एप्पल न्यूज़, शिमला
PM मोदी के मंडी रैली में आने पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के मंडी में राज्य का पहला ओमिक्रोन का मामला आने के कारण लोग चिंतित हो गए हैं।
मामला भी उस महिला का है जो 4 दिसम्बर को कनेडा से मंडी पहुंची थी। 18 दिसम्बर को जाकर 15 दिन बाद सेम्पल लिए और सेम्पल के 8 दिन बाद 26 दिसम्बर को जाकर रिपोर्ट आई तो ओमिक्रोन पॉजिटिव आई।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सैकड़ों लोग विदेश से आने के बाद बिना जांच पड़ताल कहा चले गए प्रशासन को खबर ही नहीं। सभी लोग विदेशों से पासपोर्ट के माध्यम से हवाई मार्ग से यहां पहुंचे हैं। ये भी नही जानकारी कि वह संक्रमित हैं या नहीं।
ऐसे में अब ऐसे संवेदनशील क्षेत्र में PM की रैली में एक लाख लोगों के जुटने से ओमिक्रोन का खतरा बढ़ सकता है। चंडीगढ़ दिल्ली जैसे राज्यों में ओमिक्रोन के खतरे के बीच नाईट कर्फ्यू का ऐलान कर दिया गया है।
ऐसी रैलियां क्या संक्रमण को बढ़ावा नहीं दे रही जबकि बाद में इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। क्योंकि देखा गया है कि हिमाचल में जितने भी राजनीतिक कार्यक्रम और रैलियां हो रही हैं उसमें न तो नेता और न ही कार्यकर्ता कोरोना नियमों का पालन करते हैं और न ही नियमों को मानते हैं।
इस स्थिति में जो लोग नियमों का पालन कर खुद को भी सुरक्षित रखे हैं और दूसरों को भी सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं, उनकी सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है।
वहीं दूसरी ओर पहले से ही मौसम विभाग ने 26 व 27 को भारी बर्फबारी और बारिश की चेतावनी जारी कर रखी थी। इस बीच मंडी में रैली फिक्स कर ली गई। आज ऊंचाई वाले बड़े क्षेत्रों में बर्फबारी हो चुकी है और बारिश का क्रम भी जारी है।
उधर, रैली में भीड़ जुटाने के लिए HRTC की करीब 1600 बसें अपने निर्धारित रूटों से हटाकर रैली के लिए लगा दी गई हैं। इस कारण रविवार को भी लोगोंको भारी मुसीबतें झेलनी पड़ी और सोमवार को तो कमोबेश स्थिति बदतर हो सकती है। लोगों को बसें नहीं मिल पाएगी।
उधर निजी बस आपरेटरों और टैक्सी ऑपरेटरों ने मोदी की रैली में सेवाएं देने से साफ इंकार कर रखा है।
अब सवाल ये कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी यदि PM मोदी ऑनलाइन कार्यक्रम करते हैं तो फिर जनता की गाढ़ी कमाई को इस तरह लुटाना कहाँ तक जायज है…?