एप्पल न्यूज़, रामपुर बुशहर
लापरवाही के लिए बदनाम व बदहाली के लिए हमेशा सुर्खियों में रहने वाले महात्मा गांधी चिकित्सा सेवा परिसर खनेरी अस्पताल के चिकित्सकों की खुलेआम लापरवाही से एक महिला अधिवक्ता की जान चली गई। अस्पताल में तैनात डॉक्टर यदि मानव सेवा के अपने धर्म को निभाते तो अधिवक्ता मेनका श्याम जिंदा होती और परिवार के लोगों को मातम न मनाना पड़ता। अब बार एसोसिएशन रामपुर बुशहर ने जानबूझकर लापरवाही बरतने वाले डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ मामला दर्ज कर दोषियों के खिलाफ क्रिमिनल केस दायर कर कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग की है। साथ ही मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री, जिला व स्थानीय न्यायपालिका के जज और SP न DSP सहित 9 संस्थानों को लिखित शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है।
शिकायत में कहा गया है कि 22 अगस्त को अधिवक्ता मेनका श्याम की तबियत खराब होने पर उसे उपचार के लिए खनेरी अस्पताल ले जाया गया। रात 11:30 बजे टैस्ट शुरू हुए और डॉक्टर ने आधी रात करीब 3 बजे रिपोर्ट में पता चला कि उनकी आंत में घाव हो गया है जिसके लिए तुरन्त ऑपरेशन किया जाना जरूरी है अन्यथा जान जा सकती है। डॉक्टर ने फिर सिटी स्कैन करवाया और सुबह 9 बजे ऑपरेशन के समय दे दिया।
10 बजे तक भी ऑपरेशन शुरू न हुआ तो परिजनों ने MO से पूछा तो बताया कि एनस्थीसिया देने वाला डॉक्टर कोर्ट केस के सिलसिले में चल गया है और उसके बगैर ऑपरेशन नहीं हो सकता।
अधिवक्ता HK शर्मा व अन्य लोगों के आग्रह पर दोपहर बाद 4:45 बजे सर्जन तो आयलेकिं तब तक ऑपरेशन थिएटर में ताला लग चुका था और मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी। सर्जन भी मरीज को उसी हाल में छोड़कर चला गया न उपचार हुआ न रैफर किया। फिर बड़ी मुश्किल से सर्जन और एनस्थीसिया विशेषज्ञ को बुलाया गया और 5:30 बजे ऑपरेशन शुरू हुआ जो 8 बजे तक चला।
रात करीब 11:30 बजे मेनका श्याम की तबियत बिगड़ गई जिसके बाद उन्हें IGMC शिमला रैफर किया गया लेकिन रास्ते मे ही दम तोड़ दिया।
बार एसोसिएशन रामपुर बुशहर के महासचिव अरविंद वर्मा ने कहा कि ये स्पष्ट है कि मेनका श्याम डॉक्टर की लापरवाही से गई है। हालत और वजह जानने के बाद भी करीब 15 घण्टे तक ऑपरेशन नहीं किया गया और एक डॉक्टर मरीज को मरने के लिए छोड़कर अपनी जमीन की निशानदेही करवाने अस्पताल से 15 किलोमीटर दूर ड्यूटी के समय गया है। जबकि उसे पता था कि ऑपरेशन न हुआ तो मरीज की जान जा सकती है। ऐसे डॉक्टर के खिलाफ क्रिमिनल और सिविल दोनों तरह से मामले दर्ज हो और सख्त सजा हो। इसमें अस्पताल प्रशासन की भी बराबर की जिम्मेदारी और लापरवाही सामे आई है। इसे देखते हुए IPC की धारा 304A और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है।