IMG_20250501_120218
IMG-20250530-WA0009
file_00000000784861f8b70cfecce65018fe (1)
previous arrow
next arrow

हिमाचल सरकार भूस्खलन से निपटने के लिए बायो-इंजीनियरिंग तहत उगाएगी “वेटीवर घास”- CM

file_00000000934c61f8b77af5384f2a351e
file_00000000a3d461f9a909a929a40f939d
file_0000000006c861fb9906286a4ab087a2
file_000000006e746230a2a51781dd51f8fa
previous arrow
next arrow

एप्पल न्यूज, शिमला

हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन की बढ़ती आवृत्ति से निपटने के लिए राज्य सरकार बायो-इंजीनियरिंग पहल शुरू कर रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वेटिवर घास की खेती के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की गई है, जो अपनी गहरी और घनी जड़ों के कारण मिट्टी को मजबूती से बांधती और भूमि कटाव को रोकती है।
उन्होंने कहा, वेटीवर घास का उपयोग विश्व भर में विशेष रूप से भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों, राजमार्ग तटबंधों और नदी के किनारों पर मिट्टी संरक्षण के लिए व्यापक रूप से किया जाता है।

इसकी क्षमता को पहचानते हुए हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने वेटिवर फाउंडेशन-क्लाइमेट रेजिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी इनिशिएटिव्स (सीआरएसआई) तमिलनाडु के सहयोग से भूस्खलन से निपटने के लिए स्थायी शमन रणनीति विकसित करने के लिए यह परियोजना शुरू की है।
इस पहल के अन्तर्गत प्राधिकरण ने सीआरएसआई से वेटिवर नर्सरी उपलब्ध करवाने का आग्रह किया है ताकि 2025 के मानसून सीजन से पहले पर्याप्त मात्रा में पौधे उपलब्ध हो सके।

सीआरएसआई ने 1,000 वेटिवर घास के पौधे निःशुल्क उपलब्ध करवाए हैं और इन पौधों को कृषि विभाग के सहयोग से सोलन जिले के बेरटी में स्थापित नर्सरी में लगाया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एचपीएसडीएमए वेटिवर घास की सफल खेती और आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पायलट परियोजना की बारीकी से निगरानी कर रहा है।

उत्साहजनक रूप से, प्रारंभिक परिणाम पौधों की उच्च जीवित रहने की दर का संकेत देते हैं, जिसमें विकास और स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल होने के स्पष्ट संकेत हैं।
वेटिवर घास, जो 3-4 मीटर गहराई तक जड़ें विकसित कर सकती है, एक मजबूत नेटवर्क बनाती है जो मिट्टी को बांधती है जिससे भूस्खलन का खतरा कम होता है।

यह एक प्राकृतिक अवरोधक के रूप में कार्य करते हुए पानी के बहाव को धीमा कर देती है और विशेषकर खड़ी ढलानों को भूमि के कटाव को रोकती है।

पंक्तियों में लगाए जाने पर वेटिवर घास एक दीवार की तरह काम करती है। इसकी जड़ें अतिरिक्त पानी को सोख लेती हैं और मिट्टी में पानी की अधिकता को कम करती है जिससेे भूस्खलन की सम्भावनाएं कम हो जाती है।

पारंपरिक समाधानों की तुलना में वेटिवर ढलानों की सुरक्षा के लिए कम लागत टिकाऊ और कम रखरखाव वालाा विकल्प प्रदान करती है।
श्री सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की खड़ी और भौगोलिक रूप से युवा पहाड़ियों की भूस्खलन के प्रति संवेदनशीलता हाल के वर्षों में विभिन्न कारणों से बढ़ रही है। भारी मानसूनी बारिश और भूकंपीय गतिविधि के चलते राज्य में भूस्खलन का खतरा लगातार बढ़ रहा है।

इससे निपटने के लिए प्रदेश सरकार वैज्ञानिक और जैव-इंजीनियरिंग तकनीकों को अपनाकर विशेषकर बरसात के मौसम में आपदा प्रबंधन को और अधिक मजबूत बनाने और लोगों व बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही है।

Share from A4appleNews:

Next Post

राष्ट्रपति पदक, पुलिस, गृह रक्षा एवं नागरिक सुरक्षा और जीवन रक्षा पदक से राज्यपाल ने अलंकृत किए 76 विजेता

Fri Feb 14 , 2025
जवानों की कर्तव्यनिष्ठा, साहस और सेवा-भावना को समर्पित हैं ये पुरस्कारः राज्यपाल एप्पल न्यूज़, शिमला राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल ने राजभवन शिमला में ‘अलंकरण समारोह’ में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक और सराहनीय सेवा के लिए ”पुलिस, गृह रक्षा एवं नागरिक सुरक्षा तथा जीवन रक्षा पदक से 76 […]

You May Like

Breaking News