एप्पल न्यूज, धर्मशाला
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी द्वारा आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) पर की गई टिप्पणी को लेकर सदन में जमकर शोर-शराबा हुआ। स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि विधानसभा अध्यक्ष को कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी।
विपक्ष की मांग — टिप्पणी रिकॉर्ड से हटे और मंत्री माफी मांगें
प्रश्नकाल के बाद नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुद्दा उठाते हुए कहा कि बीते दिन पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव को लेकर लाए गए काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान जगत सिंह नेगी ने विषय से हटकर आरएसएस पर आधारहीन और गंभीर आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि राजस्व मंत्री के शब्द “दुर्भाग्यपूर्ण” हैं और इन्हें विधानसभा रिकॉर्ड से हटाया जाए तथा मंत्री को माफी मांगनी होगी।

जयराम ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया कि राजस्व मंत्री के तौर-तरीकों से सरकार अक्सर संकट में घिर जाती है और मुख्यमंत्री भी उन्हें रोकने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने 1925 से राष्ट्र-निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए उसकी छवि पर आक्षेप स्वीकार्य नहीं है।
सत्ता पक्ष का जवाब — संगठन पर आलोचना सामान्य बात
संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने जगत सिंह नेगी का बचाव किया। उन्होंने कहा कि राजस्व मंत्री ने किसी व्यक्ति विशेष पर नहीं बल्कि एक संगठन पर टिप्पणी की और यह राजनीति में सामान्य बात है। उन्होंने कहा कि विपक्ष इसे व्यक्तिगत रूप से न ले।
भाजपा सदस्य विपिन सिंह परमार ने कहा कि जगत सिंह नेगी की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि वह संगठन सदन में मौजूद ही नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि नेगी के बयानों से मुख्यमंत्री और कांग्रेस की छवि धूमिल हो रही है और मुख्यमंत्री उन्हें अनुचित रूप से अधिक छूट दे रहे हैं।
प्रारंभ से ही ऊपरी स्वर पर विवाद — विपक्ष सीटों से उठकर वेल में पहुंचा
सदन की शुरुआत में ही जब नेता प्रतिपक्ष ने मुद्दा उठाने की कोशिश की तो विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि प्रश्नकाल शुरू हो चुका है और इसके बाद बोलने का अवसर मिलेगा।
इसके बावजूद विपक्ष हठ पर कायम रहा। अनुमति न मिलने पर विपक्षी सदस्य अपनी सीटों से खड़े हो गए और जोरदार नारेबाजी करने लगे, इसके बाद वे सदन के बीचो-बीच पहुंच गए।
लगातार शोरगुल के बीच विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कई बार व्यवस्था बनाए रखने की अपील के बावजूद विपक्ष शांत नहीं हुआ। अंततः सुबह 11:25 बजे कार्यवाही स्थगित की गई और 11:50 बजे पुनः शुरू हुई, लेकिन उस समय तक विपक्ष सदन से बाहर था, जिसके चलते प्रश्नकाल शांति से चला।
“रिकॉर्ड फिर से देखा जाएगा” : विधानसभा अध्यक्ष
अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि राजस्व मंत्री की टिप्पणी की रिकॉर्डिंग दोबारा देखी जाएगी और यदि कोई अवांछित या विषय से बाहर की टिप्पणी मिली तो उसे रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पिछले दो दिन से स्थगन प्रस्ताव चर्चा के दौरान भी उन्होंने सभी सदस्यों से विषय पर रहने की अपील की थी।
प्रदर्शन के लिए अब पूर्व सूचना अनिवार्य
अध्यक्ष ने घोषणा की कि विधानसभा परिसर में सत्तापक्ष और विपक्ष यदि एक ही समय प्रदर्शन करना चाहें, तो इसके लिए सचिवालय को पूर्व सूचना देनी होगी। सचिवालय दोनों पक्षों को समान समय आवंटित करेगा ताकि किसी तनावपूर्ण स्थिति से बचा जा सके।
विपक्ष में नेगी के प्रति दुर्भावना : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विपक्ष में जगत सिंह नेगी के प्रति दुर्भावना है और जब भी वह बोलते हैं, विपक्ष वॉकआउट कर देता है। उन्होंने कहा कि भाजपा की आदत बन गई है कि वह सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस का शुक्रवार का धरना प्रदर्शन पहले से तय था और भाजपा के हटने के बाद ही कांग्रेस विधायकों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि सदन सर्वसम्मति से चलना चाहिए।






