह मिलर, एससी मोर्चा अध्यक्ष, मण्डल अध्यक्ष देवी सिंह बुशहरी, युवा मोर्चा अध्यक्ष ठाकुर दास राठी सहित करीब 100 से ज्यादा पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं की रविवार देर शाम रामपुर बुशहर में विशेष बैठक हुई जिसमें सर्वसम्मति से सभी पदाधिकारियों ने अपने पदों से इस्तीफा देने का फैसला किया।
इस्तीफा देने वालों में मुख़्य रूप से पूर्व प्रत्याशी प्रेम सिंह धरेक, पूर्व मंत्री सिंघी राम, ब्रिज लाल, केवल राम बुशहरी, मण्डल उपाध्यक्ष रोशन डोगरा, सितेंद्र मिलर, एससी मोर्चा अध्यक्ष देवी सिंह बुशहरी, युवा मोर्चा अध्यक्ष ठाकुर दास राठी, पंचायती राज प्रकोष्ठ के नन्दलाल बुशहरी, अनुसूचित जाति जिला उपाध्यक्ष मोहन लाल, महिला मोर्चा महामंत्री गुड्डी देवी भारती, ग्राम केंद्र अध्यक्ष बाबू राम, भूपेश कुमार, बीरबल, दीवान सिंह, मंगलदास, पूर्व मण्डल पदाधिकारी प्रकाश आज़ाद, मण्डल उपाध्यक्ष चेश्वर प्रसाद, मणि लाल, प्रेम जोशी, केसरी दत्ता, विकास लांबा व दीप कुमार सहित 100 से ज्यादा पदाधिकारियों में इस्तीफा दिया है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश पदाधिकारियों से लेकर बूथ स्तर व पन्ना प्रमुख सहित अन्य विभिन्न पदों पर सेवाएं दे रहे पार्टी ले सैंकड़ों कार्यकर्ता कौल नेगी के विरोध में जल्द इस्तीफा सौंपेगे।
विशेष तौर पर भाजपा रामपुर बुशहर अनुसूचित जाति वर्ग के कार्यकर्ता प्रदेश सरकार के इस निर्णय से बेहद आहत है और भारी निराश है।
गौर हो कि भाजपा ने रामपुर बुशहर में लंबे समय से पार्टी की सेवा कर रहे वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर कौल नेगी को युवा नेता के तौर पर रामपुर में तरजीह दी।
ऐसे में वरिष्ठ कार्यकताओं में बीते 2 वर्षों से जो गुस्सा और रोष गुब्बार बन कर दिलों में भरा था आज अचानक ज्वालामुखी की तरह फुट पड़ा। अगर ऐसी ही स्थिति रही तो टुकड़ों में बंटी रामपुर भाजपा बैकफुट पर चली जायेगी और कार्यकर्ताओं की नाराज़गी से एक बार फिर कांग्रेस को संजीवनी मिल सकती है।
देखना होगा कि चुनाव के मुहाने पर खड़ी भाजपा इस मामले को कैसे सुलझाती है क्योंकि हाल ही में हुए मंडी उपचुनाव में सत्ता सीन भाजपा के प्रत्याशी को 17 सीटों में सबसे कम वोट रामपुर से ही मिले और यही लीड हार का सबसे बड़ा कारण बनी थी।