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हिमाचल में कांग्रेस पार्टी हो गई है “पैरालाइज्ड”, संगठन निष्क्रिय आत्ममंथन की जरूरत – चन्द्र कुमार

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एप्पल न्यूज, शिमला

हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री चंद्र कुमार का हालिया बयान न केवल प्रदेश की कांग्रेस इकाई की स्थिति को दर्शाता है, बल्कि पार्टी की समग्र रणनीति और सरकार की कृषि-नीतियों पर भी महत्वपूर्ण प्रकाश डालता है।

उनके इस बयान में दो मुख्य पहलू शामिल हैं—एक तरफ कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक स्थिति और संगठनात्मक ढांचे की कमजोरी, और दूसरी तरफ किसानों के हितों के लिए सरकार की नीतियों और उनके क्रियान्वयन की स्थिति।

कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक स्थिति और संगठनात्मक कमजोरी

  1. दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की असफलता
    • दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला, जिससे पार्टी की रणनीति पर सवाल उठने लगे।
    • चंद्र कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि कांग्रेस ने चुनाव को गंभीरता से नहीं लड़ा। उनका इशारा इस बात की ओर था कि पार्टी ने जमीनी स्तर पर तैयारी नहीं की थी, और जब चुनाव सिर पर आ गए, तब उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया।
    • यह बयान कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर सीधा प्रहार करता है, जिसमें संगठन की मजबूती और जमीनी पकड़ की कमी उजागर होती है।
  2. हिमाचल में कांग्रेस संगठन का ‘पैरालाइज्ड’ होना
    • मंत्री चंद्र कुमार ने अपनी ही पार्टी की प्रदेश इकाई की आलोचना करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस संगठन पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुका है।
    • उनका कहना था कि संगठन को मजबूत करना पार्टी हाईकमान की ज़िम्मेदारी है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया।
    • उन्होंने यह भी कहा कि केवल सरकार बनाना ही काफी नहीं होता, बल्कि सरकार और संगठन को साथ मिलकर काम करना चाहिए, तभी पार्टी मजबूत हो सकती है।
    • यह बयान संकेत करता है कि हिमाचल में कांग्रेस सरकार के अंदर ही मतभेद हैं और संगठन की निष्क्रियता सरकार के प्रदर्शन पर भी प्रभाव डाल रही है।

कृषि मंत्री के रूप में सरकार की किसान-नीतियों पर विचार

  1. मक्की खरीद नीति
    • कृषि मंत्री ने जानकारी दी कि हिमाचल सरकार ने किसानों से ₹1.40 करोड़ की मक्की खरीदी और इसे सिविल सप्लाई को दिया है।
    • किसानों को ₹30 प्रति किलो की दर से मक्की बेची गई, जबकि बाजार में इसका आटा ₹40-₹50 प्रति किलो बेचा जा रहा है।
    • यह कदम किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने और उपभोक्ताओं को उचित दर पर अनाज उपलब्ध कराने के लिए उठाया गया है।
  2. गोबर खरीद योजना
    • कांग्रेस पार्टी ने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों से ₹2 प्रति किलो की दर से गोबर खरीदने का वादा किया था, जिसे अब सरकार ₹3 प्रति किलो की दर से खरीद रही है।
    • सरकार द्वारा अब तक ₹1.5 करोड़ (डेढ़ करोड़) का गोबर खरीदा जा चुका है, और अगर जरूरत पड़ी तो इस योजना के बजट को बढ़ाने पर भी विचार किया जाएगा।
    • इस योजना का उद्देश्य न केवल किसानों की आर्थिक मदद करना है, बल्कि गोबर को जैविक खाद और अन्य कृषि उत्पादों के रूप में उपयोग में लाकर जैविक खेती को बढ़ावा देना भी है।

चंद्र कुमार का यह बयान कांग्रेस पार्टी की आंतरिक स्थिति और सरकार की नीतियों को लेकर एक सख्त संदेश देता है।

  1. राजनीतिक रूप से – यह बयान इस बात को दर्शाता है कि कांग्रेस हाईकमान को न केवल दिल्ली बल्कि हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भी संगठन की स्थिति को मजबूत करने की जरूरत है।
  2. कृषि और आर्थिक दृष्टि से – हिमाचल प्रदेश सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन अभी और प्रयासों की जरूरत है ताकि किसान लाभान्वित हो सकें।

अंततः, यह बयान कांग्रेस पार्टी के लिए आत्ममंथन का संकेत है, जिससे पार्टी को अपनी रणनीतियों और संगठनात्मक ढांचे को दुरुस्त करने की जरूरत महसूस हो सकती है।

वहीं, सरकार को भी अपनी किसान-नीतियों में निरंतर सुधार लाना होगा ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले।

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